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जल जीवन मिशन में कैसे हो बेहतर प्रदर्शन यूपी दिखाएगा रास्ता, समितियां सीखेंगी प्रबंधन के गुर

16 और 17 फरवरी को लखनऊ में होने वाले कार्यक्रम में यूपी जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के मामले में पूरे देश को दिशा दिखाएगा. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस दो दिवसीय नेशनल काॅन्फ्रेंस का उद्घाटन कर सकते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 9:27 AM IST

लखनऊ : 16 और 17 फरवरी को लखनऊ में देश के सभी प्रदेशों के जल नीतिकारों की जुटान में उत्तर प्रदेश न केवल इनकी मेजबानी करेगा बल्कि एक मायने में इनका अगुआ भी होगा. उत्तर प्रदेश एक सत्र में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को वह रास्ता दिखाएगा कि कैसे उसके नक्शे कदम पर चलकर जल जीवन मिशन की निरंतरता हमेशा के लिए बनाए रखी जा सकती है. जिस सत्र में उत्तर प्रदेश जल जीवन मिशन की अपनी बेस्ट प्रैक्टिस अन्य राज्यों के साथ साझा करेगा, उसकी अध्यक्षता नमामि गंगे और ग्रामीण जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव करेंगे.

कंपनियों के साथ दस साल का करार :केंद्र के सहयोग से चलने वाली योजनाओं में से ज्यादातर के साथ यह समस्या आती है कि परियोजना पूरी होने के बाद इनकी निरंतरता कैसे बनाए रखी जाएगी? इनका मेंटीनेंस कैसे होगा? उत्तर प्रदेश ने जल जीवन मिशन के लक्ष्यों में सबसे तेज आगे बढ़ने के साथ ही इस दिशा की तरफ भी काम शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश ने इस परियोजना में काम करने वाली कंपनियों के साथ दस साल का करार किया है. यह करार इस बात का है कि वे दस साल तक इस परियोजना को चलाएंगे और इसका प्रबंधन करेंगे. साथ में यह भी शर्त रखी गई है कि वे प्रबंधन और मेंटीनेंस के कामों में स्थानीय लोगों की मदद लेंगे. यही वजह है कि जल जीवन मिशन के तहत क्षेत्र विशेष के ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्हें प्लंबरिंग समेत जल आपूर्ति में इस्तेमाल होने वाले दूसरे हुनर सिखाए गए हैं. इससे एक तरफ तो लोकल स्तर पर रोजगार सृजित होगा, वहीं स्थानीय स्तर पर लोग एक अनुभवी कंपनी के साथ यह सीखेंगे कि कैसे भविष्य में काम किया जाएगा. इससे वे भी दस साल में इतना अनुभवी हो जाएंगे कि आगे काम वे बिना किसी के निर्देशन में कर सकेंगे.

परियोजना के प्रबंधन के गुर सीखेंगी समितियां :जल जीवन मिशन ने ग्रामीणों को मिलाकर जल समितियां गठित की हैं. जब तक कंपनी देखभाल करेगी, ये भी उससे जुड़े रहेंगे. अब चूंकि परियोजना का लाभ ग्रामीणों को ही मिलना है, लिहाजा वे इसका प्रबंधन संभालने के इच्छुक भी होंगे और अपनी जिम्मेदारी भी समझेंगे. दस साल तक समितियां अनुभवी कंपनियों की देखरेख में परियोजना के प्रबंधन के गुर सीखेंगी. दस साल बाद जब कंपनियों से करार पूरा हो जाएगा तो यह परियोजनाएं जल समितियों के हवाले कर दी जाएंगी.

बजट की व्यवस्था करने वाला पहला राज्य बना है यूपी :परियोजनाओं के प्रबंधन और उनके संचालन के लिए योगी सरकार ने बजट की व्यवस्था की है. दो हजार करोड़ रुपये इस मद में इस साल के बजट में योगी सरकार ने दिए हैं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य बनकर उभरा है, जिसने बजट का दरवाजा परियोजनाओं के प्रबंधन और उसके संचालन के लिए खोला है. जल समितियां जिस समय परियोजना टेकओवर करेंगी, उनके पास इसके प्रबंधन और संचालन के लिए अनुभव तो होगा ही, बजट भी होगा, जिससे वे इसे संचालित करेंगी.

यूपी की 90 प्रतिशत परियोजना सोलर पर :उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन की 90 प्रतिशत परियोजनाएं सोलर आधारित हैं. इससे बिजली पर आने वाला खर्च भी नहीं होगा. यह उत्तर प्रदेश के अभिनव प्रयोगों की गाथा का अहम पन्ना है. इतनी बड़ी तादाद में किसी भी दूसरे राज्य ने परियोजनाओं में सोलर पावर का इस्तेमाल नहीं किया है.

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री कर सकते हैं कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन :केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लखनऊ में होने वाली दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन कर सकते हैं. कार्यक्रम में यूपी के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद रहेंगे. इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश के सभी प्रदेशों के जलशक्ति विभाग के प्रमुख सचिवों और डायरेक्टरों की जुटान होगी. दो दिन की चर्चा में राष्ट्रीय स्तर पर नीति तैयार करने की राह तलाशी जाएगी.

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