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जागरुकता अभियान के बाद भी बिहार में राष्ट्रीय औसत से 10 प्रतिशत कम वोटिंग, लोकतंत्र के लिए चुनौती - VOTING PERCENTAGE IN BIHAR - VOTING PERCENTAGE IN BIHAR

लोकतंत्र में वोट का अहम महत्व होता है. वोटिंग से ही लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होगी. वोट का प्रतिशत कैसे बढ़े, इसके लिए प्रशासन लगातार प्रयास करता है. वोटरों को जागरूक करने के लिए कई तरह के अभियान भी चलाये जा रहे हैं, इसके बाद भी बिहार का वोटिंग प्रतिशत अन्य राज्यों की तुलना में कम है. यहां, हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि बिहार में मतदान का प्रतिशत अन्य राज्यों की तुलना में घटा है. पढ़ें, विस्तार से.

LOK SABHA ELECTION 2024
LOK SABHA ELECTION 2024

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 17, 2024, 7:19 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 10:59 AM IST

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पटना: शिव शंकर 45 वर्ष और परमानंद यादव 54 वर्ष जैसे लाखों लोग रोजी-रोटी के लिए राज्य से बाहर काम करते हैं. चाह कर भी वोट नहीं डाल पाते हैं. इसी तरह पटना सहित शहरी इलाकों में लाखों लोग ऐसे हैं जो वोटिंग के दिन मिली छुट्टी पर घर में रहना पसंद करते हैं. बिहार के प्रसिद्ध शोध संस्थान ए एन सिंह इंस्टीट्यूट ने वोटिंग बिहेवियर को लेकर एक अध्ययन करवाया है. उसके आधार पर चुनाव आयोग ने मतदाता जागरूकता के लिए कई काम किये, लेकिन इसके बावजूद पूरे देश में सबसे कम वोटिंग वाले राज्यों में बिहार का नाम है.

क्या है वोटिंग प्रतिशत: बिहार में ऐसे तो वोटिंग का प्रतिशत बढ़ रहा है. लेकिन अभी भी 43% लोग वोट नहीं डालते हैं. उसमें भी पटना में 56% लोग वोट नहीं डालते हैं. पूरे देश में बिहार से कम केवल जम्मू कश्मीर में ही वोटिंग हो रहा है. जम्मू कश्मीर में 50% से कम अभी वोटिंग होता है. ऐसे 2009 में बिहार में 50% से कम 44.5% वोटिंग हुआ था. पिछले तीन चुनाव में वोटिंग में 13% की बढ़ोतरी हुई है. 2019 में यह बढ़कर 57.3% पहुंच गया है, लेकिन अभी भी राष्ट्रीय औसत 67% से 10% कम है. जबकि, कई राज्यों में 80 से 90% वोटिंग हो रहा है.

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वोटिंग के प्रति उत्साह नहींः बिहार के पड़ोसी राज्यों में भी बिहार से अधिक वोटिंग होता है. बिहार के प्रमुख शोध संस्थान एन सिंहा इंस्टीट्यूट ने वोटिंग को लेकर अध्ययन भी करवाया है. चुनाव आयोग को सुझाव भी दिया जिस पर चुनाव आयोग काम भी कर रहा है. राजधानी पटना में तो राष्ट्रीय औसत से 20% कम 46% के करीब वोटिंग हो रही है. एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है वोटिंग कम होने के पीछे कई वजह है जिसमें बिहार से लोगों का पलायन है. साथ ही एलीट वर्ग में वोटिंग के प्रति उत्साह नहीं होना भी है.

"बिहार में कम वोटिंग होना हमेशा से चिंता की बात रही है. चुनाव आयोग की तरफ से ऐसे तो कई तरह के प्रयास हो रहे हैं लेकिन शहरी इलाकों से अधिक ग्रामीण इलाकों में अभी वोटिंग अधिक होती है. शहरी इलाकों में रहने वाले लोग वोटिंग के दिन छुट्टी मनाने लगते हैं, इसमें सुधार लाने की जरूरत है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

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मतदाता जागरुकता अभियानः बिहार में 50 लाख के करीब लोग दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं. वोटिंग में शहरी और ग्रामीण इलाकों में असमानता है. चुनाव आयोग की तरफ से विभिन्न तरह के प्रचार माध्यमों से वोटिंग के प्रति जागरूकता लाने की कोशिश की जा रही है. जीविका दीदियों की भी जागरूकता अभियान में मदद ली जा रही है. पोस्टर बैनर भी जगह-जगह लगाए जा रहे हैं. वोटिंग के दौरान लोगों को किसी तरह की परेशानी ना हो उसका भी ख्याल रखा जा रहा है मॉडल बूथ भी बनाए जा रहे हैं. लेकिन इन सब के बावजूद बिहार में वोटिंग का प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है जो एक बड़ी चुनौती है.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 10:59 AM IST

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