पटना: शिव शंकर 45 वर्ष और परमानंद यादव 54 वर्ष जैसे लाखों लोग रोजी-रोटी के लिए राज्य से बाहर काम करते हैं. चाह कर भी वोट नहीं डाल पाते हैं. इसी तरह पटना सहित शहरी इलाकों में लाखों लोग ऐसे हैं जो वोटिंग के दिन मिली छुट्टी पर घर में रहना पसंद करते हैं. बिहार के प्रसिद्ध शोध संस्थान ए एन सिंह इंस्टीट्यूट ने वोटिंग बिहेवियर को लेकर एक अध्ययन करवाया है. उसके आधार पर चुनाव आयोग ने मतदाता जागरूकता के लिए कई काम किये, लेकिन इसके बावजूद पूरे देश में सबसे कम वोटिंग वाले राज्यों में बिहार का नाम है.
क्या है वोटिंग प्रतिशत: बिहार में ऐसे तो वोटिंग का प्रतिशत बढ़ रहा है. लेकिन अभी भी 43% लोग वोट नहीं डालते हैं. उसमें भी पटना में 56% लोग वोट नहीं डालते हैं. पूरे देश में बिहार से कम केवल जम्मू कश्मीर में ही वोटिंग हो रहा है. जम्मू कश्मीर में 50% से कम अभी वोटिंग होता है. ऐसे 2009 में बिहार में 50% से कम 44.5% वोटिंग हुआ था. पिछले तीन चुनाव में वोटिंग में 13% की बढ़ोतरी हुई है. 2019 में यह बढ़कर 57.3% पहुंच गया है, लेकिन अभी भी राष्ट्रीय औसत 67% से 10% कम है. जबकि, कई राज्यों में 80 से 90% वोटिंग हो रहा है.
वोटिंग के प्रति उत्साह नहींः बिहार के पड़ोसी राज्यों में भी बिहार से अधिक वोटिंग होता है. बिहार के प्रमुख शोध संस्थान एन सिंहा इंस्टीट्यूट ने वोटिंग को लेकर अध्ययन भी करवाया है. चुनाव आयोग को सुझाव भी दिया जिस पर चुनाव आयोग काम भी कर रहा है. राजधानी पटना में तो राष्ट्रीय औसत से 20% कम 46% के करीब वोटिंग हो रही है. एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है वोटिंग कम होने के पीछे कई वजह है जिसमें बिहार से लोगों का पलायन है. साथ ही एलीट वर्ग में वोटिंग के प्रति उत्साह नहीं होना भी है.
"बिहार में कम वोटिंग होना हमेशा से चिंता की बात रही है. चुनाव आयोग की तरफ से ऐसे तो कई तरह के प्रयास हो रहे हैं लेकिन शहरी इलाकों से अधिक ग्रामीण इलाकों में अभी वोटिंग अधिक होती है. शहरी इलाकों में रहने वाले लोग वोटिंग के दिन छुट्टी मनाने लगते हैं, इसमें सुधार लाने की जरूरत है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक