बिलासपुर: भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी रोग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना में शामिल किया है. इसके मरीजों का इलाज मुफ्त करने और दवाइयां मुफ्त बांटने की व्यवस्था सरकार ने की है. टीबी रोग एक जानलेवा बीमारी है. इसके निवारण के लिए केंद्र सरकार देश के सभी अस्पतालों में इसका इलाज और दवाइयां मुफ्त बांटती है लेकिन पिछले 6 माह से टीबी रोग की दवा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में मरीज को 6 महीने के कोर्स के लिए टीबी की दवाई नहीं मिल पा रही है.
दवा कम है और मरीजों की संख्या अधिक: जिले के टीबी मरीजों को टीबी की दवा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है. महीने–दो महीने की दवाई देकर मरीज को चलता कर दिया जाता है. मरीज को बार बार दावा लेने अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. यहां तक कि मरीजों को कुछ दवाईयां दी जाती है और बाकी दजवाई के लिए बाजार भेज दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि सरकारी अस्पताल से मरीजों को दावा नहीं दी जाती. बल्कि टीबी के दवाई की सप्लाई ही इतनी कमजोर है कि दवाई खत्म हो जाती है. दवा कम है और मरीजों की संख्या अधिक हो रही है. सप्लाई कमजोर और डिमांड ज्यादा होने से मरीजों को सही समय पर दवा नहीं मिल रही. जिस वजह से मरीजों की स्थिति बिगड़ने लगी है.
जरूरत के मुताबिक नहीं हो रही दवाइयों की सप्लाई : स्वास्थ्य मंत्रालय जरूरत के मुताबिक दवाइयां की सप्लाई नहीं कर रही है. इस वजह से टीबी के मरीजों की स्थिति खराब होती जा रही है. सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में टीबी की दवाइयां मुफ्त दी जाती है, लेकिन पर्याप्त दवा ना शासकीय अस्पतालों में है और ना ही निजी अस्पतालों में है. 50 हजार से भी ज्यादा की संख्या छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीजों की बताई जा रही है. हालांकि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. निजी अस्पताल अपनी दर्ज संख्या 3 महीने में एक बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम विभाग को देते हैं, इसलिए यह आंकड़े और ज्यादा हो सकते हैं.
छह महीने से नहीं मिल रही पर्याप्त दवाइयां : बिलासपुर के सिम्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती रवि यादव के परिजनों और सहयोगियों ने बताया कि रवि यादव की रिपोर्ट में 8 महीने पहले टीबी रोग होने का पता चला था. तब से सिम्स मेडिकल कॉलेज में वह अपना इलाज करवा रहा है. लेकिन 8 महीने बाद भी उसकी स्थिति नाजुक बनी हुई है. रवि यादव को 2 दिन पहले फिर सिम्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है.
"उसे 6 महीने के कोर्स के लिए पर्याप्त दवा नहीं दी गई है. दो महीने की दवा देने के बाद फिर आकर दवा ले जाने की बात कही गई थी और जब वह दवा लेने पहुंचा, तो दवा खत्म होने की जानकारी दी गई. वह बाजार से कुछ दिनों तक दवाइयां खरीद कर खा रहा था, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वह दवाइयां समय पर नहीं खा पाया. इस वजह से उसकी स्थिति दिन पर दिन कमजोर होती जा रही है."- मरीज के पिता
"छत्तीसगढ़ में बढ़ रही मरीजों की संख्या": दवाइयां पर्याप्त मात्रा में नहीं रवि यादव को भर्ती करने वाली समाजसेविका शहजादी कुरैशी ने बताया,"रवि यादव को जब अस्पताल लेकर गई, तो उसकी स्थिति काफी गंभीर लग रही थी. वह अपने पैरों से चल नहीं पा रहा था, उसे स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ा. वह 8 महीने से सिम्स मेडिकल कॉलेज में टीबी रोग का इलाज करवा रहा है."