आगरा : एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमा गया है. लघुवाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में शुक्रवार को योगी यूथ ब्रिगेड के वाद सावन माह में तेजोमहालय (ताजमहल) में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग पर सुनवाई हुई. जिसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल की अधिवक्ता विवेक कुमार अदालत में पेश हुए. उन्होंने नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा. जिस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने अगली सुनवाई की तारीख 27 अगस्त दी है.
वाद में किया ये दावा : वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन् 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक शिव मंदिर बनवाया था. इसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया. राजा मानसिंह ने मंदिर को सुरक्षित रखा. बाद में मुगलों का शासन आया. मुगल शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. यहीं पर ताजमहल का निर्माण हुआ.
दावा है कि तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था तो किसी भी मृत शव को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.
मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह :वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखकर इमारत में दरारें आने की बात कही थी. यह कभी भी गिर सकती है. इसकी मरम्मत की जाए. इससे यह भी साफ है कि, कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है. मुख्य गुम्बद पर जो कलश है, वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा बना है. अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. यह भगवान शिव का चिह्न है.