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अजमेर में 54 में से 7 बांध-तालाबों में पानी, शेष रीते, अब सभी को मानसून का इंतजार - Dry Dam In Ajmer

Dry Dam In Ajmer, अजमेर में 54 में से केवल 7 बांध-तालाबों में पानी बचे हैं तो वहीं, शेष सभी सूख चुके हैं. ऐसे में अब सिंचाई विभाग को बेसब्री से मानसून का इंतजार है, ताकि सूखे तालाबों और बांधों में पानी भर सके.

Dry Dam In Ajmer
अब मानसून से आस (ETV BHARAT Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 13, 2024, 7:34 AM IST

Updated : Jun 13, 2024, 12:02 PM IST

अजमेर में 54 में से 7 बांध-तालाबों में पानी (ETV BHARAT Ajmer)

अजमेर.प्रदेश में मानसून की दस्तक 20 से 25 जून तक हो सकती है. लिहाजा अजमेर का सिंचाई विभाग अलर्ट हो गया है. जिले में 54 बांध और तालाब हैं. इनमें से केवल 7 बांध व तालाब में पानी है, जबकि शेष सुख चुके हैं. वहीं, मानसून को देखते हुए सिंचाई विभाग अब बांध और तालाबों के रख रखाव संबंधित कार्यों को अंतिम रूप देने में लग गया है. इसके अलावा मानसून के दौरान बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए और सभी बांधों व तालाबों की नियमित निगरानी की भी व्यवस्था की गई है. 15 जून से सिंचाई विभाग के खंड 2 कार्यालय में कंट्रोल रूम का संचालन भी शुरू हो जाएगा.

दरअसल, जिले में कृषि व्यवस्था पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है. बारिश नहीं होने पर किसान ट्यूबवेल से सिंचाई करते हैं. इसी तरह पेयजल के लिए अजमेर के लाइफलाइन बीसलपुर बांध है. बीसलपुर परियोजना से जिले को पानी की सप्लाई होती है, लेकिन इसके बावजूद भी यहां लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए भूजल का सहारा लेना पड़ता है. यही वजह है कि जिले के अधिकांश क्षेत्रों में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है.

हनुतिया के लाखोलाव बांध पर ऑयलिंग व ग्रीसिंग कार्य करता श्रमिक व रखरखाव व्यवस्था का जायजा लेते अधिकारी (ETV BHARAT Ajmer)

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बारिश की कमी ने हालात को और भी विकट बना दिया है. बारिश में बांध और तालाबों में पानी की आवक होती है, लेकिन पानी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाता है. भूजल स्तर कम होने से पानी रसातल में चला जाता है. इसी कारण भूतल पर बने बांध और तालाब ज्यादातर बारिश के बावजूद भी सूखे ही रहते हैं. जिले में सरफेस वाटर (भूमितल) और ग्राउंड वाटर (भूजल) की स्थिति दयनीय है. कई क्षेत्रों में तो ग्राउंड वाटर का स्तर 500 से 600 फीट तक पंहुच गया है.

हालत यह है कि बारिश होने के बाद भी मानसून से 5 माह पहले ही अधिकांश बांध और तालाब में पानी नहीं रहता है. इसका असर भूजल स्तर पर भी पड़ा है. तीन दशक से यही हालत बने हुए हैं और अब हालात और भी भयावह हो गए हैं. बांध और तालाब सूखने से मवेशियों और वन्यजीवों को भी पीने का पानी नहीं मिल पाता है. ऐसे में पानी की तलाश में वन्यजीव रिहायशी क्षेत्र में घुस आते हैं या भूख और प्यास से वन्यजीव जंगल में ही दम तोड़ देते हैं.

इन तालाब और बांधों में है पानी :अजमेर में सिंचाई विभाग के अधीन बांध और तालाबों की कुल संख्या 54 है. इनमें अजमेर उपखंड में फॉयसागर, आनासागर झील और खानपुरा तालाब, ब्यावर उपखंड में मकरेड़ा, जवाजा, राजियावास, शिवसागर न्यारा, पुष्कर सरोवर और गोविंदगढ़ बांध में पानी है, जबकि शेष सभी बांध और तालाब सूख चुके हैं.

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रीते ये तालाब और बांध :अजमेर अधीक्षण अभियंता खंड एक में सभी 30 तालाब और बांध में शून्य जलस्तर है. इनमें नारायण सागर जालिया, लोरडी बांध, देह सागर बदली, मानसागर जोताया, न्यू बरोल तालाब, अजगरा बांध, ताज सरोवर अरनिया, मदन सरोवर धनवा, मन्डोती बांध, विजय सागर फतेहगढ़, गज सागर सरवाड़, गोविंद सागर सरवाड़, सिंदूर सागर सरवाड़, बांके सागर सरवाड़, भगवंतिया सागर सरवाड़, झड़ झोड़ला तालाब सरवाड़, कोडिया सागर अराई, सुरखेली सागर अराई, किशन सागर गोगुंदा, जवाहर सागर सिरोंज, सुखसागर सिरोंज, विजय सागर लंबा, विजय सागर अकोदिया, नया सागर मोठी, लसाडिया बांध, बिसुन्दनी तालाब, नाहर सागर पिपलाज, पारा बांध फर्स्ट, पारा बांध द्वितीय और अम्बा पूरा बांध शामिल है.

अधीक्षण अभियंता कार्यालय द्वितीय खंड में 24 तालाब और बांध हैं. इनमें ब्यावर उपखंड में फुल सागर जालिया, नया तालाब बलाड़, पुराना तालाब बलाड़, राजियावास तालाब, काबरा तालाब, काली कंकार और देलवाड़ा तालाब रीते हैं. जबकि जवाजा तालाब में मामूली 1.89 फीट पानी है. किशनगढ़ उपखंड में छोटा तालाब, बड़ा तालाब रामसर, खीर संबंध रामसर, लाखोलाव तालाब हनोतिया, भीमसागर तिहरी, शिवसागर न्यारा, रूपनगढ़, रणसम्बंध नयागांव और मदन सागर दिदवारा में जलस्तर शून्य है. अजमेर उपखंड में खानपुरा तालाब में 1 फीट पानी है. ऊटडा बांध, फूल सागर कायड, फूल सागर बीर और चौरसिया वास तालाब खाली है.

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जानें क्यों सूखे बांध और तालाब :बांध और तालाब सूखने का प्रमुख कारण बारिश की कमी है. पूर्वी राजस्थान में मानसून में 800 से 1000 एमएम बारिश हो जाती है, जबकि अजमेर में ओसत बारिश 450 से 500 एमएम के लगभग ही होती है. यही वजह है कि पर्याप्त बारिश नहीं होने से बांध और तालाब में पानी की आवक उनकी भराव क्षमता के अनुसार नहीं होती है. कैचमेंट एरिया में भी बारिश की कमी प्रमुख कारण है. इसके अलावा लगातार कई दशकों से भूजल स्तर का दोहन भी बड़ा कारण है. बारिश की कमी से भूजल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. वही तालाब और बांधों में आने वाला पानी रसातल में चला जाता है. इस कारण तालाब और बांध का जल स्तर भी तेजी से घटने लगता है. जनवरी और फरवरी में बांध और तालाबों से सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है. यही वजह है कि बांध और तालाब मानसून आने से चार माह पहले ही सूख जाते हैं.

बांध और तालाब का किया जा रहा रखरखाव :मानसून की नजदीकियां आते ही बांध और तालाब के गेट ग्रीसिंग करवाई जा रही है. इसके अलावा ओवर फूल होने या बाढ़ की स्थिति शेर निपटने के लिए भी तैयारी पहले से की गई है. 2 नोका, मिट्टी से भरे कट्टे, ट्रैक्टर, जेसीबी समेत अन्य संसाधन तैयार कर लिए गए हैं.

अजमेर जल संसाधन विभाग में अधिशासी अभियंता खंड द्वितीय सत्येंद्र मीणा ने बताया कि मानसून को देखते हुए सभी बांध और तालाब के गेट पर ऑयल गिसिंग का कार्य हो चुका है. बाढ़ नियंत्रण कंट्रोल रूम की स्थापना 15 जून को की जाएगी. उन्होंने बताया कि अधिक वर्षा होने पर कहीं और फूल की स्थिति बनती है तो उससे निपटने के लिए विभाग के पास 6 पंप सेट और दो नोका है. इसके अलावा 5 हजार मिट्टी से भरे कट्टो की व्यवस्था भी की है. ताकि बांध या तालाब टूटने की स्थिति में कट्टो की मदद से स्थिति को संभाला जा सके.

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उन्होंने बताया कि झालावाड़, बारां, कोटा क्षेत्र में वर्षा 1 हजार एमएम तक होती है, जबकि अजमेर में 450 से 500 एमएम ओसत बारिश होती है. इस कारण तालाब और बांध पूर्ण रूप से नहीं भर पाते हैं. कैचमेंट एरिया और नालों में अतिक्रमण भी कारण है. अतिक्रमण की सूचना मिलने पर प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई की जाती है. अधिशासी अभियंता प्रथम विकास मीणा ने बताया कि विभाग के आधीन पास 30 बांध और तालाब है और फिलहाल वह सभी खाली है. गत वर्ष मानसून में जिन तालाब और बांध में पानी की आवक हुई थी. वहां से किसानों को सिंचाई के लिए पानी दिया गया था.

उन्होंने बताया कि भूजल स्तर में गिरावट, बारिश में कमी और अतिक्रमण भी कारण हो सकते हैं. फिलहाल क्षेत्र सर्वे के मुताबिक कहीं भी अतिक्रमण नहीं है. मानसून को देखते हुए कर्मचारी और बेलदारो की नियुक्तियां कर दी गई है. इस बार बेहतर मानसून की उम्मीद है.

गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड :आमतौर पर अजमेर की जलवायु अनुकूल रही है. यही वजह है कि यहां सर्दी और गर्मी का असर अन्य जिलों की अपेक्षा 2 डिग्री कम रहता है. मसलन सर्दी में 2 डिग्री ज्यादा और गर्मी में 2 डिग्री कम रहता था. विगत डेढ़ दशक से पर्यावरण असंतुलन का असर अजमेर में भी पड़ा है. अजमेर में गर्मी में तापमान 42 डिग्री से कभी कभार ही पार हुआ था, लेकिन इस बार पारा 46.5 डिग्री के पार पहुंच गया.

अजमेर में 10 साल में बारिश की स्थिति

  • 2014 में 527 एमएम
  • 2015 में 414 एमएम
  • 2016 में 544 एमएम
  • 2017 में 436 एमएम
  • 2018 में 348.70 एमएम
  • 2019 में 948 एमएम (सबसे ज्यादा)
  • 2020 में 295 एमएम (सबसे कम)
  • 2021 में 409.98 एमएम
  • 2022 में 463.62 एमएम
  • 2023 में 479.19 एमएम
Last Updated : Jun 13, 2024, 12:02 PM IST

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