पटना: बिहार में नीतीश सरकार बड़े पैमाने पर नौकरी और रोजगार देने की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ नेशनल करियर सर्विस एनसीएस पोर्टल पर बिहार के बेरोजगारों के रजिस्ट्रेशन कराने की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2023 में यह संख्या 16 लाख के करीब थी जो 2024 में बढ़कर 18 लाख से अधिक हो गयी. बिहार के बेरोजगारों में पीएचडी धारी से लेकर कम पढ़े लिखे लोग भी शामिल हैं. नेशनल करियर सर्विस पोर्टल के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बिहार में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. सरकार को कृषि और स्मॉल इंडस्ट्री के क्षेत्र में रोजगार क्रिएट करना होगा.
बढ़ रही है बेरोजगारों की संख्याः नीतीश सरकार ने 2020 में 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था. तेजस्वी यादव ने भी नौकरी और रोजगार को बड़ा मुद्दा बनाया था. बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि 5 लाख से अधिक नौकरियां नीतीश सरकार के कार्यकाल में दी गई है. 12 लाख से अधिक सरकारी नौकरी एक साल में देने वाले हैं. वहीं 20 लाख से अधिक रोजगार दिया जा चुका है और बड़े पैमाने पर बिहार में रोजगार लोगों को मिल रहा है. लेकिन सरकार के दावे से उलट नेशनल करियर पोर्टल पर बिहार के बेरोजगार जिस प्रकार से नौकरी मांग रहे हैं वह चौंकाने वाले हैं.
कंपनियों को स्किल्ड वर्कर चाहिएः नेशनल करियर सर्विस पोर्टल में देश भर में एक करोड़ से अधिक वैकेंसी है. जबकि नौकरी मांगने वालों की संख्या 87 लाख ही है. 2023 में पोर्टल पर केवल 34 लाख 81944 नौकरियां ही थी, लेकिन उसमें 2024 में 214 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. नौकरी मांगने वाले बेरोजगारों की संख्या 53 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. 2023 में 525748 बेरोजगारों ने पूरे देश में नौकरी मांगी थी इस साल यह बढ़कर 87 लाख 20900 हो गया है. पूरे देश के स्तर पर देखें तो पोर्टल पर नौकरियां अधिक है उसके मुकाबले बेरोजगारों की संख्या कम है. जानकार कहते हैं नौकरी मांगने वाले वैसे बेरोजगार की संख्या अधिक है, जिनकी जरूरत कंपनियों को नहीं है.
एजुकेशन सिस्टम में करना होगा सुधारःअर्थशास्त्री एन के चौधरी का कहना है बेरोजगारी, बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है. सरकार के लिए और राजनीतिक दलों के लिए चैलेंज भी है. एनके चौधरी का कहना है बेरोजगारी उस सेगमेंट से है जो मिडिल का क्लास से जुड़ा हुआ है, जो पढ़े लिखे हैं और जो युवा है तो राजनीतिक हलचल मचाने वाला होता है. एनके चौधरी का यह भी कहना है कि बिहार का एजुकेशन सिस्टम रोजगार पैदा करने में सक्षम नहीं है. उसको बेहतर बनाने की जरूरत है. साथ ही जहां खाली पद है सरकार के स्तर पर या फिर निजी स्तर पर उसे भी तेजी से भरने की आवश्यकता है. बेरोजगारी को कम किया जा सकता है.
बिहार में क्वालिटी एजुकेशन की जरूरतः एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट पटना के प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है पूरे देश में जॉब की समस्या है. केंद्र सरकार के नेशनल पोर्टल के माध्यम से बिहार के युवा भी अधिक से अधिक रोजगार पाना चाहते हैं इसलिए वहां रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. बिहार में बेरोजगारी तो लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है. बिहार सरकार को कृषि और स्मॉल इंडस्ट्री में अधिक से अधिक रोजगार कैसे क्रिएट हो इस पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए विशेषज्ञों से बिहार सरकार स्टडी भी करवा सकती है. विद्यार्थी विकास का कहना है क्वालिटी एजुकेशन भी महत्वपूर्ण मायने रखता है.