रांची: जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा 24 दिसंबर को आयोजित डीलिस्टिंग रैली के जवाब में रविवार विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा मोरहाबादी मैदान में आदिवासी एकता रैली का आयोजन किया गया, जिसमें कई आदिवासी संगठनों के लोग शामिल हुए. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष शिवाजी राव मोहले भी शामिल हुए और कहा कि आरएसएस और बीजेपी द्वारा धर्म बदलने वाले आदिवासियों को दी जाने वाली सुविधाएं खत्म करने की घिनौनी साजिश रची जा रही है, इसलिए सभी आदिवासियों को इसके खिलाफ एकजुट रहना होगा.
शिवाजी राव मोहले ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए वन अधिकार कानून को आज कमजोर किया जा रहा है. केंद्र में हमारी सरकार बनी तो आदिवासियों को वनवासी कहने पर सजा देने का कानून बनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि वह आदिवासी हैं. पूरे देश में 16 करोड़ आदिवासी हैं जिनके अधिकारों का हनन हो रहा है. दिल्ली में राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनेगी तो आदिवासियों का राज होगा.
'केंद्र सरकार आदिवासी विरोधी':पूर्व सांसद प्रदीप कुमार बलमुचू ने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासी विरोधी है. ये इसका ताजा उदाहरण है, हेमंत सोरेन को परेशान करना. प्रदीप बलमुचू ने कहा कि मणिपुर जैसी घटना हुई लेकिन प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के लिए एक शब्द भी नहीं कहा. उन्होंने मणिपुर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर जैसी घटना झारखंड में भी हो सकती है. इसलिए हम सभी आदिवासियों को एकजुट रहना होगा. 2024 के लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों को हराना होगा.
आदिवासी एकता महारैली की अध्यक्षता कर रहे लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि केंद्र सरकार देश में आदिवासियों के तमाम मुद्दों और संविधान द्वारा आदिवासियों को मिले सुरक्षा कवच को कमजोर कर रही है. भाजपा सरकार जल, जंगल, जमीन, समाज और अखाड़ा को खत्म करना चाहती है, जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा. हम किसी से भीख नहीं मांग रहे हैं, पेसा कानून,वनाधिकार सहित जो कुछ कानून में लिखा है वह आदिवासियों को दे दो. भाजपा के 12 सांसद सरना धर्म कोड की मांग क्यों नहीं करते?