वाराणसी :बनारस की होली विश्व प्रसिद्ध है. रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ भक्तों के साथ होली खेलते हैं तो वहीं दूसरे दिन मसान में भूत-प्रेत, किन्नर के साथ होली खेलते हैं. खास बात यह है कि इस मसान की होली में इस बार नागा साधु भी जमकर अपने आराध्य के साथ भस्म उत्सव मनाएंगे. जी हां! महाकुम्भ के अमृत स्नान के बाद बनारस में नागा संन्यासियों का जमावड़ा होने जा रहा है. काशी में उनकी पेशवाई होगी. इस बार मसान की होली 11 मार्च को है.
बाबा विश्वनाथ की नगरी दुनिया की सबसे पुरातन आध्यात्मिक नगरी मानी जाती है. यह सबसे पुराना जीवित नगर है. यहां पर बाबा की भक्ति के अनूठे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं. एक तरफ जब होली आती है तो बनारसी अपने ही रंग में रंगे नजर आते हैं तो दूसरी ओर ‘चिता भस्म की होली’ खेली जाती है. यहां बनारस की विश्व प्रसिद्ध मसान की होली होती है. यहांं साधु-अघोरी बाबा विश्वनाथ के साथ भस्म की होली खेलते हैं. एक अनोखी और प्राचीन परंपरा है. मसान की होली भगवान शिव को समर्पित है, जो मृत्यु के देवता हैं. इस बार देश-दुनिया के कोने-कोने से नागा साधु भी महादेव के साथ मसान की होली खेलने आ रहे हैं
ऐसी होली कहीं और नहीं खेली जाती :नागा संत रघुनंदन गिरि कहते हैं कि हम लोग होली तक बनारस में रहेंगे. होली के बाद हम केदारनाथ की ओर चले जाएंगे. बाबा विश्वनाथ के साथ जिस तरह से पहले होली खेली जाती थी, वैसी ही इस बार भी खेली जाएगी. काशी की मसान होली बाबा विश्वनाथ का बहुत बड़ा आशीर्वाद है. बनारस में ही श्मशान में साधु-संतों की होली होती है. बाकी और कहीं नहीं होती है. चाहे वह हरिद्वार, नासिक या उज्जैन हो. इन जगहों पर होली खेली जाती है और हर जगह 12-12 साल पर कुम्भ लगता है. बनारस में नागा साधु मिलकर मसाने की होली खेलेंगे.
‘काशी में स्नान से पूरा होता है कुम्भ स्नान’ :नागा संत हैं कि ‘काशी में कुम्भ पर स्नान करना अच्छा होता है. बिना यहां नहाए कुम्भ स्नान पूरा नहीं होता. होली के बाद हम लोगों की पेशवाई होगी. हमें अखाड़े में पूरी जमात को जमा करना पड़ेगा. हम लोग यहां से पूरी जमात लेकर केदारनाथ चले जाएंगे. वहां भी 06 महीने तक पट बंद रहता है. काशी में होली का बड़ा उत्सव रंगभरी एकादशी और मसाने की होली है. बनारस में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. 24 फरवरी को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास से पारंपरिक लोक उत्सव की तैयारी शुरू हो जाएगी. 10 मार्च को रंगभरी एकादशी होगी'.