गिरिडीह:नववर्ष का स्वागत लोग अपने अपने अंदाज में कर रहे हैं. कई लोग पिकनिक जा रहे हैं तो कई अपने इष्ट देवता को नमन कर रहे हैं. वहीं, बड़ा तबका आज के दिन मंदिर अवश्य जाता है. गिरिडीह में भी कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जहां लोग जाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
झारखंडधाम: गिरिडीह जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, भोलेनाथ का यह मंदिर. यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि महाभारत के समय इसी स्थान पर भगवान शिव ने अर्जुन को पशुपात अस्त्र दिया था. यहां आज के दिन भारी भीड़ उमड़ती है.
हरिहरधाम: दिल्ली - कोलकाता नेशनल हाइवे (जीटी रोड) के ठीक बगल में अवस्थित इस 65 फीट उंचे आकारा का शिवलिंग को दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग कहा जाता है. इस मंदिर के प्रति भी लोगों की गहरी आस्था है.
राजदाहधाम: जिले के सरिया प्रखंड में अवस्थित राजदाहधाम रमणिक है. उत्तरवाहिनी बराकर नदी के तट पर अवस्थित इस स्थल पर भगवान भोले, माता पार्वती, सूर्यदेव, जगन्नाथ भगवान समेत कई देवी देवताओं का मंदिर है. भगवान शिव की आराधना करने यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. वैसे यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है. यहीं कारण है कि नववर्ष पर लोग यहां अवश्य आना चाहते हैं.
दुखिया महादेव: दुखहरणनाथ धाम उसरी नदी के तट पर अवस्थित है. यहां उसरी नदी उत्तरवाहिनी बहती है. गिरिडीह शहर से लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर के प्रति लोगों में काफी आस्था है. इसे दुखिया महादेव भी कहा जाता है.
शिखरजी: पारसनाथ पहाड़ पर शिखरजी मंदिर है. इस मंदिर के प्रति जैन धर्म की गहरी आस्था है. यह जैन धर्म के लोगों के सबसे पूजनीय स्थलों में से एक है. इसे लोग सम्मेद शिखर भी कहते हैं. नववर्ष पर हजारों लोग यहां पहुंचते हैं.