लखनऊ : उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग की बैठक गुरुवार को आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई. इस महत्वपूर्ण बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष सोहन लाल श्रीमाली, सचिव मनोज कुमार सागर व अन्य सदस्य उपस्थित रहे. बैठक में अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों के मेल मिलाप/निष्कासन, उनके उत्थान और विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.
बैठक में सर्व सहमति से लिया गया फैसला :ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कहा कि बैठक में 18 अहम बिंदु सामने आए. इन पर सर्व सहमति से फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति के जो लोग अगड़ी जाति का सरनेम लगते हैं, उनको मूल्य जाति के आधार पर ही सरकारी नीतियों का फायदा मिल सकेगा. बैठक में यह भी बात सामने आई की पिछड़ी जाति के लोगों ने आग्रह किया था कि अगड़ी जाति में उन्हें शामिल किया जाए, लेकिन उनके इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. उन्होंने यह भी बताया कि पिछड़ी जाति के लोग अगर अगड़ी जाति का सरनेम लगते हैं तो उनको यह अधिकार हासिल है, लेकिन सरकारी सतह पर उन्हें उनके मूल्य जाति से ही फायदा पहुंचाया जाएगा. क्रीमी लेयर पर उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को अभी स्थगित कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पर चर्चा करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
'केश कला बोर्ड' के गठन का प्रस्ताव : बैठक में सर्वप्रथम 'केश कला बोर्ड' के गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया. यह मांग मनोज कटारिया द्वारा की गई, जिसमें प्रदेश के केश कला व्यवसाय से जुड़े लोगों के विकास और उनके कौशल को संरक्षित करने की आवश्यकता बताई गई. आयोग ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए शासन को 'केश कला बोर्ड' के गठन के लिए संस्तुति प्रेषित करने का निर्णय लिया. इसके अतिरिक्त, स्वर्णकार समाज की प्राचीन स्वर्ण एवं चांदी के आभूषण निर्माण कला के संरक्षण के लिए 'स्वर्ण कला आयोग' के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया, जिसे संजीव कुमार ने प्रस्तुत किया. इस प्रस्ताव को भी आयोग ने मंजूरी देते हुए शासन को संस्तुति भेजने का निर्णय लिया.