प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बालिग साली और जीजा के बीच सहमति से बना संबंध अनैतिक है, लेकिन इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता. कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए लगभग छह माह से जेल में बंद आरोपी जीजा को सशर्त जमानत दे दी. यह आदेश न्यायामूर्ति समीर जैन की पीठ ने कुशीनगर के कोतवाली हाटा निवासी आरोपी की अर्जी पर दिया.
आरोपी पर कोतवाली हाटा में दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोपी ने अपनी साली को शादी करने का झूठा वादा करके भगा ले गया और उसके साथ संबंध बनाया. आरोपी 16 जुलाई 2024 से जेल में है. जमानत के हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. आवेदक के वकील ने दलील दी कि वर्तमान मामले में आवेदक को झूठा फंसाया गया है, पीड़िता वयस्क है. दोनों के बीच सहमति से संबंध बने हैं. पीड़िता ने पहले बयान में आरोपों से इन्कार किया था. बाद में अपना बयान बदल दिया. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद इसे दुष्कर्म के बजाय अनैतिक संबंध मानते हुए जमानत अर्जी स्वीकार कर ली.
दुष्कर्म के आरोपी ने कहा- डीएनए जांच में बच्चा मेरा तो अपना लूंगा, कोर्ट ने दी जमानत
रेप से जुड़े एक दूसरे मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया है. पीड़िता के अनुसार आवेदक बच्चे का पिता है. वहीं, आवेदक कहना है कि पीड़िता की पहले किसी अन्य व्यक्ति के साथ भी शादी हुई थी. अत: निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि बच्चे का पिता आवेदक ही है. पूरक हलफनामा में आवेदक ने कहा कि डीएनए जांच में यदि बच्चा उसका पाया जाता है तो वह पीड़िता व बच्चे को अपना लेगा. इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने आवेदक को जमानत अर्जी स्वीकार कर ली. यह आदेश न्यायामूर्ति समीर जैन की पीठ ने प्रयागराज के थाना मांडा के आरोपी की अर्जी पर दिया.
आवेदक पर प्रयागराज के थाना मांडा में दुष्कर्म, पाॅक्सो सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप था कि उसने पीड़िता से शादी का झूठा वादा कर संबंध बनाया. जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो उसने शादी करने से इन्कार कर दिया. आवेदक डेढ़ साल से जेल में है. उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. आवेदक के वकील ने दलील दी कि झूठे आरोप के आधार पर आरोपी बनाया गया है. एफआईआर जब दर्ज कराई गई तो पीड़िता की उम्र 17 साल 10 महीने थी, यानी वह वयस्क होने की कगार पर थी. पीड़िता के बयानों से पता चलता है कि वह सहमति देने वाली पार्टी थी. पीड़िता की मां के बयान से यह पता चलता है कि उसकी शादी पहले किसी अन्य व्यक्ति के साथ हुई थी. ऐसे में बच्चा आवेदक का है यह नहीं कहा जा सकता. यह भी दलील दी कि डीएनए जांच में बच्चा आवेदक का पाया गया तो वह उसे व पीड़िता को अपना लेगा. न्यायालय ने इन तथ्यों का संज्ञान लेते हुए आरोपी की सशर्त जमानत अर्जी मंजूर कर ली.
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