वाराणसी:बनारस को मंदिरों घाटों में गालियों का शहर कहा जाता है, यहां की गलियां न सिर्फ जायके और बनारसी साड़ी के लिए, बल्कि बनारस के इतिहास के लिए भी जानी जाती हैं.लेकिन समय के साथ गलियों की बदहाली भी बढ़ती जा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग में एक नई योजना को शुरू करने का प्लान बनाया है, जिसके तहत बनारस की गलियों का कायाकल्प करने के साथ उसके इतिहास का संरक्षण करने का संकल्प लिया जा रहा है.
बनारस में पर्यटकों के लिए तैयार होगा हेरिटेज वॉक, ऐतिहासिक गलियों का भी होगा संरक्षण - Heritage walk streets of Banaras
धर्मानगर काशी अपने घाट और गलियों के लिए जान जाती है.यहां तमाम ऐसी ऐतिहासिक गलियां है, जो विरासतों को सहज हुए हैं. इन गलियों में संगीत गली हो, साहित्य गली हो,स्वतंत्रता सेनानियों की गली हो. इन सबको सहेज कर यहां पर पर्यटकों को हेरिटेज वॉक के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jun 30, 2024, 1:00 PM IST
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इन गलियों का हुआ है चयन, जिनकी है अपनी अलग कहानी:उप निदेशक आरके रावत ने बताया, कि जिन 6 वार्ड की गलियों को लिया गया है. उन गलियों का अपना अलग इतिहास है. इनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गली, साहित्यकारों की गली, संगीतकारों की गली, बनारस की लज्जत कहे जाने वाली बनारसी पान की गली शामिल है. यदि नाम की बात करें, तो चेतगंज वार्ड वन, चेतगंज वार्ड टू जो संगीत साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए जाना जाता है. इन गलियों में मिठाई से लेकर प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत कर आजादी के आंदोलन में लोगों ने साथ दिया. इसके साथ ही तमाम दिग्गज साहित्यकार निकले. पियरी कला, हबीबपुर पानदरीबा यह बनारस की कल हो स्वाद के लिए जाने जाने वाली गालियां है. इन गलियों में जहां संगीत और सुर के साधक निकलकर बनारस घराने को आगे बढ़ाए, तो वही इन्हीं गलियों से बनारस में पान के कारोबार की शुरुआत हुई. यहां से पान पूरे देश में भेजा जाता है. पान दरीबा बनारस की सबसे पुरानी पान की मंडी कही जाती है.
60 फीसदी काम पूरा,ये होगी सुविधाएं:उन्होंने बताया कि, यहां आने वाले यात्रियों को न सिर्फ गालियों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि मूलभूत सुविधाओं को भी उपलब्ध कराया जाएगा.जिसमें बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था, गलियों को जान सके इसके लिए साइनेज की व्यवस्था,क्यूआर कोड की व्यवस्था जहां गलियों के इतिहास को लिखा जाएगा. इसके साथ ही दीवारों पर चित्र के जरिए भी वहां की कहानी को भी बताया जाएगा. इसके साथ इन गलियों में सुलभ शौचालय,पेयजल की भी व्यवस्था रहेगी. ताकि यहां आने वाली यात्रियों को कोई दिक्कत ना हो. उन्होने बताया, कि अभी गलियों में लाइट लगाने का काम चल रहा है. बाकी कुछ जगह 90 फीसदी काम पूरा हो गया है,सावन तक पर्यटकों को ये सौगात मिल जाएगी.
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