देहरादून (नवीन उनियाल): भारतीय वन सर्वेक्षण (forest survey of india) की रिपोर्ट में उत्तराखंड की वनाग्नि को लेकर जो आंकड़े दिए गए, उससे उत्तराखंड वन विभाग में हड़कंच मचा हुआ है. क्योंकि forest survey of india यानी एफएसआई ने अपनी रिपोर्ट में साल 2023-24 में उत्तराखंड को सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाओं वाला राज्य बताया है. एफएसआई के आंकड़ों से हैरान उत्तराखंड वन विभाग "भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023" पर अपने तर्क दे रहा है. जबकि उत्तराखंड के वन मंत्री ने भारतीय वन सर्वेक्षण के 52 प्रतिशत आंकड़ों को फाल्स अलर्ट करार दिया है. इसी कारण उत्तराखंड सरकार और केंद्र का बड़ा संस्थान आमने-सामने आता दिख रहा है.
दरअसल, हाल ही में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में ही भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 यानी India State of Forest Report 2023 का विमोचन किया था. इस दौरान उन्होंने इस रिपोर्ट को देशभर में वनों के लिए तैयार होने वाली योजनाओं के लिए बेहद खास बताया, लेकिन जिस रिपोर्ट की भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तारीफ कर रहे थे, उसी रिपोर्ट को उत्तराखंड में चुनौती दी जा रही है.
FSI की रिपोर्ट पर उत्तराखंड वन विभाग ने उठाए सवाल (ETV Bharat) हुआ ये है कि इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड देश में सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाओं वाला राज्य बताया गया है, लेकिन उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया के दिए गए 52 प्रतिशत अलर्ट फाल्स होने का दावा किया है.
सबसे पहले जानिए कि फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया ने आखिरकार अपनी रिपोर्ट में साल दर साल जंगलों की आग को लेकर क्या रिपोर्ट दी है.
- उत्तराखंड में नवंबर 2023 से जून 2024 तक 21033 आग लगने के अलर्ट जारी हुए.
- इस साल उत्तराखंड में वानग्नि के देश में सबसे ज्यादा मामले हुए रिकॉर्ड.
- जबकि साल 2022-23 में उत्तराखंड इस मामले में देश में 13 नंबर पर था.
- इससे पहले साल 2021-22 में उत्तराखंड देश में वनाग्नि अलर्ट को लेकर 7वें स्थान पर था.
- प्रदेश में सबसे ज्यादा पौड़ी और नैनीताल जिले में वनाग्नि को लेकर चिंताजनक स्थिति दिखाई दी.
- फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया सैटेलाइट तकनीक के आधार पर राज्यों को जारी करता है अलर्ट.
- उत्तराखंड पिछले साल की तुलना में 12 स्थान ऊपर जाकर देश में वनाग्नि की घटना वाला पहला राज्य बना.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया सैटेलाइट माध्यम से वनाग्नि की घटनाओं रिकॉर्ड करता है. इस दौरान दो तरह के सेंसर का उपयोग किया जाता है. इसमें पहला MODIS यानी Moderate resolution imaging spectro-radiometes जबकि दूसरा SNPP-VIIRS यानी visible infrared imaging radiometer suit है.
उत्तराखंड वन मंत्री का दावा:इन दोनों ही सेंसर के माध्यम से रिकॉर्ड घटनाओं के अलर्ट राज्यों को भेजे जाते हैं. उत्तराखंड वन विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल की माने तो प्रदेश में रिजर्व फॉरेस्ट से जुड़े केवल 9 प्रतिशत अलर्ट ही जारी हुए हैं, जबकि रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर के 11 प्रतिशत अलर्ट फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया द्वारा दिए गए हैं. इस तरह देखा जाए तो केवल 20 प्रतिश अलर्ट ही वन विभाग से संबंधित हैं.
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी की थी. (ETV Bharat) उत्तराखंड वन विभाग का तर्क: उधर, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया के आंकड़ों की नजर डाले तो उसमें 16 प्रतिशत अलर्ट एग्रीकल्चर क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. वन विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल का दावा है कि फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया ने 5 प्रतिशत अलर्ट ऐसे दिए हैं, जो वन विभाग वनाग्नि की ड्रिल से जुड़े हैं. इतना ही नहीं वन विभाग द्वारा खुद से कंट्रोल फायर (फायर लाइन) को लेकर लगाई गई चार प्रतिशत आग को भी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया ने अलर्ट में रखा है. इस तरह वन मंत्री ने 52 प्रतिशत अलर्ट फाल्स करार दे दिए.
अन्य राज्यों के आंकड़ों पर भी एक नजर:देश में साल 2022-23 में वनाग्नि के अलर्ट के लिहाज से उड़ीसा देश में नंबर वन राज्य था, जो इस साल दूसरे नंबर पर रिकॉर्ड हुआ है. छत्तीसगढ़ पिछले साल दूसरे नंबर पर था, लेकिन इस साल अलर्ट के लिहाज से तीसरे नंबर पर रहा है. पिछले साल आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर था, इस साल चौथे नंबर पर है.
भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 में उत्तराखंड को वनाग्नि के मामले पर देश में नंबर वन बताया है. (ETV Bharat) इसी तरह पिछले साल 13 नंबर पर रहने वाले उत्तराखंड पहले नंबर पर रहा है. उत्तराखंड की तुलना हिमाचल से की जाती है. ऐसे में इस साल हिमाचल वनाग्नि की घटनाओं को लेकर देश में आठवे नंबर पर रहा है. इस साल कुल 10,136 अलर्ट जारी किए गए हैं, जबकि इससे पहले पिछले साल 24वें नंबर पर था, पिछले साल 704 घटनाएं रिकॉर्ड हुई.
इस तरह देखा जाए तो फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया के रिकॉर्ड्स के अनुसार उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश में भी इस बार जंगलों में आग से जुड़े अलर्ट में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. उत्तराखंड वन विभाग पहले भी फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया के आंकड़ों को अपने तर्कों के माध्यम से गलत करार देता रहा है. फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में वन विभाग फॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया के दिए गए अलर्ट को फॉरेस्ट क्षेत्र से बाहर का बताकर फाल्स अलर्ट बताता रहा है.
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