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बनारस में देश का पहला मंदिर, जहां होती है अखंड भारत के मानचित्र की पूजा, महात्मा गांधी ने किया था उद्घाटन - Bharat Mata Temple in Kashi

धर्मनगरी बनारस में भारत माता का एक ऐसा अनोखा मंदिर (Bharat Mata Temple in Kashi) है, जहां अखंड भारत का नक्शा मौजूद है. यहां अखंड भारत की मूर्ति की आराधना होती है. जमीन पर भारत वर्ष का मानचित्र उकेरा गया है.

काशी में भारत माता मंदिर
काशी में भारत माता मंदिर (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 12:40 PM IST

काशी में अखण्ड भारत के मानचित्र की होती है पूजा (Video credit: ETV Bharat)

वाराणसी :धर्मनगरी काशी को मंदिरों व घाटों का शहर कहा जाता है, लेकिन आज हम आपको इस नगरी में मौजूद एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर देवी-देवताओं की नहीं बल्कि अखंड भारत के मानचित्र की पूजा की जाती है. भारत माता का यह मंदिर एक समय स्वतंत्रता आंदोलन में देश को अपने प्राण समर्पित करने वाले वीर जवानों की धार्मिक कर्मभूमि रहती थी. इसी जगह पर आकर स्वतंत्रता आंदोलन के मतवाले रणनीति बनाते थे और अपना समय बिताते थे.

जी हां, इस मंदिर को भारत माता का मंदिर कहा जाता है. यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर अखंड भारत के मानचित्र की पूजा की जाती है. बता दें कि, यह मंदिर वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के परिसर में मौजूद है. 1918 में इस मंदिर की नींव बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने रखी थी. यह 1924 में बनकर तैयार हुआ. इसके बाद 25 अक्टूबर 1936 को इस मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था. आज भी यह मंदिर अपने इस स्वरूप में विराजमान है. यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग आकर के शीश नवाते हैं और इस मंदिर की आभा को निहारते हैं.

इस बारे में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनील विश्वकर्मा बताते हैं कि इस मंदिर का अनूठा शिल्प गणितीय सूत्रों के आधार पर तैयार किया गया है. इसे बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने तैयार किया था. दुर्गा प्रसाद खत्री के देखरेख में 25 शिल्पकार और 30 मजदूरों ने इस मंदिर को 6 साल में तैयार किया था. ये सभी कारीगर स्थानीय काशी के कारीगर थे. इस मंदिर को गुलाबी पत्थरों से तराशा गया है और संगमरमर पर अखंड भारत के नक्शे को बनाया गया है.

762 पत्थरों के टुकड़े से बना है मानचित्र :उन्होंने बताया कि इस मंदिर में बना मानचित्र सामान्य मानचित्र से बिल्कुल भिन्न है. यह पत्थर के 762 टुकड़ों से तैयार किया गया है. इसमें मकराना संगमरमर पर बलूचिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका के हिस्से को बनाया गया है. इसके साथ ही 450 पर्वत श्रृंखलाएं, चोटियां, मैदान पठार, जल से महासागर, नदियां उनकी ऊंचाई के साथ बनाई गई हैं. इसके साथ ही सभी पत्थर पर उनकी ऊंचाई और गहराई के साथ नाम अंकित किया गया है. यही नहीं इसकी धरातल भूमि 1 इंच में 2000 फीट दिखाई देती है. वहीं मानचित्र की लंबाई 32 फीट 2 इंच और चौड़ाई 30 फीट 2 इंच है, जो इस मानचित्र को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है.

वंदे मातरम का क्रांतिकारी करते थे गान :इस मंदिर में प्रवेश करने के साथ ही भारतीय संस्कृति व देश प्रेम की झलक भी देखने को मिलती है. इस मंदिर के मुख्य द्वार पर राष्ट्रगीत वंदे मातरम लिखा गया है. इस बारे में प्रोफेसर विश्वकर्मा बताते हैं कि यहां पर हर दिन क्रांतिकारियों का जुटान होता था. वंदे मातरम के गीत गाया करते थे. उसके साथ ही चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, मन्मनाथ गुप्ता जैसे बड़े क्रांतिकारी इस धार्मिक स्थल पर आकर मां भारती की आराधना करते थे. यहीं पर रणनीति बनाई जाती थी और यह क्रांतिकारी का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल हुआ करता था. आज भी अपने इस वास्तविक स्वरूप में मौजूद है, वर्तमान समय में देश-विदेश से आने वाले पर्यटक भारत माता मंदिर जाकर यहां की विशेषताएं भव्यता को देखते हैं. हर साल स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर इस मंदिर को विशेष रूप से सजाकर देश के शहीद वीर सपूतों को याद किया जाता है.

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