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क्या मधुमक्खियां पानी पीती हैं? अगर आपने नहीं देखा तो आज देख लीजिए.. मोहम्मद तंजील का जुगाड़ - environmental lover - ENVIRONMENTAL LOVER

गर्मी के मौसम में पशु पक्षियों को पानी पिलाने की बात तो सभी करते हैं लेकिन सोचा है कि मधुमक्खियों और भंवरों को भी पानी पिलाया जाता है? जी हां गया के तंजील ऐसे पर्यावरण प्रेमी हैं जो मधुमक्खियों तक का ध्यान रखते हैं. उनको पानी पिलाने के लिए स्पेशल गमले बनवाए हैं जिसके जरिए हजारों की संख्या में मधुमक्खियां पानी पीती हैं. क्या है टेक्निक और कैसे मिली उन्हें ये प्रेरण जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर-

मधुमक्खियों को पानी पिलाने वाला अनोखा गमला
मधुमक्खियों को पानी पिलाने वाला अनोखा गमला (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 15, 2024, 10:36 PM IST

Updated : Jun 16, 2024, 8:08 AM IST

मधुमक्खियों को पानी पिलाते हैं तंजील (ETV Bharat)

गया: गर्मी के दिनों में पानी पिलाते लोगों को देखा होगा, लेकिन गया के तंजील पंछियों के अलावे मधुमक्खियों और भौंरों को भी पानी पिलाते हैं. निश्चित तौर पर यह बिल्कुल नई बात लगती है, लेकिन यह सच है. तंजील के द्वारा लगाए गए गमले में चिपक कर प्रतिदिन हजारों मधुमक्खियां पानी पीती हैं. मधुमक्खियां और भंवरे को पानी पिलाने को लेकर तंजील काफी चर्चा में है.

मधुमक्खियों को पानी पिलाते हैं तंजील: गया के निसखा गांव के रहने वाले तंजील पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करते हैं. दाना भी देते हैं. इसके बीच हैरान कर देने वाले काम को लेकर वे चर्चा में है. हैरान कर देने वाली बात यह है, कि तंजील मधुमक्खियों और भंवरों को भी पानी पिलाते हैं. उनके द्वारा लगाए गए स्पेशल गमले मधुमक्खी- भंवरों के लिए अनुकूल होते हैं और मधुमक्खियां और भंवरे सुबह से ही झुंड के झुंड आकर हजारों की तादाद में तंजील के गमले से रिसते पानी का आनंद लेती हैं.

मधुमक्खियों के लिए तैयार अनोखा गमला (ETV Bharat)

पर्यावरण प्रेमी हैं तंजील : बचपन से ही इन्हें पर्यावरण से तंजील को काफी लगाव है. यही वजह है, कि यह पेड़-पौधे पंछियों के काफी नजदीक है. ये न सिर्फ पेड़ पौधे को बचाते हैं, बल्कि पंछियों जैसे गौरैया समेत कई दुर्लभ होते जा रही पंछियों को संरक्षण देते हैं. अब इसी कड़ी में ये मधुमक्खियों को भी संरक्षित करने में भूमिका निभा रहे हैं. मधुमक्खियां गर्मी में पानी के अभाव में न तड़पें. इसे लेकर तंजिलुरहमान खान ने कई गमले लगाए हैं. इन गमलों के किनारों पर बैठकर मधुमक्खियां-भंवरे (मधुमक्खी की बड़ी प्रजाति) पानी पीते हैं.

ये है पानी पिलाने का तरीका : पर्यावरण प्रेमी तंजील खान के द्वारा गमला ऐसा बनाया गया है, कि मधुमक्खियां खुद को अनुकूल पाती है. उस गमले में पानी भरा जाता है और इसे इस तरह बनाया गया है, कि उसका पानी हल्का-हल्का रिसाव होता रहे, जिससे कि मधुमक्खियां जो कि डूबकर पानी नहीं पी सकतीं. वह किनारों पर बैठकर पानी पीती हैं. इस तरह मधुमक्खियां का संरक्षण यह पर्यावरण प्रेमी कर रहा है.

20 हजार से अधिक मधुमक्खियां रोज पीती हैं पानी : तंजिलुुरहमान खान बताते हैं कि सिचुएशन यह है, कि गर्मी में भूगर्भ जल स्तर काफी नीचे चला गया है. पंछी, भंवरा मधुमक्खी जो प्राकृतिक के सिस्टम हैं, वह बर्बाद हो रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. वह पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करते ही हैं, अब मधुमक्खियां और भंवरा के लिए भी अलग से गमले बनाए हैं. इन गमले के किनारों पर बैठकर मधुमक्खियां-भंवरे पानी पीते हैं.

''हम देखते हैं, कि कई प्रकार के मधुमक्खी भंवरे अब आते हैं. सुबह के 5:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक मधुमक्खियां गमले से चिपकी रहती हैं. मधुमक्खियां भंवरों को भी जगह मालूम हो गया है, तो वह आते रहते हैं. एक सेकंड भी गमला खाली नहीं रहता है. कई बार पानी डालते हैं, ताकि मधुमक्खियों के लिए पानी बाहर रिसता रहे और वह उसका सेवन करते रहें.''- तंजील, पर्यावरण प्रेमी

'कयामत होगी तो पहले एक निशानी शहद खत्म हो जाएगी' : तंजील खान बताते हैं कि हदीस में लिखा है, कि कयामत की पहली एक निशानी होगी कि उसमें से एक निशानी शहद खत्म हो जाएगी. यानी दुनिया से मधुमक्खी खत्म हो जाएगी. ऐसे में हम लोग समझ सकते हैं, कि पर्यावरण को लेकर यह बड़ी बात लिखी गई है, जिसके संतुलन के लिए मधुमक्खियों का संरक्षण बेहद जरूरी है. पूर्वजों ने जो सिस्टम बनाया है. उसे जीवित रखना अति आवश्यक है. शहद हमारे लिए अमृत के समान है.

मधुमक्खियों के लिए पानी कितना जरूरी: वहीं, इस संबंध में शोधकर्ता जंतु शास्त्र विभाग मगध विश्वविद्यालय समन्वयक व ग्लोबल यूथ बायोडायवर्सिटी नेटवर्क (बिहार) के दानिश मसरूर बताते हैं कि इस तपती गर्मी में मधुमक्खियां-भंवरे को पानी की आवश्यकता बहुत ज्यादा होती है. भोजन यानी शहद बनाने के लिए पानी की आवश्यकता कुछ ज्यादा होती है. गर्मी के कारण शहद क्रिस्टलीकृत होते रहता है.

''शहद को पतला यानी क्रिस्टलीकरण को रोकने के लिए यानी शहद को पतला बनाए रखने के लिए पानी की आवश्यकता होती है और उनका छत्ता भी सुरक्षित रहता है. मधुमक्खियां जीभ से धीरे-धीरे पानी लेते हैं. तापमान अधिक है, मधुमक्खियां छोटा प्राणी है. जल्द उनके शरीर के भीतर पानी सूख जाता है. अधिक तापमान में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है.''-दानिश मसरूर, शोधकर्ता जंतु शास्त्र विभाग मगध विश्वविद्यालय समन्वयक व ग्लोबल यूथ बायोडायवर्सिटी नेटवर्क (बिहार).

मधुमक्खियां काटे तो कैसे करें बचाव: वैसे मधुमक्खी बिना छेड़े काटती नहीं हैं, लेकिन मधुमक्खियों के काटने से बचाव को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं, कि जहां मधुमक्खी का छत्ता है, वहां सबसे पहले जाने से बचें. जनरली मधुमक्खी अटैक नहीं करती है. यदि कभी भड़क गई तों अटैक करती हैं तो ऐसे में शीघ्रातिशीघ्र भागने की कोशिश करें. पहले अटैक गार्ड मधुमक्खी करती हैं, जो हल्का चोट पहुंचाती हैं. इसके बीच हमें भागने का प्रयास करना चाहिए.

''यदि सारी मधुमक्खियां एक साथ अटैक करें तो उस सिचुएशन में भागने और खुद को बचाने की कोशिश के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है. इस तरह का अटैक होता है तो आदमी बिना एनाटाईफिक शाॅक में चला जाता है. मधुमक्खियां का इस तरह का हमला होता है, तो वह घातक साबित होता है, उससे पहले ही डॉक्टर से मिलना चाहिए.''-अमित कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, मगध विश्वविद्यालय.


Last Updated : Jun 16, 2024, 8:08 AM IST

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