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खुले बाजार से 1000 करोड़ का कर्ज ले रहा उत्तराखंड, पहले से ही है 60 हजार करोड़ का लोन - UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN

उत्तराखंड में बढ़ता कर्ज का मर्ज, मौजूदा वित्तीय वर्ष में 4400 पहुंची कर्ज की रकम, नहीं बढ़ सके आय के स्रोत

UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN
उत्तराखंड सरकार खुले बाजार से लेगी कर्ज (ETV Bharat Graphics)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 9, 2025, 7:13 AM IST

Updated : Jan 9, 2025, 11:42 AM IST

देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड सरकार खुले बाजार से 1000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है. वैसे तो ये रकम वाकई बेहद बड़ी है. लेकिन चिंता कर्ज को लेकर नहीं, बल्कि राज्य के आनुपातिक रूप से आय के स्रोत ना बढ़ने को लेकर है. खास बात यह है कि इसी वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार पहले ही हजारों करोड़ का कर्ज ले चुकी है. अब ये कर्ज का मर्ज राज्य के आर्थिक हालात के लिए बड़ी मुसीबत बनता दिखने लगा है. उत्तराखंड में हजारों करोड़ के लोन के बीच प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर स्पेशल रिपोर्ट.

उत्तराखंड लेगा 1000 करोड़ का कर्ज: सामाजिक रूप से कर्ज को बेहद खराब माना जाता है. लेकिन राज्य या देश अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए अक्सर कर्ज का ही सहारा लेते हैं. लेकिन ये कर्जा तभी तक ठीक है, जब तक उसे लौटाने की कुव्वत बरकरार हो. यदि बात आर्थिक क्षमता से बाहर निकली, तो अर्थव्यवस्था के ठप होने में देरी नहीं लगती.

धामी सरकार लेगी लोन (VIDEO- ETV Bharat)

उत्तराखंड के लिए भी कुछ इसी तरह की अलार्मिंग स्थिति से बचने की नसीहत जानकारों की तरफ से मिलने लगी है. साल 2025 के पहले ही महीने में राज्य के आर्थिक हालात को लेकर यह चर्चा सरकार के उस कदम के बाद शुरू हुई है, जिसके तहत राज्य सरकार ने खुले बाजार से 1000 करोड़ का कर्ज लेने का फैसला लिया है.

उत्तराखंड सरकार ले रही है कर्ज (ETV Bharat Graphics)

इसी वित्तीय वर्ष में ले चुके 3400 करोड़ का कर्ज:फिलहाल राज्य सरकार 1000 करोड़ का खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है. लेकिन सरकार का इस वित्तीय वर्ष का यह कोई पहला कर्ज नहीं होगा. इसी वित्तीय वर्ष 2024-25 में धामी सरकार अबतक 3400 करोड़ का कर्ज ले चुकी है. जबकि अब 1000 करोड़ का कर्ज लेने के बाद इस वित्तीय वर्ष में कुल कर्ज की रकम 4400 करोड़ तक पहुंच जाएगी.

कर्ज लेने पर आर्थिक विश्लेषक की राय (ETV Bharat Graphics)

रिजर्व बैंक के जरिए खुले बाजार से उठाया जाएगा कर्ज:उत्तराखंड सरकार नियमों के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए खुले बाजार से कर्ज उठा रही है. इसके लिए वित्त विभाग ने 2 जनवरी 2025 को नोटिस के माध्यम से तमाम संस्थाओं से बिड के जरिए कर्ज देने के लिए आवेदन आमंत्रित किये.

ये है आर्थिक विश्लेषक की राय:आर्थिक विश्लेषक राजेंद्र बिष्ट कहते हैं कि-

'इस दौरान सबसे कम ब्याज में जो संस्थाएं राज्य को 1000 करोड़ का कर्ज देने के लिए तैयार होंगी, उससे राज्य रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से कर्ज लेगा. इस कर्ज को 7 साल के लिए लिया जा रहा है. यानी राज्य सरकार 2032 तक इस कर्ज को वापस करेगी. जबकि कर्ज का ब्याज हर तिमाही या 6 महीने में राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा.'
-राजेंद्र बिष्ट, आर्थिक विश्लेषक-

राज्य पर मार्च 2021 तक 57 हजार करोड़ से ज्यादा की थी देनदारी:खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए जारी किए गए नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 31 मार्च 2021 तक उत्तराखंड पर 57,114.6449 करोड़ का कर्ज बकाया था. राज्य सरकार खुले बाजार से 1000 करोड़ का यह कर्ज ऊर्जा, कृषि, सिंचाई और उद्योग विभाग के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए ले रही है. हालांकि पहले ही राज्य पर हजारों करोड़ का कर्ज बकाया है, और इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती है.

अपर मुख्य सचिव वित्त का स्टेटमेंट (ETV Bharat Graphics)

अपर मुख्य सचिव वित्त ने क्या कहा: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया में उत्तराखंड को लोन देने के लिए आमंत्रित किए गए टेंडर में कुल 21 संस्थाओं ने आवेदन किया है. इसमें से 5 संस्थाओं के आवेदन स्वीकार किए गए हैं. इस तरह करीब 7% के ब्याज पर राज्य जल्द ही 1000 करोड़ का कर्ज उठाने जा रहा है. अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद वर्धन से ईटीवी भारत ने राज्य सरकार द्वारा लिए जा रहे इस कर्ज पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि-

जरूरत के लिहाज से राज्य सरकार कर्ज लेती है. केंद्र से बजट को लेकर जब समय लगता है, तो खुले बाजार से भी कर्ज लिया जाता है. राज्य की विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए ऐसा किया जाता है.
-आनंद वर्धन, अपर मुख्य सचिव,वित्त-

वरिष्ठ पत्रकार ने ये कहा: उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद से ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं हो पाई है. अलग राज्य के रूप में उत्तराखंड की स्थापना होने के बाद राज्य के हिस्से में करीब 4000 करोड़ का कर्ज़ आया.

1000 करोड़ के लोन पर वरिष्ठ पत्रकार की प्रतिक्रिया (ETV Bharat Graphics)

इसके बाद धीरे-धीरे यह कर्ज बढ़ता चला गया और यह आंकड़ा 60,000 करोड़ से भी ऊपर जा पहुंचा. वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली कहते हैं कि-

'चिंता इस बात की है कि राज्य अपने आर्थिक संसाधनों को नहीं बढ़ा सका और हमेशा आमदनी से ज्यादा खर्चा राज्य की परेशानी बना रहा. चिंता की बात यह भी है कि राज्य के सालाना बजट में करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा बजट अयोजनागत मद में ही खर्च हो जाता है. जिसके चलते योजनाएं बजट की कमी को लेकर अक्सर दिक्कतों में फंसी रहती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम योजनाओं के लिए राज्य को केंद्र पर ही निर्भर रहना होता है और बजट कटौती की स्थिति में नई योजना के बारे में सोचना भी प्रदेश के लिए मुश्किल हो जाता है.'
-नीरज कोहली, वरिष्ठ पत्रकार-

वित्त सचिव का स्टेटमेंट: वैसे राज्य ने अब तक जितना भी कर्ज लिया है, वह तय मानक के अंतर्गत ही है. केंद्र ने उत्तराखंड के लिए सालाना करीब 7400 करोड़ का कर्ज़ लेने की सीमा तय की है. वित्त सचिव दिलीप जावलकर कहते हैं कि-

वित्त सचिव का स्टेटमेंट (ETV Bharat Graphics)

राज्य ने जो कर्ज लिया है, वह तय सीमा के अंतर्गत ही है. विभिन्न योजनाओं को दृष्टिगत रखते हुए ही कर्ज लेने का निर्णय लिया गया है.
-दिलीप जावलकर, वित्त सचिव, उत्तराखंड-

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Last Updated : Jan 9, 2025, 11:42 AM IST

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