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बेबी केयर हॉस्पिटल में आग लगने से मरने वाले बच्चों की पॉस्टमोर्टम रिपोर्ट आई सामने, जानिए- कैसे हुई मौत - Postmortem Report of died newborns - POSTMORTEM REPORT OF DIED NEWBORNS

Vivek vihar Baby Care Hospital fire: रविवार को विवेक विहार बेबी केयर अस्पताल में शनिवार रात में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी. इन बच्चों का पॉस्टमार्टम कराकर शव परिवारों को सौंप दिये गये हैं. इनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आ गई है. जिसमें कहा जा रहा है कि बच्चों की मौत दम घुटने से हुई. हालांकि अभी फाइनल रिपोर्ट आना बाकी है.

बेबी केयर अस्पताल आग मामला
बेबी केयर अस्पताल आग मामला (Source: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 27, 2024, 1:32 PM IST

नई दिल्ली: विवेक विहार बेबी केयर अस्पताल में हादसे में मृत नवजात बच्चों की पोस्टमार्टम में मौत की वजह सामने आ गई है . सूत्रों के मुताबिक नवजात की मौत दम घुटने की वजह से हुई है. इसके अलावा कुछ बच्चों के शरीर पर जलने के निशान भी पाए गए हैं . इससे साफ है कि आग की लपटें बच्चों के वार्ड तक भी पहुंच गई थी.

घटना के तुरंत बाद की तस्वीर भी ईटीवी के पास है जिससे भी साफ हुआ है कि अस्पताल में आग लगने के बाद जब रेस्क्यू टीम अस्पताल के अंदर, बच्चों के वार्ड तक पहुंची तो पूरे वार्ड में धुएं का गुबार भरा हुआ था. रेस्क्यू टीम को बच्चों तक पहुंचने में भी दिक्कतें हो रही थी. उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.

आपको बता दे कि सभी 7 नवजात के शवों का पोस्टमार्टम रविवार को दिलशाद गार्डन के जीटीबी अस्पताल में कराया गया था. पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट आ गई है. हालांकि फाइनल रिपोर्ट आना अभी बाकी है.

बता दें कि शनिवार रात तकरीबन 11.30 बजे विवेक विहार इलाके स्थित बेबी केयर अस्पताल में आग लगी थी. सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल की टीम मौके पर पहुंची. स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू किया गया. अस्पताल में भर्ती सभी 12 नवजात नबच्चों को निकाल कर दूसरे अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने सात बच्चों को मृत घोषित कर दिया.

पुलिस ने लापरवाही से मौत सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. पुलिस ने अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन और ड्यूटी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया. डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल को संचालित किया जा रहा था . अस्पताल का लाइसेंस भी एक्सपायर हो चुका था. अस्पताल में क्षमता से ज्यादा बच्चों को एडमिट किया गया था. अस्पताल में सीनियर डॉक्टर भी नहीं थे और ना ही अस्पताल में फायर सेफ्टी के उपकरण ही थे.

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