देहरादून: उत्तराखंड में नए साल पर ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों को प्रमोशन का तोहफा मिल गया है. हालांकि, IAS और IPS की तो DPC कर दी गई लेकिन IFS इस मामले में थोड़ा पीछे रह गए. दरअसल, भारतीय वन सेवा कैडर में प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू तो की गई लेकिन लापरवाही के चलते DPC की बैठक में प्रमोशन पर मुहर नहीं लग पाई.
उत्तराखंड वन विभाग वैसे तो तमाम विवादों के चलते चर्चाओं में रहता है लेकिन इस बार प्रकरण शासन से सामने आया है, यहां बिना तैयारी के प्रमोशन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की कोशिश की गई, जो सफल नहीं हो पाई. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में DPC की बैठक तय की गई. इसमें प्रमुख सचिव वन और विभाग के मुखिया भी शामिल हुए. अभी बैठक में प्रमोशन को लेकर चर्चा शुरू ही होती कि पता चला कि DPC से पहले जरूरी केंद्र की अनुमति की औपचारिकता को पूरा ही नहीं किया गया, फिर क्या था DPC बैठक को बिना कार्यवाही के ही खत्म करना पड़ा.
लापरवाही से लटक गई IFS कैडर की DPC (ETV BHARAT) प्रमोशन को लेकर DPC बैठक से पहले ली जाती है केंद्र से सहमति:उत्तराखंड शासन में IFS अधिकारियों की DPC के लिए बैठक तो बुला ली गई लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सहमति ही नहीं ली गई, जबकि DPC बैठक से पहले सहमति से जुड़ा पत्राचार पूर्व में ही कर लिया जाता है. इसमें या तो केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय DPC के लिए अपनी सहमति दे देता है या फिर एक महीने तक केंद्र से जवाब नहीं मिलने पर इसे सहमति मान कर DPC कर ली जाती है. बैठक के दौरान पता चला कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सहमति को लेकर कोई पत्राचार हुआ ही नहीं हुआ. जिससे शासन में विभाग की खूब किरकिरी हुई.
इस मामले पर ईटीवी भारत ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से बात की. उन्होंने कहा कुछ तकनीकी कारणों से डीपीसी की बैठक नहीं हो पाई है. जिसे औपचारिकता पूरी करने के बाद जल्द किया जाएगा. उत्तराखंड शासन में डीपीसी की बैठक PCCF (प्रमुख वन संरक्षक) रैंक पर प्रमोशन को लेकर हुई थी. इसके लिए वन विभाग में PCCF का पद एक्स कैडर से बढ़ाया गया है जबकि PCCF पद से विजय कुमार के दिसंबर महीने में सेवानिवृत होने के चलते भी एक पद रिक्त हुआ है. इसमें APCCF कपिल लाल को PCCF में प्रमोट किया जाना था. जिसके चलते APCCF पर रिक्ति के सापेक्ष DPC की उम्मीद थी,लेकिन DPC नहीं होने से नीचे के खाली होने वाले पदों पर भी DPC नहीं हो पाई है. हालांकि, अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सहमति के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. इसके बाद इसी महीने के अंत तक डीपीसी की बैठक संभव है.
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