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करोड़ों खर्च के बाद भी टैंकरों के भरोसे लोग, सुदूर इलाकों में नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण - Tap water scheme

Tap water scheme in Khunti. खूंटी में करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद लोगों को नल जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. शहरी इलाकों में लोग टैंकर पर निर्भर हैं, जबकि सुदूर इलाकों में लोग गंदे नदी के पानी का उपयोग करने को मजबूर हैं.

Tap water scheme in Khunti
टैंकर से पानी भरते ग्रामीण (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 19, 2024, 12:37 PM IST

खूंटी: बढ़ती गर्मी, तापमान में उछाल और जल संकट ने हर गांवों और शहर में लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. भीषण गर्मी में ग्रामीण चुआं, डाड़ी और नदी-नालों के बीच बने छोटे-छोटे जलाशयों से पानी का इंतजाम कर अपने दैनिक कार्यों करने को विवश हैं. आज भी कई गांवों में नल जल योजना अधूरी है या फिर योजना पूरी होने के बाद नल टूट गए हैं. इससे ग्रामीणों की निर्भरता अपने पुराने चुआं, डाड़ी पर बढ़ गई है.

खूंटी में जल नल योजना का बुरा हाल (ईटीवी भारत)

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 22-23 और 23-24 वित्तीय वर्ष में करोड़ों रुपये खर्च किए गए. जिले के लगभग सभी प्रखंड क्षेत्रों की पंचायतों में नल का जल पहुंचाने की योजना बनी. योजना शुरू होकर पूरी भी हुई, लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी ग्रामीणों को नल का पानी पीने की बजाय नदी, नाले और कुओं का पानी पीना पड़ रहा है. जिले में कई जगह ऐसी हैं, जहां लोग नदियों पर निर्भर हैं. नदियों पर करोड़ों खर्च कर जलमीनार बनाए गए, लेकिन आज जलमीनार खुद प्यासे हो गए हैं. स्थानीय ग्रामीण टैंकर पर गुजारा करने को मजबूर हैं.

पेयजल स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिलेवासियों के लिए करीब 2192 योजनाएं बनाई गई. एसवीएस (क्लस्टर) के माध्यम से पंचायत स्तर को जोड़कर नल जल योजना के तहत कार्य किए गए, जिसमें से कागजों पर 1506 योजनाएं पूर्ण हैं, लेकिन पंचायत स्तर पर ग्रामीणों को 1506 योजनाओं में से एक भी योजना का लाभ नहीं मिलता.

इसके अलावा एसवीएस (एकल ग्रामीण जलापूर्ति जल नल योजना) के तहत जिले में 646 जगहों पर कार्य किए जाने थे, जिसमें से 601 पूर्ण हैं. वहीं एमवीएस (बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना) के तहत 12 योजनाएं शुरू की गईं, जिसमें से 7 योजनाएं पूर्ण हैं. सभी योजनाओं को मिलाकर 2 वर्षों में 150 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन ग्रामीण आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं.

पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता सुरेंद्र दिनकर के दावों के अनुसार नल जल योजना ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गई है, लेकिन बढ़ती गर्मी के कारण कई नलकूपों का भूजल स्तर नीचे जा रहा है. इससे ग्रामीणों को नल से जल मिलने में परेशानी हो रही है.

उन्होंने बताया कि पेयजल आपूर्ति की समस्या को लेकर प्रत्येक प्रखंड में शिकायत पेटी रखी गयी है. ग्रामीणों को पेयजल संकट से संबंधित शिकायत है तो वे प्रखंड में बनाये गये शिकायत पेटी में लिखित रूप से डाल सकते हैं. शिकायत के आधार पर खराब नलकूप या सौर ऊर्जा चालित जलापूर्ति की व्यवस्था की जाती है.

उन्होंने यह भी बताया कि जिले में पेयजलापूर्ति के 60 कार्य किये जा रहे हैं. ग्रामीणों को जल्द ही पेयजल उपलब्ध हो जायेगा. खराब चापाकलों की मरम्मत का कार्य भी लगातार किया जा रहा है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा प्रत्येक पंचायत में जलसहिया द्वारा जल संकट का समाधान किया जाता है.

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