देहरादून: 108 इमरजेंसी सेवा अपने कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर ही चर्चाओं में रहती है. हमेशा ये सवाल उठते कि 108 इमरजेंसी सेवा का नंबर हमेशा ही व्यस्त आने के साथ-साथ 108 इमरजेंसी सेवा कभी भी समय पर नहीं पहुंचती है. हालांकि, इसके पीछे तमाम वजह हैं, लेकिन 108 इमरजेंसी सेवा का कॉल सेंटर न्यूसेंस और फर्जी कॉल्स से काफी अधिक जूझ रहा है. इस कॉल सेंटर में आने वाले कुल कॉल में से मात्र 20 से 25 फीसदी कॉल्स ही इमरजेंसी की होती हैं, जबकि 75 से 80 फीसदी कॉल्स न्यूसेंस या फिर सिर्फ परेशान करने वाली होती हैं. जिसके चलते 108 एंबुलेंस सेवा प्रभावित हो रही है और वहां काम करने वाले कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचाना इमरजेंसी सेवा का उद्देश्य:स्वास्थ्य सेवाओं और किसी घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचने के लिए 108 इमरजेंसी सेवा काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इमरजेंसी सेवाओं के लिए सरकारों की ओर से टोल फ्री नंबर 108 जारी किया गया है, जिस पर कोई भी व्यक्ति इमरजेंसी के दौरान कॉल कर एंबुलेंस को बुला सकता है. 108 इमरजेंसी सेवा का मुख्य उद्देश्य मरीज को इमरजेंसी के दौरान तत्काल प्रभाव से अस्पताल पहुंचाना है. यह सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग सड़क दुर्घटनाओं के दौरान इमरजेंसी सर्विस 108 पर कॉल करके एंबुलेंस बुलाते हैं.
देहरादून में इमरजेंसी सेवा 108 का कॉल सेंटर:हर राज्य में इमरजेंसी सेवा 108 का कॉल सेंटर भी मौजूद होता है. इसी क्रम में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इमरजेंसी सेवा 108 का कॉल सेंटर है, जब प्रदेश के किसी भी हिस्से से कोई व्यक्ति इमरजेंसी सेवा 108 में कॉल करता है, तो उसका कॉल, 108 के कॉल सेंटर में आता है, जिसके बाद टेलीकॉलर संबंधित व्यक्ति से जानकारी लेकर उसके नजदीक एंबुलेंस को भेजते हैं. हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान कॉल करने वाले व्यक्ति से तमाम जानकारियां भी ली जाती हैं. साथ ही मौके पर ही एंबुलेंस चालक से बात भी कराई जाती है, ताकि सही लोकेशन पर एंबुलेंस पहुंच सके.
फर्जी कॉलर्स लेते हैं मजे (video-ETV Bharat) न्यूसेंस कॉल्स से टेलीकॉलर होती है परेशानी:चौंकाने वाली बात ये है कि देहरादून स्थित इस इमरजेंसी सेवा 108 में इमरजेंसी कॉल से कई गुना अधिक न्यूसेंस कॉल्स आती है, जिसके चलते न सिर्फ टेलीकॉलर को दिक्कतें होती हैं. ऐसे में इमरजेंसी सेवाओं के लिए कॉल करने वाले लोगों को संपर्क करने में कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ इमरजेंसी सेवा 108 में ही फर्जी कॉल्स या फिर न्यूसेंस कॉल्स आ रही है, बल्कि अधिकतर कॉल सेंटर में ऐसे कॉल्स की भरमार है, जिससे जरूरतमंदों को सेवाओंं का लाभ नहीं मिल पाता है.
23 अक्टूबर तक 52,825 कॉल्स आई:इमरजेंसी सेवा कॉल सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान महीने में 23 अक्टूबर तक 52,825 कॉल्स आई थी, जिसमें में 13,816 कॉल्स इमरजेंसी की थी. यानी लगभग 25 फीसदी कॉल्स इमरजेंसी की थी, जबकि 75 फीसदी कॉल्स अन्य थी. जिसमें 11377 ऐसी कॉल्स थी, जिसमें कॉल के बाद कोई रिस्पांस नहीं दिया गया. 8811 कॉल्स जो कॉल करने के बाद डिस्कनेक्ट कर दिया गया. साथ ही 3967 साइलेंट कॉल्स, 2982 रॉन्ग कॉल्स, 1407 चाइल्ड कॉल्स और 554 ऐसी कॉल्स हैं, जिन्होंने ड्रिंक करके एंबुलेंस के जरिए घर पहुंचाने की बात कही है. 79 एब्यूज कॉल्स, 20 प्रेंक कॉल्स और अन्य सेवाओं के लिए 5020 कॉल्स ट्रांसफर की गई.
फर्जी कॉल्स से परेशान टेलीकॉलर:इमरजेंसी सेवा 108 कॉल सेंटर की टेलीकॉलर ने बताया कि इमरजेंसी कॉल्स के अलावा न्यूसेंस कॉल्स भी बहुत ज्यादा आती हैं, जिसमें कई बार लोग बेवजह कॉल करके एंबुलेंस की रिक्वायरमेंट करते हैं, लेकिन उन्हें एंबुलेंस की जरूरत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि कई बार लोग कॉल करके कहते हैं कि उनके फोन में बैलेंस नहीं है, उन्हें कहीं इमरजेंसी में बात करनी है. ऐसे में उनका फोन रिचार्ज कर दें. खासकर छुट्टी वाले दिन बच्चे कॉल करते हैं. कॉल करके गलत सूचनाएं देते हैं और फिर हंसते हुए कॉल काट देते हैं. यही नहीं, बार-बार कॉल करके बच्चे परेशान करते हैं.
पुलिस से संबंधित आती हैं कॉल्स:टेलीकॉलर ने बताया कि कई बार लोग गैस बुकिंग करने के लिए भी 108 पर फोन मिला देते हैं. इसके बाद टेलीकॉलर उनको इस बात की जानकारी देता है कि यह इमरजेंसी सेवा है. यहां गैस की बुकिंग नहीं होती है. यही नहीं, तमाम लोग ऑनलाइन पार्सल को लेकर भी इमरजेंसी सेवा में फोन करते हैं और पार्सल ना पहुंचने की जानकारी को लेकर सवाल करते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार पुलिस से संबंधित या फॉरेस्ट से संबंधित कॉल्स आती हैं तो फिर पुलिस विभाग या फिर फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारियों के पास कॉल को ट्रांसफर कर दिया जाता है.
हिमाचल और उत्तरप्रदेश से भी आती हैं कॉल्स:108 इमरजेंसी सेवा कॉल सेंटर के आईटी हेड शंकर विश्वनाथ ने बताया कि इमरजेंसी सेवा कॉल सेंटर में रोजाना 2500 से 3000 तक कॉल्स आती हैं, जिसमें से करीब 20 से 25 फीसदी कॉल्स ही इमरजेंसी की होती है, बाकी 75 से 80 फीसदी न्यूसेंस कॉल्स होती हैं. हालांकि, जब कोई व्यक्ति सिर्फ परेशान करने के लिए लगातार कॉल करता है, तो उसके नंबर को 24 घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है, उसके बाद फिर उसे अनब्लॉक कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि कई बार एब्यूजिंग कॉल्स भी आती हैं, जिसमें व्यक्ति फोन करके गाली देने लगता है. ऐसे में उसको भी 24 घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया जाता है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लगते हुए बोर्ड्स से भी कई बार कॉल्स आती है, तो फिर वहां पर कॉल को ट्रांसफर कर दिया जाता है.
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