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मर्म चिकित्सा के जरिए कई गैर संक्रामक बीमारियों का इलाज संभव: डॉ. एसके जोशी

Marma Chikitsa: दिल्ली एम्स में मर्म चिकित्सा को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञ डॉ. एसके जोशी ने बताया कि मर्म चिकित्सा के माध्यम से खुद को स्वस्थ रखने की प्राकृतिक क्षमता को तेज किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

Marma Chikitsa
Marma Chikitsa

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 11, 2024, 1:27 PM IST

डॉ. एसके जोशी

नई दिल्ली: पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के तहत आने वाले मर्म चिकित्सा के जरिए कई गैर संक्रामक बीमारियों का इलाज संभव है. यहां तक कि स्ट्रोक व हार्ट अटैक जैसे मामलों में इस विधि से कहीं पर भी प्राथमिक उपचार दे कर मरीजों की जान बचाई जा सकती है. दिल्ली एम्स में मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. एसके जोशी ने यह जानकारी दी कि इस विधा से एम्स में भी इलाज करने की योजना बनाई जा रही है.

उन्होंने कहा कि मर्म चिकित्सा के बारे में देश के 12 विश्वविद्यालयों में शिक्षा व प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं पोलैंड, जापान सहित कई देशों में इसपर काम भी किया जा रहा है. व्यक्ति का शरीर खुद को स्वस्थ रखने की प्राकृतिक क्षमता रखता है. सभी के शरीर के कुछ अहम बिंदु होते हैं, जिसे मर्म बिंदु कहते हैं. इन बिंदुओं पर कुछ देर का दबाव के जरिए, खुद को स्वस्थ रखने की प्राकृतिक क्षमता को तेज किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर रावण का मर्म बिंदु उसकी नाभी थी, जहां बाण लगने से उसकी मृत्यु हुई. प्राचीन विज्ञान पर वह तीस साल से काम करके नतीजे देख रहे हैं. साथ वह इसे लेकर आंकड़े भी जुटा रहे हैं. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और और आसपास के तंत्रिका तंत्र के जरिए शरीर के ठीक होने की क्षमता को तेज करने के इस विज्ञान को ऐसे समझा जा सकता है, जैसे रिमोट सेंसिंग के जरिए कहीं से भी कोई डिवाइस चलाई जाती है.

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डॉ. जोशी ने आगे बताया कि शरीर के अगल अलग हिस्सों में फैले इन बिंदुओं को दबाकर सेरिब्रलपाल्सी, स्ट्रोक, बीपी, हार्ट अटैक, टूटी हड्डी को जोड़ने जैसे मामलों में मरीजों को फायदा होता है. हमने यह देखा है कि अगर इसपर सही से काम किया जाए, तो स्ट्रोक या हार्ट अटैक के मरीज की तुरंत जान बचाने के लिए जरूरी प्राथमिक चिकित्सा की जा सकती है. वहीं आंख, कान, नाक व गले के तमाम विकारों को भी इन बिदुओं पर दबाव देकर ठीक किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना ने दिखा दिया है कि सभी इलाज पद्धतियों को समेकित करके ही लोगों को बचाया जा सकता है, इन विधाओं पर काम करना समय की मांग है.

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