आगरा :ताजनगरी में बंदरों का आतंक है. कॉलोनियों और बस्ती के साथ ही ताजमहल, आगरा किला, रेलवे स्टेशन, बाजारों के अलावा अस्पतालों में आए दिन बंदर किसी न किसी पर हमला करते रहते हैं. इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. कई लोग घायल भी हो चुके हैं. इसे देखते हुए नगर निगम ने यूपी के पहले मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर के लिए डीपीआर तैयार की है. इसका निर्माण सिकंदरा क्षेत्र के स्वामी मुस्तकिल में पांच एकड़ भूमि पर होगा. इस पर करीब 14 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
ताजमहल, ताजगंज क्षेत्र, एकलव्य स्टेडियम, मधु नगर, राजमंडी क्षेत्र, एसएन मेडिकल कॉलोनी, मंटोला, बिजलीघर, सिकंदरा स्मारक, रामबाग, नुनिहाई, बेलनगंज,फ्री गंज, कलेक्ट्रेट, पुलिस लाइन, मंटोला, रावली क्षेत्र समेत शहर की तमाम कॉलोनी और बस्तियों में बंदरों का आतंक है. नगर निगम के मुताबिक, शहर में करीब 90 हजार बंदर हैं. इनका आतंक हर दिन बढ़ रहा है. इससे जिला अस्पताल या मिनी क्लीनिक पर बंदरों के काटने से घायल लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं.
पुराने शहर के कई घर बन गए पिंजरे :आगरा के पुराने शहर बेलनगंज, भैंरो बाजार, माईथान, रावतपाड़ा, दरेसी, छत्ता, मोतीगंज, हॉस्पिटल रोड, मोती कटरा, नूरी गेट, किनारी बाजार, घटिया आजम खां, यमुना किनारा रोड, जीवनी मंडी, लंगडे की चौकी, एसएन मेडिकल कॉलेज, राजा की मंडी, लोहामंडी, शाहगंज, मंटोला, बिजलीघर क्षेत्र, रकाबगंज के घर बंदरों के आतंक के कारण पिंजरे में बदल चुके हैं. लोगों ने घर के बरामदे, छतों और बालकनी को लोहे के जाल से बंद करा लिए हैं. हालात ऐसे हैं कि, यदि मकान का गेट खुला मिल गया तो 150 से 200 से ज्यादा बंदर का झुंड घर में घुस आता है.
बंदरों के उत्पात से लोग परेशान :ताजमहल, आगरा किला, सिकंदरा स्मारक, एत्माउददौला, रामबाग स्मारक में भी बंदरों का आतंक है. बंदर यहां पर घूमने आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों को आए दिन हमला करके चोटिल कर रहे हैं. बीते दिनों ही ताजमहल पर बंदरों ने एक पर्यटक पर हमला बोलकर चोटिल कर दिया. ऐसे ही राजामंडी रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों पर बंदर हमला कर देते हैं. शहर के बीचों बीच स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी, तमात वार्डों के साथ ही लेडी लायल अस्पताल में भी मरीज और तीमारदारों के साथ ही डॉक्टर्स पर भी हमला कर देते हैं. खूब तोड़फोड़ भी करते हैं. जबकि, नगर निगम की ओर से 100 जगह शहर में लंगूरों के कटआउट लगाए गए हैं. मगर, इसका कोई फायदा नहीं हुआ है. जबकि, नगर निगम सदन में बंदरों के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने को कई बार प्रस्ताव बने और हंगामा हुआ है.