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वैशाली में रामनवमी के दिन खाई जाती है ये विशेष लाई, पौराणिक काल से चल रही परंपरा - ramdana lai in vaishali - RAMDANA LAI IN VAISHALI

Ramdana Lai In Vaishali: वैशाली में पौराणिक काल से रामनवमी के दिन रामदाना लाई खाने और खिलाने की परंपरा है. रामनवमी के दिन यहां बड़ी मात्रा में लाई बेची और खरीदी जाती है. यहां हर घर में लोग लाई खाते हैं.

रामनवमी 2024
रामनवमी 2024

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 18, 2024, 7:08 AM IST

Updated : Apr 18, 2024, 10:44 AM IST

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वैशाली: विश्व कोगणतंत्र का पाठपढ़ाने वाली वैशाली के लोगों की एक खास परंपरा है. यहां रामनवमी के दिन बड़ी मात्रा में रामदाना लाई खरीदी और बेची जाती है. लाई बनाने की तैयारी दुकानदार रामनवमी के 15 दिनों पहले से ही करते हैं. अकेले वैशाली के हाजीपुर शहर में 100 से ज्यादा लाई की दुकान सजती है और लाखों का कारोबार होता है. यहां लगभग हर घर के लोग लाई का सेवन करते हैं.

पौराणिक काल से लाई खाने की परंपरा:यहां के लोग लाई को रामनवमी के दिन खाना परंपरा के तौर पर मानते हैं. 140 रुपए किलो बिकने वाला यह लाई रामदाना उर्फ खोवी के लावे से तैयार किया जाता है. जिसमें मिठास के लिए चीनी डाली जाती है. 1 किलो में तकरीबन 12 पीस लाई आता है. बताया जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम हाजीपुर के रामचौरा आए थे तब से यहां रामनवमी के दिन लाइव खान की परंपरा है. जिसे लोग आज भी निर्वाह करते हैं.

स्थानीय लोगों ने दी परंपरा की जानकारी: इस विषय में स्थानीय शशिकांत चौरसिया ने बताया कि सालों से रामनवमी के दिन लाई खाने और खिलाने की परंपरा चली आ रही है. सभी लोग रामनवमी पर लाई खरीदते हैं, और अगल-बगल के बच्चों और दूसरे लोगों को खिलाते हैं. वहीं स्थानीय बुजुर्ग हरेंद्र ठाकुर ने बताया कि वैशाली में भगवान राम के पद चिन्ह हैं, इसलिए यहां रामनवमी का मेला लगता है. मेले में लाई की खूब बिक्री की जाती है.

"हम लोग रामनवमी मानते हैं. सदियों से लाई खाने की परंपरा चली आरही है. रामनवमी में करीब 5 किलो लाई खरीदे हैं. घर में भी खाते हैं और अगल-बगल में जो बच्चे हैं उनको भी खिलाते हैं. यह एक परंपरा है"-शशिकांत चौरसिया, स्थानीय

रामनवमी के दिन लाई खाने और खिलाने की परंपरा

"आज रामनवमी मना रहे हैं. रामनवमी का मेला लगता है और यहां पर भगवान राम का पद चिन्ह है. मंदिर में पूजा-पाठ होता है. ऐसे सब दिन लाई मिलेगा, लेकिन आज ज्यादा बिकती है. हाजीपुर के लोगों की लाई खाने की परंपरा है" -हरेंद्र ठाकुर, स्थानीय

रामचौरा मंदिर के पास लगती है दुकान: वहीं दुकानदार कुंदन कुमार ने इस विषय में बताया कि रामनवमी का शुभ अवसर है. रामनवमी के दिन लाई ज्यादा मिलता है. रामचौरा मंदिर और आसपास के इलाकों में 60-70 ठेले की दुकान रहती है. बताया कि लाई की बहुत डिमांड रहती है, इसलिए बनाने की तैयारी 15 दिन पहले से ही करते हैं.

"रामनवमी के दिन लाई ज्यादा मिलता है. 20 से 25 को लाई ठेला राजेन्द्र चौक पर और रामचौड़ा में 50 के आसपास ठेला दुकान होगा. आज के दिन लाई बहुत ज्यादा बिकता है, इसलिए इसकी तैयारी हम लोग पहले से ही करते हैं. इस बार 140 रुपए किलो बेच रहे हैं. इसमें चीनी और खोवी का लावा होता है."-कुंदन कुमार, स्थानीय दुकानदार

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Last Updated : Apr 18, 2024, 10:44 AM IST

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