शिमला: बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने के कारण कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. यूरिक एसिड के बढ़े हुए लेवल से शरीर के जोड़ों में दर्द, अर्थराइटिस, किडनी जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खराब दिनचर्या और खान-पान की आदतों के कारण लोगों में ये बीमारी तेजी से बढ़ रही है.
यूरिक एसिड के कारण युवाओं में नसों का फूलना, पैर, कमर, जोड़ों, पीठ और जोड़ों में असहनीय दर्द की समस्या तेजी से बढ़ रही है. कई मरीजों का तो चलना-फिरना, उठना-बैठना भी मुश्किल होता जा रहा है. यूरिक एसिड की समस्या को लेकर ईटीवी भारत ने आईजीएमसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कार्यरत डॉ. संजय राठौर से बातचीत की. उन्होंने बताया कि जो हम प्रोटीन खाते है उसके पाचन के बाद यूरिक एसिड बन जाता है, जितना ज्यादा हम प्रोटीन लेंगे उतना ज्यादा यूरिक एसिड बनता है, लेकिन कुछ लोगो मे यह अधिक मात्रा में बनता है. ज्यादा प्रोटीन का बनना खतरनाक हो सकता है. इसलिए समय रहते इसे विशेषज्ञ को दिखा लेना चाहिए. वैसे दुनिया में 2 फीसदी लोगों को ही यूरिक एसिड बनता है.
किडनी-ह्रदय रोग का खतरा
डॉ. संजय ने बतया कि ये पुरुषों के शरीर पर ज्यादा प्रभाव डालता है. आईजीएमसी शिमला में भी 150 से 200 की ओपीडी हर रोज होती है. इस दौरान यूरिक एसिड के 5 से 10 फीसदी मरीज आ रहे हैं. कई बार यूरिक एसिड शरीर में क्रिस्टल का रूप ले लेता है. धीरे-धीरे जोड़ों के आसपास जमा होने लगता है. इसके कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होने लगती है. साथ ही किडनी की बीमारी, हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है. इलाज में देर होने या सही इलाज नहीं होने पर कई लोग गठिया वात की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या पहले बुजुर्गों में होती थी, लेकिन अब चालीस वर्ष से अधिक उम्र वाले भी शरीर में यूरिक एसिड ज्यादा बनने और गठिया वात की समस्या से पीड़ित हो रहे हैं. युवा जिनकी शारीरिक गतिविधि कम हैं, विशेषकर 40 साल से ज्यादा उम्र के हैं, उनमें यूरिक एसिड और वात रोग बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं. पहले ये समस्या ज्यादातर बुजुर्गों में होती थी, लेकिन खराब दिनचर्या के कारण बड़ी संख्या में युवा भी यूरिक एसिड ज्यादा बनने की समस्या से पीड़ित हो रहे हैं.