नई दिल्ली:कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या की घटना के बाद से देशभर के डॉक्टर गुस्से में हैं. डॉक्टर्स समय-समय पर विरोध प्रदर्शन करके सेंट्रल हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने संयुक्त रूप से दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान एक बार फिर सेंट्रल हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट (सीएचपीए) को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की गई.
डॉक्टर कोलकाता की घटना के बाद से लगातार सीएचपीए की मांग कर रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर यह सेंट्रल हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट क्या है. जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि सीएचपीए जिसकी डॉक्टर मांग कर रहे हैं, उस तरह का कानून पहले से ही 26 राज्यों में लागू है तो ऐसे में इस एक्ट की जरूरत अब नहीं है. इसको लेकर डॉक्टर क्या सोचते हैं और क्यों वह इस एक्ट की मांग कर रहे हैं. इसके बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉक्टर गिरीश त्यागी से बातचीत की.
डॉ. गिरीश त्यागी ने बताया कि 26 राज्यों में जो हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट लागू है उसमें हर राज्य में अलग-अलग प्रावधान है. किसी राज्य में वह कॉग्निजेबल है और किसी राज्य में नॉन कॉग्निजेबल है. किसी राज्य में डॉक्टरों के साथ मारपीट करने पर इस एक्ट के अंतर्गत 10 हजार रुपए का फाइन है तो किसी राज्य में 20 हजार रुपए का फाइन है. किसी राज्य में इस एक्ट के अंतर्गत डॉक्टर के साथ मारपीट करने पर अपराध जमानती है तो कहीं गैर जमानती है. मतलब हर राज्य के हेल्थ प्रोटेक्शन एक्ट में अलग-अलग तरह के प्रावधान हैं. किसी में भी कोई ऐसा सख्त प्रावधान नहीं है, जिससे कोई डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा करने से डरे.