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हजारीबाग की चाय की चुस्की के साथ करें सुबह की शुरुआत, 25 एकड़ में हो रही है खेती - Tea farming

Tea farming in Hazaribag. अब लोगों की सुबह हजारीबाग की चाय की चुस्की के साथ शुरू होगी. हजारीबाग के डेमोटांड़ में 25 एकड़ में चाय की खेती की जा रही है. चाय की खेती और पौधे को देखने लोग दूर-दूर से हजारीबाग पहुंच रहे हैं.

Tea farming in Hazaribag
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 5, 2024, 11:30 AM IST

Updated : Jul 5, 2024, 11:57 AM IST

हजारीबाग: दिन की शुरुआत चाय की चुस्की से ही होती है. देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला पेय पदार्थ अगर कोई है तो वह चाय है. कोई भी शहर, गांव, कस्बा चाय से अछूता नहीं है. अब वह दिन दूर नहीं जब आपकी केतली में हजारीबाग की चाय होगी. सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है. हजारीबाग के डेमोटांड़ में बड़े पैमाने पर चाय की खेती हो रही है. अब इसे दूर-दूर तक भेजने की तैयारी भी चल रही है. दूसरे शब्दों में कहें तो हरी सब्जियों के लिए मशहूर हजारीबाग अब लजीज चाय के लिए भी जाना जाएगा.

हजारीबाग की चाय की चुस्की के साथ करें सुबह की शुरुआत (ईटीवी भारत)

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है. अनुकूल वातावरण के कारण उत्तर पश्चिम भारत के पहाड़ी इलाकों में भी चाय का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें पश्चिम बंगाल और असम सबसे आगे हैं. अब झारखंड का हजारीबाग भी चाय की खेती के लिए जाना जाएगा. जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर स्थित कृषि पर्यटन केंद्र डेमोटांड़ में चाय की खेती की जा रही है. पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत महज 2 एकड़ जमीन में चाय की खेती शुरू की गई. जैसे ही यह स्पष्ट हुआ कि यहां की मिट्टी चाय की खेती के लिए बेहतर है, तो 22 एकड़ जमीन पर चाय की खेती की जा रही है.

फील्ड ऑफिसर राजेश कहते हैं कि यहां की जमीन का पीएच लेवल भी चाय के लिए काफी उपयुक्त है. साथ ही मिट्टी में ढलान भी है, जिससे पानी एक जगह नहीं रुकता. यहां टीवी 25 और टीवी 26 किस्म की चाय के पौधे हैं. पूरे 22 एकड़ में 2 लाख से ज्यादा चाय के पौधे लगे हैं. ये पौधे सिलीगुड़ी, नगरा, कट्टा, दार्जिलिंग और बतासी से मंगाए गए हैं.

कृषि प्रशिक्षण केंद्र में 2002 में चाय की खेती शुरू की गई थी. शुरुआत में 19 डिसमिल जमीन पर 5000 पौधे लगाए गए थे. फिर इसका क्षेत्रफल बढ़ाया गया और करीब 2 एकड़ में 13000 पौधे लगाए गए. इस साल 20 एकड़ जमीन पर करीब 2 लाख पौधे लगाए गए हैं. इन चाय के पौधों की उम्र करीब 100 साल है. चाय की खेती शुरू करने के बाद आपको बस ट्रिमिंग करनी होती है.

अगर आप स्थानीय चाय का स्वाद लेना चाहते हैं तो कृषि पर्यटन केंद्र से मात्र ₹300 प्रति किलो की दर से प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि इसका उत्पादन कम है और प्रसंस्करण का काम धीमा है, इसके बावजूद स्थानीय श्रमिक इसका उत्पादन कर रहे हैं. फील्ड ऑफिसर राजेश कहते हैं कि हजारीबाग में चाय की खेती अनुकूल है. आने वाले समय में यहां बड़ी मात्रा में चाय का उत्पादन होगा. बहुत जल्द हजारीबाग के लोग जिले में उत्पादित चाय पी सकेंगे. जल्द ही बाकी इलाकों में भी इसकी खेती शुरू हो जाएगी.

कृषि अनुसंधान सह पर्यटन केंद्र में दूर-दूर से लोग आते हैं. जब उन्हें पता चलता है कि यहां चाय की खेती हो रही है, तो वे भी इसकी खूबसूरती का लुत्फ उठाने पहुंच जाते हैं. वे अपने कैमरों में यहां की तस्वीरें कैद करते हैं. पर्यटक यह भी कहते हैं कि चाय की खेती देखने के लिए लोग दार्जिलिंग जाते हैं, लेकिन हजारीबाग अब छोटा दार्जिलिंग के नाम से भी जाना जाएगा, जहां चाय की खेती हो रही है.

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Last Updated : Jul 5, 2024, 11:57 AM IST

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