अलीगढ़:राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल पहुंची. मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी डॉक्टर सुदेश धनखड़ के कैंपस में पहुंचने पर राष्ट्रगान हुआ. कुलपति चंद्रशेखर ने पुष्प गुच्छ भेंट कर का स्वागत किया.
इस दौरान उपराष्ट्रपति ने उपाधियां को डिजिलॉकर में सेव किया. इसके साथ ही मेडल और उपाधियां छात्रों को वितरित की.
इन्हें मिला गोल्ड मेडलःउपराष्ट्रपति ने सारिका, दीक्षा वर्मा, भानु प्रताप, शिवानी शर्मा माधव शर्मा, अदिति चोला, अमरजीत सिंह, तरुण कुमार, हिमांशु वार्ष्णेय तनिष्का को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया. छात्रों के अभिभावकों का भी सम्मान किया गया. इस दौरान प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की प्रतियोगिता के विजेता छाओं को भी उप राष्ट्रपति ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया. वहीं, राज्यपाल ने आंगनबाड़ी कार्यकात्रियों को बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया.
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यूपी की राज्यपाल शिक्षा के प्रति बहुत समर्पित है. कुलाधिपति के रूप में अपना दायित्व बखूबी निभा रही हैं. राज्यपाल के साथ मिलकर सबसे पहले एक काम किया कि मां के नाम एक पेड़ लगाने का कार्यक्रम शुरू किया है. हमें याद रखना पड़ेगा कि पृथ्वी के अलावा रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है. इसका संरक्षण करना पड़ेगा. उन्होंने छात्रों से अपील की कि यूनिवर्सिटी के प्रांगण में भी मां के नाम पेड़ जरूर लगाएं. विश्वविद्यालय तरक्की कर रहा है लेकिन यह पक्ष कमजोर है. पेड़ जरूर लगाने चाहिए, क्योंकि क्लाइमेट बहुत तेजी से चेंज हो रहा है.
इतिहास को ठीक से नहीं बताया गयाः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम रखा गया, जो देशभक्त, नेशनल हीरो और फ्रीडम फाइटर रहे. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण काम किया. राजा महेंद्र प्रताप सिंह विजनरी थे. जिन्होंने टेक्निकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मथुरा में शिक्षा केंद्र स्थापित किया. लेकिन हमारे इतिहास को ठीक से नहीं बताया गया. देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वालों के जीवन के बारे में युवाओं को पता चलना चाहिए. बीआर अंबेडकर, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर सम्मान दिया गया. सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन भी पराक्रम दिवस के रूप में अब मनाया जा रहा है. आजादी को महसूस किया जा रहा है. उन्होंने छात्रों से कहा कि आपकी डिग्री इस देश के लिए एक एसेट है. आप इस देश की तरक्की में सहयोगी बनें. हमें 2047 में विकसित भारत बनाना है. युवा इस यात्रा को बहुत अच्छे तरीके से निभा सकते हैं.
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के बारे में छात्रों को बतायाःउपराष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं है. राष्ट्रवाद हमारा धर्म है. निजी हित या कोई भी हित राष्ट्र हित से ऊपर नहीं रख सकते. यही हमारा संकल्प होना चाहिए. यही हमारी संस्कृति का निचोड़ है. उन्होंने इंडस्ट्री और कॉर्पोरेट सेक्टर से अपील की कि वह इंडिया के एजुकेशन सिस्टम में निवेश करें. गुरुकुल सिस्टम में कोई फीस नहीं होती थी. कोई रोक-टोक नहीं होती थी. यही कारण है कि भारत के संविधान निर्माता ने बहुत सोच समझकर 22 चलचित्र संविधान में रखे हैं. सोशल मीडिया में यह घूम रहा है. जहां सिटीजनशिप है, वहां गुरुकुल का चित्र है. उन्होंने न्यू एजुकेशन पॉलिसी के बारे में छात्रों को बताया.
जो सपने में नहीं सोच सकते थे वो अब हो रहाः उन्होंने कहा कि कपास को जब काटते हैं तो धागा बनता है, पर थोड़ा भी मिस डायरेक्शन हो तो फिर कपास बन जाता है. ऐसा नहीं होना चाहिए. दुनिया का कोई भी देश साढ़े सात या आठ प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ के साथ आगे नहीं बढ़ रहा है. यह आंखों से देख रहे हैं. जिसका सपना देख कर भी डर लगता था. वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर रेल , रोड कनेक्टिविटी, डिजिटाइजेशन पूरे देश भर में हो रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि नौकरियां कहां है. लेकिन थोड़ा सा अपने पास देखिये. अब बॉस्केट आफ ऑपर्चुनिटीज है. एक जानकारी के हिसाब से 10% छात्रों को पता है कि कहां संभावनाएं है. 90% को नहीं पता है. इसलिए भारत को इंटरनेशनल मोनेटरी फंड(आईएमएफ) कह रहा है कि भारत अवसर की जमीन है. यहां इन्वेस्टमेंट की जरूरत है. आप अपने आसपास देखिए.
अपने आप को स्ट्रांग बनाओः चाणक्य का उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका नाम आते ही नई ऊर्जा आ जाती है. जो चाणक्य का रोल करते हैं, वह कैसे बोलते हैं. चाणक्य ने कहा था कि शिक्षा बहुत अच्छी मित्र है और शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है. स्वामी विवेकानंद ने कहा था उठो, जागो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो. आपको सचेत रहने के लिए एक सीख दे रहा हूं. हम रिलाइज करना चाहते हैं. लेकिन हम कमजोर हैं तो नहीं कर सकते. इसलिए अपने आप को स्ट्रांग बनाना है. असफलता से नहीं डरना है. उन्होंने कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश के बारे में भी बताया कि युवाओं को कैसे आगे काम करना है.
100 एकड़ में विकसित हो रहा विश्वविद्यालयःइस दौरान कुलपति चंद्रशेखर ने कहा कि यह विश्वविद्यालय 100 एकड़ जमीन पर बनाई जा रहा है. तृतीय परिसर का निर्माण कार्य चल रहा है. उन्होंने बताया कि यूजीसी के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति की गई है. शासन द्वारा विश्वविद्यालय में 43 पाठ्यक्रम के संचालन के लिए शैक्षिक पदों का सृजन किया गया है.
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