उज्जैन: सावन के तीसरे सोमवार को महाकालेश्वर भगवान की सवारी, अपनी प्रजा का हाल चाल जानने के लिए निकली. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पूजन के बाद शाही सवारी को रवाना किया गया. महाकाल की सवारी में आदिवासी संस्कृति और कला का शानदार नमूना भी देखने को मिला. 1500 डमरू के धुन से पूरा महाकाल लोक गूंज उठा.
गरूड़ रथ पर सवार होकर निकले महाकाल
भगवान महाकाल की सवारी निकलने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया. मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और नागरिक आपूर्ति और खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने महाकाल की पूजा की. इसके बाद महाकालेश्वर शाही सवारी से अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकले. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा सलामी दी गई.
एक साथ 1500 डमरू बजाए गए