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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-जामा मस्जिद विवाद, सीढ़ियों के नीचे दबे हैं भगवान, ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई आज - Agra Jama Masjid dispute - AGRA JAMA MASJID DISPUTE

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह लाकर आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए जाने का दावा किया है. मामले में ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर आज सुनवाई होगी.

आज कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है.
आज कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 8:34 AM IST

आगरा :ताजनगरी के दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद वाद की सुनवाई होगी. पिछली 31 जुलाई की सुनवाई में प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के कोर्ट में दाखिल किए गए ऑब्जेक्शन का वादी पक्ष श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने जवाब दिया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अगस्त ​दी थी. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो वाद न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन हैं.

बता दें कि न्यायालय सिविल जज (प्रवर खंड) के यहां आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को बाहर निकाले जाने की मांग का मामला चल रहा है. इसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने कोर्ट में वाद दायर करके जामा मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की है. सर्वे एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से कराने की मांग की गई है. जबकि, इस मामले में प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुनवाई को कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बताकर याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है.

अभी जीपीआर सर्वे का प्राथना पत्र विचाराधीन :वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला का कहना है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर GPR सर्वे कराने का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है. जामा मस्जिद का सच सबके सामने आना चाहिए. इसलिए, ASI सर्वे जरूरी है. एएसआई के जीपीआर सर्वे रिपोर्ट से पूरा विवाद खत्म किया जा सकता है. कोर्ट की सुनवाई में 16 जुलाई को विपक्षी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहा था. प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया है. इस पर आज भी बहस हो सकती है.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का ये है दावा :मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह को आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिए थे. कोर्ट से मांग है कि पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके बाद जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराया जाए. जिससे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाला जा सके. मेरा संघर्ष जामा मस्जिद से अपने आराध्य को ले जाने तक जारी रहेगा.

जहांआरा ने बनवाई थी जामा मस्जिद :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. इसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. मुगल बादशाह शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की पांच लाख रुपये की रकम से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था मथुरा से विग्रह और पुरावशेष :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

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