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कुंडली में मौजूद रहता है कारागार भाव, जानिए कैसे पाएं छुटकारा - rid of prison - RID OF PRISON

Ways to get rid of prison हमारे जीवन में ग्रह नक्षत्र काफी गहरा असर डालते हैं.हमारा समय कब अच्छा होगा और कब खराब इस बात को लेकर सदियों से यही धारणा चली आ रही है कि ये सब कुछ ग्रह नक्षत्र का खेल है.यानी यदि आपके ऊपर कोई मुसीबत आई हो तो ज्योतिष इसे ग्रहों का प्रभाव ही कहते हैं.ऐसा ही एक प्रभाव आपके जीवन में सदा विद्यमान रहता है.जिसमें आप जेल जा सकते हैं.आईए जानते हैं वो कौन से कारक हैं जिनसे कारावास जाने का योग बनता है.

Ways to get rid of prison
कुंडली में मौजूद रहती है कारागार भाव (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 3, 2024, 2:41 PM IST

रायपुर : मनुष्य की कुंडली में अनेक भाव होते हैं.इन्हीं भावों से आपके भविष्य का निर्धारण होता है. ज्योतिष में लिखा है 12 स्थान पर यदि राहु आ जाए तो व्यक्ति के कारागार जाने के योग बनते हैं. कारागार अर्थात जेल जाने का मतलब ये नहीं है कि व्यक्ति कोर्ट से सजा पाकर के जेल जाए. क्योंकि करोड़ों लोगों की कुंडली में राहु 12 वें घर में स्थित होता है. इसका मतलब ये नहीं है कि हर व्यक्ति जेल जाए. ऐसी स्थिति में हमें चिंतन करना चाहिए कि कहां तक सही है. ज्योतिष का यह कर्तव्य है कि व्यक्ति को विचलित ना करें. जातक में भय ना पैदा करें और उसे मानसिक रूप से परेशानी ना हो जेल के नाम से स्वाभाविक रूप से हर कोई जातक डर जाता है. इससे बचने के उपाय भी है.

12वां भाव का राहु देता है कष्ट :ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि सबसे पहली बात ये है कि ज्योतिष में लिखा है कि लग्न से 12 वें भाव का राहु कारागार योग बनाता है. यदि हम इस पर चिंतन करें और राहु का स्वभाव परेशान करना, भटकाना है तो कारागार जाने का स्वभाव भी है. उस पर चिंतन होना चाहिए. डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर कहते हैं कि जिस किसी भाव के 12 भाव में राहु स्थित होता है. वह उस भाव से संबंधित विषय में व्यक्ति को कारागार भेजता है.

कारागार के बंधन से कैसे पाएं छुटकारा (ETV Bharat Chhattisgarh)

'' कारागार का अर्थ यहां पर बंधन से है. वह बंधन व्यक्ति का स्वयं का रचा हुआ बंधन भी हो सकता है. ज्योतिष को यह देखना चाहिए कि राहु किस भाव से 12वें स्थान पर स्थित है. यदि वह लग्न में स्थित है, तो वह द्वितीय भाव अर्थात व्यक्ति कुटुंब और प्रॉपर्टी के मोह में बंध जाता है. वह उस स्थान को छोड़ नहीं पाता. यह भी एक प्रकार का कारागार ही है. राहु तीसरे भाव में है तो वह चतुर्थ भाव का कारागार होगा. अर्थात व्यक्ति अपनी मां के प्रति मोह अपने निवास के प्रति मोह के कारण उससे दूर नहीं जाएगा. जातक बंधन स्वयं ओढ़ लेगा."- महेंद्र कुमार ठाकुर,ज्योतिषाचार्य

कौरव और पांडवों के बीच हो चुका है युद्ध :ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "चौथे भाव में राहु है तो संतान का 12 भाव है. संतान का मोह उसे बंधन में बांध लेगा और वह छोड़कर नहीं जाएगा. कौरव और पांडव का युद्ध भी इसी कारण हुआ था. पंचम भाव का राहु रोग ऋण और शत्रुओं का 12 वां भाव है. उनके कारण व्यक्ति परेशान रहकर शत्रुओं से हो या बीमारी के कारण हो उस स्थान के बंधन में बंध जाता है. छठवें भाव का राहु पत्नी से अत्यधिक मोह के कारण अलग नहीं हो पाता और उस बंधन में बंध जाता है.

कैसे कारागार से पाएं मुक्ति ?:इसी प्रकार प्रत्येक घर का भाव उस भाव से संबंधित स्थान का संबंधी का बंधन बना देता है. जो एक प्रकार से स्वयं के द्वारा निर्मित कारागार ही है.इसकी मुक्ति के लिए राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए. काल भैरव की उपासना बहुत ज्यादा लाभदायक है. काल भैरव को शराब का भोग चढ़ाने और अभिषेक करते हैं तो इस बंधन से मुक्ति मिलती है. विशेष कर जो न्यायालय के आदेशों के फल स्वरुप कारागार मिलता है. उससे भी छुटकारा मिल सकता है. मां बगलामुखी की आराधना भी इन काष्टो को दूर करती है.

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नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी ज्योतिषाचार्य का मत है.इन बातों और उपायों की ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है.

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