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यूपी में 8 अक्टूबर को सत्याग्रह करेंगे रोडवेज के 40 हजार संविदा कर्मचारी - UPSRTC Contract Employees Protest

यूपी रोडवेज में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी 8 अक्टूबर को सत्याग्रह करेंगे. परिवहन निगम में करीब 85 फीसदी कर्मचारी संविदा पर काम करते हैं. उनकी मांग है कि संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय 35 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाए.

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परिवहन निगम में समायोजन और वेतन निर्धारण की मांग को लेकर प्रदर्शन होगा. (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 9:17 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में समायोजन और वेतन निर्धारण समेत कई मांगों को लेकर हजारों संविदाकर्मी आठ अक्टूबर को सांकेतिक सत्याग्रह करेंगे. हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर होने वाले इस सत्याग्रह के माध्यम से करीब 40 हजार संविदाकर्मियों, आउटसोर्सकर्मियों की आवाज बुलंद की जाएगी.

संविदा चालक-परिचालक कर्मचारी संघर्ष यूनियन के महामंत्री कन्हैया लाल पांडेय ने बताया कि परिवहन निगम में मार्ग संचालन का लगभग 85 प्रतिशत सहभागिता संविदा चालकों की है. हर विषम परिस्थितियों में भी बस संचालन करके एक-एक पैसा निगम कोष में जमा करते हैं. इसके बाद भी उनके साथ प्रतिकूल व्यवहार होता है. उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में निगम में कार्यरत संविदा चालकों और परिचालकों का समायोजन किया जाता है. इसमें मुख्यालय की ओर से 35 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया गया है.

उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि आने वाली भर्तियों में वरिष्ठता के आधार पर समायोजन किया जाए. संविदा और आउटसोर्स कार्मिकों को न्यूनतम 35 हजार वेतनमान निर्धारित किया जाए. इसके अलावा संविदा श्रम सेवा नियमावली लागू करने, लंबी दूरी वाली डबल क्रू की सेवाओं में नियमित चालकों की तरह ही संविदा चालकों को भी पूरा किलोमीटर गिना जाए. नौकरी के दौरान दुर्घटना होने, सामान्य मृत्यु होने और सेवाकाल पूरा होने पर पांच लाख रुपये ग्रेच्युटी के रूप में आर्थिक सहायता दी जाए.

ईएसआई की व्यवस्था को भी लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि हमारी यह मांग लंबे समय से है. इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है. विरोध में फिलहाल सांकेतिक सत्याग्रह किया जा रहा है. इसके बाद बड़ा आंदोलन भी किया जाएगा. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी तैनात हैं. उनकी तमाम तरह की समस्याएं हैं. इसे लेकर कई बार प्रबंधन से वार्ता भी हुई लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. अब भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, इसलिए मजबूरन सड़क पर उतरने के लिए रोडवेज के संगठनों को बाध्य होना पड़ रहा है.

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