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यूपी बोर्ड: 1.20 करोड़ कॉपियों की चेकिंग ठप; 10वीं-12वीं के 55 लाख स्टूडेंट्स का रिजल्ट होगा लेट - up board copy evaluation

यूपी बोर्ड के लखनऊ में पांच समेत प्रदेश के 259 मूल्यांकन केंद्रों पर शनिवार से मूल्यांकन कार्य ठप रहेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 23, 2024, 9:21 AM IST

Updated : Mar 23, 2024, 4:25 PM IST

लखनऊ: यूपी बोर्ड के लखनऊ में पांच समेत प्रदेश के 259 मूल्यांकन केंद्रों पर शनिवार से मूल्यांकन कार्य ठप हो गया. करीब 1.20 करोड़ कॉपियों का मूल्याकंन अभी भी बाकी है. ऐसे में शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से यूपी बोर्ड के रिजल्ट पर इसका असर पड़ सकता है. अप्रैल के पहले हफ्ते में यूपी बोर्ड का रिजल्ट आना है, शिक्षकों के फिर से हड़ताल पर चले जाने से इसके और लेट होने की संभावना जताई जा रही है. वहीं, शिक्षक संगठनों ने मिलकर शुक्रवार देर रात को इसका ऐलान किया और अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की. राजकीय शिक्षक संघ के आह्वान पर प्रदेश के सभी शिक्षक संगठनों ने यह फैसला लिया. संघ द्वारा 19 मार्च को सरकार एवं विभाग को दिए गए मांगपत्र पर तीन दिन बाद भी कोई फैसला न लेने के चलते यह निर्णय लिया गया.

बता दें कि इस बार यूपी बोर्ड की कुल तीन करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन कार्य 31 मार्च तक पूरा होना था. अभी तक 60 फीसदी ही मूल्यांकन हुआ है. 1.20 करोड़ कॉपियों का मूल्यांकन अभी भी बाकी है. शिक्षकों ने आंदोलन के चलते सरकार को 22 मार्च तक की मोहलत दी थी. मांग पूरी न होने पर 23 मार्च से शिक्षक फिर से हड़ताल पर चले गए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि हड़ताल के चलते यूपी बोर्ड का रिजल्ट लेट होने की संभावना है. बता दें कि यूपी बोर्ड दसवीं और इंटर का रिजल्ट अप्रैल के पहले हफ्ते में घोषित होना था. आंकड़ों के मुताबिक इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में करीब लाख छात्र-छात्राएं बैठे थे.

वहीं, संघ के प्रांतीय महामंत्री सत्य शंकर मिश्र ने बताया कि प्रयागराज के राजकीय इंटर कॉलेज में सभी शिक्षक संगठनों ने मिलकर यह फैसला लिया. उन्होंने जानकारी दी कि वाराणसी से मुजफ्फरनगर गए शिक्षक धर्मेंद्र कुमार की सुरक्षा में लगे पुलिस आरक्षी ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी. जिसके विरोध में 18 मार्च को प्रदेश भर में सांकेतिक तौर पर मूल्यांकन बहिष्कार का हुआ था. इसके बाद 19 मार्च को सभी संगठनों ने बैठक कर पांच बिन्दुओं का मांगपत्र यूपी बोर्ड सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया था. शिक्षक संगठनों ने सरकार एवं विभाग को तीन दिन का समय दिया था.


शुक्रवार तक सरकार एवं विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके विरोध में उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट), उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट), उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट), उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चेतनारायण), उप्र माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक संघ, राजकीय शिक्षक संघ उप्र (बीपी सिंह गुट), राजकीय शिक्षक संघ उप्र (पांडेय गुट), प्रधानाचार्य परिषद उप्र एवं अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रांतीय प्रतिनिधियों ने बैठककर प्रदेश के सभी 259 मूल्यांकन केंद्रों पर पूरी तरह मूल्यांकन बहिष्कार का फैसला लिया.


पारिश्रमिक दरों में 33 फीसदी बढ़ोत्तरी न मिलने से शिक्षक नाराज

यूपी बोर्ड मूल्यांकन पारिश्रमिक बढ़ाने का प्रस्ताव शासन में लंबित है. इसे लेकर शिक्षकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शिक्षकों को बढ़ी हुई दरों से पारिश्रमिक मिलेगा या नहीं, इसे लेकर भी संशय बन रहा है. इधर, मूल्यांकन कार्य धीरे-धीरे पूरा हो रहा है. शिक्षकों को यह समस्या आ रही है कि वह किस दर से मूल्यांकन बिल लगाये? इन्हीं बातों को लेकर शिक्षक संघ ने एक बैठक कर सरकार से मूल्यांकन पारिश्रमिक बढ़ाये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए शासनादेश जारी करने की मांग की है. उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट ने बीते 13 मार्च को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, पार्क रोड पर प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगें रखी थी. इसमें सिटीजन चार्टर लागू करने, मूल्यांकन पारिश्रमिक बढ़ाने समेत तमाम मांगें शामिल थीं.

निदेशक बोले- मांगों को लोकर कमेटी बनाई

निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ महेंद्र देव राय ने संघ की मांगों को स्वीकार करते हुए कई बिन्दुओं पर कमिटी गठित कर दी. वहीं, मूल्यांकन पारिश्रमिक सीबीएसई के बराबर न देकर 33 फीसदी बढ़ाने पर सहमति बनाते हुए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया. संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने बताया कि शिक्षक पारिश्रमिक के मामले में शासनादेश जारी होने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, अब शिक्षकों के सब्र का बांध टूट रहा है. शिक्षकों को मूल्यांकन बिल भी उप प्रधान परीक्षक को प्रस्तुत करने हैं. सोहन लाल वर्मा ने बताया कि शासनादेश न जारी होने को लेकर संघ के रायबरेली रोड स्थित प्रधान कार्यालय पर आकस्मिक बैठक बुलाई गई. जिसमें पदाधिकारियों और शिक्षकों ने निर्णय लिया कि यदि जल्द ही सरकार पारिश्रमिक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देगी तो शिक्षक दोबारा आंदोलन कर मूल्यांकन बहिष्कार करेंगे. संगठन ने सरकार से जल्द पारिश्रमिक संबंधित शासनादेश निर्गत करने की मांग की है.

आगरा में शिक्षकों ने नहीं जांची एक भी कॉपी: आगरा में बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का शिक्षकों ने बहिष्कार कर दिया है. मुजफ्फरनगर में शिक्षक धर्मेन्द्र की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश के शिक्षकों ने आश्रित परिवार के लिए सरकार के आगे आश्रित परिवार को 1 करोड़ रुपया अनुदान और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग रखी थी. लेकिन मांग पूरी न होने पर शिक्षकों ने आगरा में मूल्यांकन कार्य पूरी तरह ठप कर दिया है. उत्तर प्रदेश के सभी मूल्यांकन केंद्रों पर कार्य बहिष्कार कर दिया गया है. जिसमें आगरा के भी पांच मूल्यांकन केंद्र शामिल हैं.

राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री एसएस मिश्रा ने बताया कि निदेशक से मुलाकात के बाद जितनी मांगे रखी गई थी. वह पूरी नहीं हुई है, जिसके बाद लखनऊ के सभी पांचों मूल्यांकन केद्रों पर शनिवार को मूल्यांकन ठप कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर 25 मार्च तक सरकार उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं करती है तो 26 मार्च से शिक्षक अनिश्चिकालीन बहिष्कार पर चले जाएंगे. इसके लिए शिक्षा निदेशक और सरकार दोषी होंगे.

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Last Updated : Mar 23, 2024, 4:25 PM IST

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