रायपुर:छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों को अब मिड डे मील में दाल चावल के साथ ही स्वादिष्ट भोज भी खाने को मिलेगा. सरकार ने स्कूलों में 'न्योता भोजन' की शुरुआत की है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति, संगठन या फिर समाज के लोग सरकारी स्कूलों में भोज दे सकेंगे. न्योता भोजन का उद्देश्य भोजन के पोषक मूल्य में वृद्धि, समुदाय के बीच अपनेपन की भावना विकसित करना है. शनिवार को इसकी शुरुआत रायपुर में हुई. रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने धरमपुरा क्षेत्र के सरकारी स्कूल में न्योता भोजन का आयोजन किया.
क्या है न्योता भोजन:छत्तीसगढ़ के स्कूलों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले खाने को सामुदायिक भागीदारी के जरिए और ज्यादा पोषक बनाने की पहल है. यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है. कोई भी व्यक्ति, समुदाय के लोग अथवा सामाजिक संगठन किसी भी खास अवसर पर या स्वेच्छा से सरकारी स्कूलों में भोज का आयोजन कर सकता है. इसके अलावा खाद्य सामग्री की योगदान भी कर सकता है. न्योता भोजन, स्कूल में दिए जाने वाले मिड डे मील का विकल्प नहीं होगा बल्कि यह इसके अतिरिक्त होगा.
खास मौकों पर स्कूलों में न्योता भोजन: न्योता भोजन की अवधारणा एक सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है. त्यौहारों या अवसरों जैसे एनीवर्सरी, जन्मदिन, शादी और राष्ट्रीय पर्व पर इसका आयोजन किया जा सकता है. ऐसे दिनों में बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन खिलाया जा सकता है. इसके तहत समुदाय के सदस्य किचन के बर्तन भी उपलब्ध करा सकते हैं.दान दाताओं को प्रोत्साहित करने के लिये उन्हें शाला की प्रार्थना सभा या एनवल फंक्शन में सम्मानित किया जा सकता है. न्योता भोजन के दिन दानदाता को स्कूल में आमंत्रित कर इसकी घोषणा भी की जा सकती है.