पलामू: झारखंड के गढ़वा के इलाके में पिछले 15 दिन से मौजूद बाघ ने अपना ठिकाना बदल दिया है. बाघ लातेहार के इलाके में दाखिल हुआ है. यह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है और पलामू, गढ़वा से सटा हुआ है. नए इलाके में दाखिल होने के बाद बाघ ने मवेशियों का शिकार शुरू भी कर दिया है.
बाघ के ठिकाना बदलने के बाद विभाग की ओर से हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और संबंधित इलाके में निगरानी बढ़ा दी गई है. बाघ के पग मार्ग के सैंपल को लिया जा रहा है, साथ ही साथ ट्रैकिंग कैमरे भी लगाए गए हैं. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि बाघ वयस्क है और शिकार कर रहा है. गढ़वा के इलाके में बाघ ने आधा दर्जन से अधिक मवेशियों का शिकार किया था.
गढ़वा के इलाके में मौजूद बाघ पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में दाखिल हुआ है, पूरे इलाके में हाई अलर्ट जारी किए गए हैं एवं ट्रैकिंग कैमरे भी लगाए गए हैं. स्कैट और पग मार्क के सैंपल को जांच के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट भेजा गया है. जांच के बाद पता चल पाएगा कि पीटीआर में यह सातवां बाघ है या पुराना बाघ है.कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर
पलामू, गढ़वा तथा लातेहार में घूम रहे पांच बाघ और एक बाघिन
बाघों के लिए संरक्षित एरिया पलामू टाइगर रिजर्व में पिछले डेढ़ वर्ष के अंदर पांच बाघ और एक बाघिन के मूवमेंट को रिकॉर्ड किया गया है. सभी बाघ लगातार ठिकाना बदल रहे हैं और पलामू, गढ़वा तथा लातेहार के इलाके में घूम रहे हैं. एक दशक के बाद पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के मूवमेंट बढ़े हैं. 2018 में बाघों की गिनती हुई थी, जिसमें पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी. बाघिन का मूवमेंट चतरा के इलाके तक देखा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के इलाके से दाखिल हुए है बाघ
पलामू, गढ़वा और लातेहार, पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आते हैं यह इलाका मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के बांधवगढ़ एवं संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार सभी बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से जुड़े हुए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच 400 किलोमीटर की दूरी है और एक टाइगर कॉरिडोर है.
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