लखनऊ (वर्णित गुप्ता):उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का लक्ष्य 2027 तक उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है. इसके लिए सरकार हर क्षेत्र में मिशन मोड में काम कर रही है. सरकार बख़ूबी जानती है कि देश और प्रदेश को अगर आगे बढ़ाना है तो हर सेक्टर और बिजनेस क्लास को मज़बूत करना पड़ेगा. इसके लिए राज्य सरकार समय समय पर पॉलिसी बनाती रहती है.
यूपी में 96 लाख सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमःकरीब 96 लाख सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम के जरिए यूपी अब देश के एमएसएमई सेक्टर का महत्वपूर्ण आधार बन चुका है. हाल ही में यूपी को 40 लाख करोड़ तक के निवेश प्रस्ताव भी मिल चुके हैं. सरकार के हौसले बुलंद है और वो मानती है कि अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए एमएसएमई सेक्टर कितना महत्व रखता है. पर भारत सरकार की ई मार्केटप्लेस (GEM) के जो आंकड़े ईटीवी भारत को मिले हैं, वो कुछ अलग ही कहानी बयान कर रही हैं.
सरकार से व्यापार करने में कम दिलचस्पीःईटीवी भारत को मिली 15 राज्यों की जेम पोर्टल की एक विशेष रिपोर्ट से यह पता चला है कि उत्तर प्रदेश के एमएसएमई का ज्यादा रुझान सरकार से व्यापार करने में नहीं दिखाए दे रहा है. शायद यही वजह है कि जहां देश के सबसे बड़े सूबे में 96 लाख के करीब एमएसएमई उद्यमी है लेकिन जेम के साथ मात्र 182061 उद्यमी ही पंजीकृत हैं. जबकि उत्तर प्रदेश के सापेक्ष महाराष्ट्र में 665985 एमएसएमई उद्यमी पंजीकृत है. दिसम्बर 2024 तक के आंकड़े बताते है कि सूक्ष्म और लघु उद्यम (MSEs) श्रेणी में भी उत्तर प्रदेश से मात्र 97264 पंजीकरण हुए है.
प्रांजल यादव, सचिव- एमएसएमई विभाग (Video Credit; ETV Bharat) सरकारी विभाग जेम पोर्टल से कर रहे अधिक खरीदारीःकुछ आंकड़े यह भी दर्शाते है कि उत्तर प्रदेश में जेम पोर्टल पर व्यापार की आपार संभावनाएं है. जैसे कि उत्तर प्रदेश की बॉयर ऑर्डर वैल्यू सबसे ज्यादा 53696 करोड़ रुपए की है. इसका यह मतलब हुआ कि उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग सबसे ज्यादा जेम पोर्टल से खरीदारी करते हैं. चाहे वह स्टेशनरी जैसी छोटी वस्तु हो या फिर विभागों के लिए लक्जरी गाड़ियों की खरीद हो. यह दर्शाता है कि यहां एमएसएमई के लिए कितनी संभावनाएं है. वहीं, गुजरात भी यूपी से लगभग आधा पर 27746 करोड़ की बायर ऑर्डर वैल्यू के साथ दूसरे स्थान पर जगह बनाए हुए है. जबकि जेम पोर्टल पर सेलर रजिस्ट्रेशन में प्रथम स्थान पर काबिज़ महाराष्ट्र की बॉयर ऑर्डर वैल्यू महज़ 16927 करोड़ की ही है. इस लिस्ट में सबसे कम बायर ऑर्डर वैल्यू तमिलनाडु की है जो कि मात्र 2674 करोड़ रुपए है.
जेम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की स्थिति. (Photo Credit; MSME GEM Report) जेम पोर्टल पर एमएसएमई उद्यमियों के कम पंजीकरण के कारणःकन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (CII), यूपी चैप्टर के मेंबर अमित अग्रवाल बताते हैं कि जेम पोर्टल सरकार की तरफ से खरीदारी के लिए एक बेहतरीन और पारदर्शी व्यवस्था है. लेकिन जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, वहां कुछ तकनीकी खामियां भी आती हैं. इन खामियों का सही समय पर निस्तारण न हो पाने से उद्यमियों का विश्वास व्यवस्था से उठता है. शायद यही वजह है कि यूपी में अभी भी सूक्ष्म और लघु उद्यम में कम रजिस्ट्रेशन देखे जा रहे हैं. उद्यमियों में जानकारी का भी अभावःअमित बताते है कि कैसे अभी भी प्रदेश में कई ऐसे उद्यमी है जिनको जेम पोर्टल पर कैसे पंजीकरण किया जाए. कैसे ऑर्डर बुक किया जाए यह नहीं पता है. वहीं अमित बताते हैं की सरकारी खरीद में कई बार किन्हीं कारणों नए प्लेयर्स टेंडर प्रोसेस में शामिल ही नहीं हो पाते है और अगर किसी तरह शामिल हो भी गए तो बिना किसी उचित कारण के उन्हें टेंडर से बाहर कर दिया जाता है। इसके लिए इंडस्ट्री का सुझाव है कि जेम पोर्टल पर टेंडर प्रक्रिया को ऑटोमेटेड या फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित कर दिया जाए जिससे कि संपूर्ण पारदर्शिता हासिल हो सके।
गड़बड़ियों की यहां करें शिकायतःउत्तर प्रदेश के एमएसएमई विभाग के सचिव प्रांजल यादव बताते हैं कि सरकार के संज्ञान में यह आंकड़े हैं और पंजीकरण को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की जेम पोर्टल के संबंधन में अलग अलग श्रेणी में हासिल उपलब्धियों को भी उद्यमियों से साझा किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में 2017 से जेम को लागू किया गया है. जिसके बाद से साल दर साल इसमें सुधार किया गया है और पारदर्शिता बरती गई है. फिर भी अगर कहीं गड़बड़ियां हो रही है तो इसकी सूचना सीधे gemcellup@gmail.com पर दी जा सकती हैं. इस ईमेल पर दी गई सभी शिकायतें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हर महीने के पहले सोमवार में होने वाली समीक्षा बैठक में प्रस्तुत की जाती है. बता दें कि जेम पोर्टल रजिस्ट्रेशन एक दम मुफ्त है. इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए इसकी ट्रेनिंग भी लखनऊ में जेम कार्यालय से सीधे ली जा जलती है. यूपी के किसी भी जिले में जिला उद्योग केंद्र के माध्यम से ट्रेनिंग प्राप्त की जा सकती है.
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