मिर्जापुर : जिले के पड़री थाना क्षेत्र के कठिनई गांव के श्रीराम जानकी मंदिर से चोरी हुई अष्टधातु की मूर्तियों को पुलिस ने बरामद कर लिया है. पुलिस ने मूर्ति के साथ चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बरामद मूर्ति की कीमत करीब 30 करोड़ 10 लाख रुपये बताई जा रही है. बता दें कि 14 जनवरी को मंदिर के बाबा बंशीदास ने मूर्ति चोरी होने के संबंध में तहरीर दी थी.
अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन ओपी सिंह ने खुलासा करते हुए बताया कि सर्विलांस, एसओजी व थाना पड़री की संयुक्त पुलिस टीम ने मुखबिर से मिली सूचना पर बोलेरो सवार वादी वंशीदास, लवकुश पाल, मुकेश कुमार सोनी व रामबहादुर पाल को गिरफ्तार किया है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गये आरोपियों के पास से चोरी की बेशकीमती अष्टधातु की प्राचीन मूर्ति बरामद की गई है. उन्होंने बताया कि मूर्तियों के साथ ही दो मुकुट, एक हार व एक मछलीनुमा कुंडल सहित पीली धातु को बरामद किया गया है. उन्होंने बताया कि चोरी की घटना में प्रयुक्त बोलेरो का नंबर प्लेट बदल दिया गया था.
अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी वंशीदास ने बताया कि वह लगभग तीन वर्षों से मंदिर की देखरेख कर रहा है. मंदिर के स्वामित्व को लेकर मेरे गुरू महराज जयरामदास व सतुआ बाबा के बीच पूर्व से विवाद चल रहा है. जब विवाद की मुझे जानकारी हुई तो मैं जयरामदास की मदद में आ गया. उन्होंने मुझसे वादा किया था कि सतुआ बाबा से विवाद खत्म होने पर सारी सम्पत्ति का स्वामी तुम्हे बना दूंगा. उन्होंने बताया कि पूछताछ में आरोपी ने बताया कि 2 माह पहले मुझे यह जानकारी हुई कि यह गद्दी मुझे न देकर अपने भतीजे को देना चाहते हैं, तभी मैंने प्लान किया कि मंदिर की अष्टधातु की बेशकीमती मूर्ति चोरी कर बेचकर मैं कहीं दूर जाकर एक अपना अलग मठ बना लूंगा.
अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन के मुताबिक, वंशीदास ने अपने वाहन चालक लवकुश पाल के साथ मुकेश कुमार सोनी, रामबहादुर पाल सहित अन्य साथियों को रामजानकी मंदिर कठिनई दर्शन के बहाने लाकर मूर्तियों को दिखाया. मूर्ति की पहचान अष्टधातु के रूप में होने के बाद अपने साथियों के साथ मिलकर मूर्तियां चोरी कर हाईमाई पहाड़ी मंदिर के पीछे छुपा दिया गया था. जिसे लेने के लिए आये थे और पकड़े गए. उन्होंने बताया कि बंशीदास दसोपुर थाना कोईरोना भदोही का रहने वाला है. लवकुश पाल भदोही, मुकेश कुमार सोनी, प्रतापगढ़ और रामबहादुर पाल प्रयागराज का रहने वाला है. बता दें कि एसपी सोमेन वर्मा ने चोरी की घटना का अनावरण करने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन ओपी सिंह एवं क्षेत्राधिकारी सदर अमर बहादुर के नेतृत्व में सर्विलांस, एसओजी व थानाध्यक्ष पड़री को निर्देश दिया था.
अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन ने बताया कि, 1987 में मूर्ति चोरी को लेकर हत्या कर दी गई थी. बाद में मूर्ति को वाराणसी ले जाकर रखा गया था. फिर 2007 में मूर्ति को लाकर मंदिर में विराजमान कर दिया गया था. 52 बीघा जमीन भी मंदिर के नाम है, जिसको लेकर विवाद चल रहा है.
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