मेरठ :'पलट देते हैं हम मौजे-हवादिस अपनी जुर्रत से कि हमने आंधियों में भी चिराग अक्सर जलाए हैं.मुजफ्फरनगर के रहने वाले लघु फिल्म निर्माता अखिलेश वर्मा ने क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के इन अलफाजों को अपने जीवन में उतार लिया है. हादसे में अपने पैर गंवाने के बावजूद उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया. वह लघु फिल्मे बनाते हैं. इसके जरिए वह अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. उनकी कई शॉर्ट फिल्मे देश के अलावा विदेश में भी प्रदर्शित हो चुकी हैं. कभी इंजीनियर बनने का ख्वाब देखने वाले अखिलेश मौजूदा समय में फिल्म निर्माण पर मेरठ से पीएचडी कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने अपने इस सफर को लेकर खुलकर बातचीत की.
अखिलेश ने बताया कि उनकी मां पुष्पा और पिता मुकेश वर्मा ने साल 2011 में एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा में बीटेक-एमटेक डुएल डिग्री कार्यक्रम में उनका दाखिला कराया था. उन्हें थिएटर में रूचि थी. इसकी वजह से उनका मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में नहीं रमा. इसके बाद वह लघु फिल्मों के निर्माण में जुट गए. इसी क्षेत्र में वह कड़ी मेहनत करने लगे. वह आगे बढ़ ही रहे थे कि बाइक से जाते समय हादसे के शिकार हो गए. इसमें उन्हें अपना दायां पैर गंवाना पड़ा.
एक साल तक अखिलेश अस्पताल में रहे. अपनों के द्वारा किया गया सपोर्ट और खराब हालत ने उन्हें और मजबूत बना दिया. अखिलेश ने बताया कि माता-पिता ने कभी उन्हें अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोका. वह लगातार हौसला बढ़ाते रहे. 20 हजार रुपये की लागत से दोस्तों के साथ मिलकर 'गाइ इन द ब्लू' नाम से एक शॉर्ट फिल्म बनाई थी. फिल्म को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भेजा गया. फिल्म के नॉमिनेट का मेल भी उन्हें प्राप्त हुआ था. इस शॉर्ट फिल्म को लोगों ने खूब प्यार दिया.