उद्यान विभाग ने लीची पर नया शोध किया है. (VIDEO Credit; Etv Bharat) कानपुर : गर्मी के मौसम में तरबूज-खरबूजा जैसे फल मिठास देने के साथ ही आमजन को गर्मी से राहत देने का काम करते हैं. वहीं, फलों का राजा आम भी लोगों की पहली पसंद बना रहता है. इसी सीजन में सबसे अलग स्वाद वाली लीची भी बाजार में खूब बिकती है. उत्तर भारत में पिछले कुछ सालों से जो किसान लीची की खेती कर रहे हैं, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे किसानों की दिक्कतों को दूर करने के लिए शहर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) के उद्यान विभाग में शोध किया गया. इसके नतीजों पर अमल कर लीची की पैदावार को दोगुना किया जा सकता है.
उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वीके त्रिपाठी ने बताया कि कुछ बातों को ध्यान रखकर अच्छी पैदावार ली जा सकती है. अगर किसान पौधों पर सीधे पानी का छिड़काव करें और पौधों में नमी के लिए पुआल बिछा दें तो निश्चित तौर पर पेड़ लीची के फलों से लद जाएगा. परंपरागत खेती के अलावा किसानों को नई तकनीकों पर ध्यान देना चाहिए.
एक लीटर पानी में मिलाएं 40 ग्राम नेप्थिलिन एसिटिक एसिड :ईटीवी भारत से बातचीत में डॉ. वीके त्रिपाठी ने बताया कि किसान चाहें तो एक लीटर पानी में 40 ग्राम नेप्थिलिन एसिटिक एसिड व 4 ग्राम जिंक सल्फेट व 5 ग्राम बोरेक्स को मिलाकर भी पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं. इससे फलों के फटने की जो समस्या रहती है, वह पूरी तरह से दूर हो जाएगी. फल आकार में बड़े होंगे. पौधे सूखेंगे भी नहीं.
देशभर के किसानों को भेजे जाएंगे लीची के पौधे :डॉ.वीके त्रिपाठी ने बताया कि सीएसए के गार्डन में लीची की कलकतिया, बेदाना समेत अन्य राज्यों में पाई जाने वाली प्रजातियों के पौधों को तैयार किया गया है. किसानों से लेकर आम जन तक इन पौधों को अपने यहां रोपित कर सकते हैं. लीची के फलों का स्वाद ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस सीजन में देश के कई राज्यों में हम पौधे भेजेंगे.
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