लखनऊ : 16 और 17 फरवरी को लखनऊ में देश के सभी प्रदेशों के जल नीतिकारों की जुटान में उत्तर प्रदेश न केवल इनकी मेजबानी करेगा बल्कि एक मायने में इनका अगुआ भी होगा. उत्तर प्रदेश एक सत्र में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को वह रास्ता दिखाएगा कि कैसे उसके नक्शे कदम पर चलकर जल जीवन मिशन की निरंतरता हमेशा के लिए बनाए रखी जा सकती है. जिस सत्र में उत्तर प्रदेश जल जीवन मिशन की अपनी बेस्ट प्रैक्टिस अन्य राज्यों के साथ साझा करेगा, उसकी अध्यक्षता नमामि गंगे और ग्रामीण जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव करेंगे.
कंपनियों के साथ दस साल का करार :केंद्र के सहयोग से चलने वाली योजनाओं में से ज्यादातर के साथ यह समस्या आती है कि परियोजना पूरी होने के बाद इनकी निरंतरता कैसे बनाए रखी जाएगी? इनका मेंटीनेंस कैसे होगा? उत्तर प्रदेश ने जल जीवन मिशन के लक्ष्यों में सबसे तेज आगे बढ़ने के साथ ही इस दिशा की तरफ भी काम शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश ने इस परियोजना में काम करने वाली कंपनियों के साथ दस साल का करार किया है. यह करार इस बात का है कि वे दस साल तक इस परियोजना को चलाएंगे और इसका प्रबंधन करेंगे. साथ में यह भी शर्त रखी गई है कि वे प्रबंधन और मेंटीनेंस के कामों में स्थानीय लोगों की मदद लेंगे. यही वजह है कि जल जीवन मिशन के तहत क्षेत्र विशेष के ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्हें प्लंबरिंग समेत जल आपूर्ति में इस्तेमाल होने वाले दूसरे हुनर सिखाए गए हैं. इससे एक तरफ तो लोकल स्तर पर रोजगार सृजित होगा, वहीं स्थानीय स्तर पर लोग एक अनुभवी कंपनी के साथ यह सीखेंगे कि कैसे भविष्य में काम किया जाएगा. इससे वे भी दस साल में इतना अनुभवी हो जाएंगे कि आगे काम वे बिना किसी के निर्देशन में कर सकेंगे.
परियोजना के प्रबंधन के गुर सीखेंगी समितियां :जल जीवन मिशन ने ग्रामीणों को मिलाकर जल समितियां गठित की हैं. जब तक कंपनी देखभाल करेगी, ये भी उससे जुड़े रहेंगे. अब चूंकि परियोजना का लाभ ग्रामीणों को ही मिलना है, लिहाजा वे इसका प्रबंधन संभालने के इच्छुक भी होंगे और अपनी जिम्मेदारी भी समझेंगे. दस साल तक समितियां अनुभवी कंपनियों की देखरेख में परियोजना के प्रबंधन के गुर सीखेंगी. दस साल बाद जब कंपनियों से करार पूरा हो जाएगा तो यह परियोजनाएं जल समितियों के हवाले कर दी जाएंगी.