वाराणसी:टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) के मरीजों की देखभाल करने वाले परिजनों के लिए खुशखबरी है.अब परिजनों को रोज रोज दवा खाने के दिक्कत से मुक्ति मिलने जा रही है. यही नहीं लंबी चलने वाली प्रिवेंटिव थेरेपी भी बस तीन महीने की ही होगी. एसे मरीज जिन्हें फेंफड़े की टीबी है, उनके संपर्क में आने वाले या साथ रहने वाले परिजन के लिए टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) का कोर्स कम कर दिया गया है. जिससे उन्हें प्रतिदिन दवा खाने से राहत मिलेगी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि अब टीबी मरीजों के संपर्कियों को सिर्फ तीन माह तक टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जाएगी. इसकी नई दवा केंद्र पर आ चुकी हैं. टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी में पहले कोंट्रेक्ट पर्सन को छह माह तक दवा का सेवन करना पड़ता था. ऐसे में वह प्रतिदिन दवा का सेवन करना भूल जाते थे. उन्होने बताया कि जिला क्षय रोग केंद्र ने समस्त तैयारियां पूरी कर ली हैं. सभी सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइज़र और टीबी हेल्थ विजिटर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. आगामी दिनों में यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
जिले में 7566 टीबी के मरीज
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जिले में ड्रग सेंसेटिव टीबी के 7566 मरीज हैं. इसमें पल्मोनरी के 4366 मरीज हैं. इन सभी मरीजों को परिजनों को अब तक छह माह की टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी दी जा चुकी है. लेकिन अब जितने भी टीबी के नए मरीज नोटिफ़ाई किए जाएंगे, उनके परिजनों को अब सिर्फ तीन माह की थेरेपी चलाई जाएगी. प्रत्येक सप्ताह उन्हें सिर्फ एक दिन गोली खानी होगी.
एक मरीज 15 व्यक्तियों को करता है संक्रमित
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा पूर्व की तरह सभी नए टीबी मरीजों के घर पर विजिट की जाएगी. सभी सदस्यों की जानकारी लेकर व जांच कराकर उनकी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी तीन माह के लिए शुरू की जाएगी. थेरेपी पूरी होने के बाद उनका फॉलोअप भी किया जाएगा. गौरतलब हो कि यदि किसी व्यक्ति को फेंफड़े की टीबी हो जाती है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी से संक्रमित कर सकता है. इसलिए परिवार के लोगों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.