पटना: जीतन राम मांझी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. महागठबंधन में मांझी जब नीतीश कुमार के साथ थे तब नीतीश कुमार ने उन पर पार्टी को जदयू में विलय करने का दबाव बनाया था. तब मांझी महागठबंधन छोड़कर एनडीए के साथ आ गए थे. आज मांझी खुद एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. ऐसे में मांझी का पुरानी बात को लेकर नीतीश को घेरने पर जेडीयू नेताओं को अटपटा लग रहा है, हम नेताओं को भी कोई जवाब नहीं सूझ रहा है.
नीतीश पर निशाना, बीजेपी की तारीफ: जीतन राम मांझी का केंद्र में मंत्री बनने के बाद उनकी पार्टी की ओर से पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में अभिनंदन किया गया था. इसी मौके को जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को घेरने में भुनाया. नीतीश कुमार से जुड़े दो वाक्ये का जिक्र जीतन राम मांझी ने किया. जीतन राम मांझी ने जिस प्रकार से नीतीश कुमार को लेकर बातें कहीं है, उनके पार्टी के नेता को भी अब जवाब देते नहीं बन रहा है. हम के विधायक अनिल कुमार जीतन राम मांझी का बचाव करते हुए कह रहे हैं कि जीतन राम मांझी नीतीश कुमार की हमेशा तारीफ करते हैं. ऐसी तो कोई बात उस समय मांझी जी ने नहीं कहा था.
मांझी के 'तारीफ' में क्या है?: जदयू और बीजेपी के नेता जीतन राम मांझी के बयान से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. जदयू के विधायक डॉ संजीव का कहना है उन्होंने इस तरह का बयान क्यों दिया यह तो वही बता सकते हैं. मंत्री बनने के बाद आखिर इस तरह का बयान देने का क्या मतलब है? वहीं भाजपा के मंत्री प्रेम कुमार का कहना है क्या अंदरूनी मामला है? इसको मांझी जी ही बेहतर बता सकते हैं.
एनडीए एकजुट है? : हालांकि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि एनडीए एकजुट है और हम लोग 2025 में मजबूती से एक साथ चुनाव लड़ेंगे. एनडीए में किसी दल के नेता को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए जिससे NDA में मुश्किल पैदा हो. वहीं, माले विधायक सदानंद का कहना है ''जीतन राम मांझी कभी इधर जाते हैं, कभी उधर जाते हैं. इन लोगों के बीच क्या चल रहा है, यह तो बेहतर वही लोग बता सकते हैं. हो सकता है उनसे पच नहीं रहा होगा.''
नीतीश कुमार पर दबाव की रणनीति : जीतन राम मांझी कई मौकों पर अपने बयान के कारण चर्चा में रहे हैं. विशेष राज्य के दर्जे पर ही जदयू नेताओं के बयान से अलग जीतन राम मांझी कहते रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा बिहार को नहीं मिल सकता है. जीतन मांझी 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर भी अभी से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. 2015 में जब एनडीए में थे तब 30 सीटों पर चुनाव लड़े थे और उसका भी जिक्र कर रहे हैं. एक तरह से नीतीश कुमार पर राजनीतिक तौर पर अभी से ही दबाव बनाने की रणनीति में लग गये हैं.
जेडीयू खेमे में मांझी के बयान से नाराजगी: जीतन राम मांझी महागठबंधन से तब अलग हुए थे जब नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी को जदयू में विलय करने के लिए कहा था. ललन सिंह ने ने भी उस समय तीखा बयान दिया था. बाद में जीतन राम मांझी एनडीए में चले आए, हालांकि नीतीश कुमार की भी एनडीए में वापसी हो गई. दोनों के बीच गिला शिकवा भी दूर हो गया, लेकिन अचानक मांझी के बयान से जदयू खेमे में नाराजगी है. जदयू के नेता भले ही खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन ऑफ कैमरा साफ कह रहे हैं कि इस तरह सार्वजनिक तौर पर पुरानी बातों की चर्चा करना कहीं से उचित नहीं है.
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