नई दिल्ली/गाजियाबाद:साल भर में कुल 12 एकादशी तिथि पड़ती है. वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व है, लेकिन पुराणों में माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. माघ की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. जया एकादशी को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि श्रद्धापूर्वक इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात भूत-प्रेत नहीं बनना पड़ता है. जया एकादशी पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं कि शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, पूजा का समय और उपाय...
पूजा विधि:जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें. स्थान आदि से निवृत्त होकर साफ सुथरे कपड़े पहने. व्रत का संकल्प करें. घर के मंदिर की साफ सफाई कर दीप प्रज्वलित करें. चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना कर जलाभिषेक करें. दूध और केसर युक्त मिष्ठान तैयार कर भगवान विष्णु को अर्पित करें. भगवान विष्णु की पुष्प धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करें. यदि आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो अल्पाहार या फलाहार कर सकते हैं. एकादशी तिथि की शाम को तुलसी के पौधे के समक्ष दीप प्रज्वलित करें. ऐसा करना बेहद फलदाई बताया गया है. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन करें.
जया एकादशी शुभ मुहूर्त:
- जया एकादशी प्रारंभ: 19 फरवरी (सोमवार) 08:49 AM से शुरू.
- जया एकादशी समाप्त: 20 फरवरी (मंगलवार) 09:55 AM मिनट पर समाप्त होगी.
- व्रत पारण का समय: 21 फरवरी (बुधवार) 06:55 AM से 09:11 PM तक.
- जया एकादशी का व्रत पूजा का समय: 12:12 AM से 12:58 PM तक.
- उदय तिथि के अनुसार जया एकादशी का व्रत 20 दिसंबर को रखा जाएगा.