सरगुजा : असल में आदेश यह है कि एक महिला चिकित्सक को एक साथ 400 किलोमीटर की दूरी में स्थित अलग अलग मेडिकल कॉलेज में पदस्थ रहना है. ऐसे में हर दिन कोई व्यक्ति अपने एक कार्यालय से 400 किलोमटीर दूर कार्यालय तक का सफर कैसे तय करेगा और दोनों जगह कैसे ड्यूटी कर सकेगा. क्योंकि पहला कार्यालय राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर है और दूसरा कार्यालय यहां से 400 किलोमीटर दूर दुर्ग शहर का चंदू लाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज है. साय सरकार ने 27 मई को एक आदेश जारी कर एक शासकीय मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर की तैनाती दो जगहों पर की है.
एक साथ दो कॉलेज में दे दी जिम्मेदारी : अम्बिकापुर का यह मेडिकल कॉलेज पहले से ही मेडिकल कॉलेज फैकल्टी की कमी से जूझ रहा है. हाल ही में एनएमसी ने फैकल्टी की कमी के कारण 3 लाख का जुर्माना करते हुए मान्यता रद्द करने की चेतावनी भी दी है. इस बीच शासन से आदेश जारी किया है, जिसके तहत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉसेपिटल के एनाटॉमी विभाग की एचओडी डॉ. रंजना सिंह आर्या को अपने मूल पदस्थापना के साथ ही चंदू लाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिष्ठाता भी बनाया गया है. साय सरकार की तरफ से यह अस्थाई आदेश जारी किया गया है. जब से यह आदेश जारी हुआ है तब से यह चर्चा का विषय बना हुआ है.
दोनों मेडिकल कॉलेज के बीच 400 किलोमीटर की दूरी : इस आदेश के मुताबिक अब उन्हें अम्बिकापुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और दुर्ग के चंदू लाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज दोनों जगह पर ड्यूटी करनी है, जो एक इंसान के लिए संभव ही नहीं है. क्योंकि दोनों मेडिकल कॉलेज के बीच में 400 किलोमीटर की दूरी है. इधर पहले ही कॉलेज प्रबंधन ने उन्हें एनएमसी के हेड काउंटिंग में अपने कॉलेज में दर्शाया है. ऐसे में उनकी गिनती चंदू लाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज में नहीं हो पाएगी. इस आदेश के बाद अधिकारी भी दुविधा में फंस गए हैं कि आखिर वे दो स्थानों पर एक साथ काम कैसे कर पाएंगी.
"शासन से एक आदेश प्राप्त हुआ है. जिसमें हमारे यहां एनॉटामी विभाग की हेड डॉक्टर रंजना सिंह आर्या को अपने वर्तमान पदों के साथ चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता के पद पर पदस्थ किया गया है. इस विषय पर शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है." - डॉ आर मूर्ति, डीन, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज