सरगुजा रेणुकूट रेल लाइन का सपना 88 साल बाद भी अधूरा, आश्वासन की चटनी चटा रहे जनप्रतिनिधि - Surguja Renukut railway line
सरगुजा रेणुकूट रेल लाइन का सपना जिलेवासी सालों से देख रहे हैं. वहीं, जनप्रतिनिधि यहां की जनता को महज आश्वासन दे रहे हैं. हालांकि इस क्षेत्र में कोई काम नहीं हो रहा है.
सरगुजा रेणुकूट रेल लाइन का सपना देख जिलेवासी (ETV Bharat)
सरगुजा:आज से 88 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत में प्रस्तावित चिरमिरी-बरवाडीह रेल मार्ग अब अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन हो चुकी है. इतने सालों में इस रेल लाइन की प्रासंगिकता कम हो गई है. झारखंड के बरवाडीह के बजाय उत्तर प्रदेश का रेणुकूट तक रेल सुविधा वर्तमान समय में यात्री और माल परिवहन के लिए ज्यादा लाभकारी है. अंबिकापुर-रेणुकूट लाइन की लागत और दूरी बरवाडीह की तुलना में कम है. इतना ही नहीं रेलवे के सर्वे में भी यह रेल लाइन बेहतर मुनाफे की बताई गई है. बावजूद इसके नेताओं ने बरवाडीह रेल लाइन की धुन लगा रखी है, जबकी सरगुजा के लोगों को इस रेल लाइन की जरूरत नहीं है, उन्हें जरूरत है रेनुकूट रेल लाइन की. ताकि वो बनारस, प्रयागराज, लखनऊ और दिल्ली जैसे शहरों से जुड़ सके.
रेल परियोजना का डीपीआर हो चुका है जमा: आजादी के बाद बीते करीब 70 सालों में कई बार सरगुजा वासियों को नेताओं ने बरवाडीह रेल लाइन का सपना दिखाया. हर बार रेलवे सर्वे का टेंडर जारी करता है. सर्वे में पैसे फूंके जाते हैं. मामला वहीं का वहीं लटका रहता है. एक बार फिर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी सरगुजा को बरवाडीह रेल लाइन का सपना दिखाया है. राज्य सरकार ने बताया है कि जल्द ही डीपीआर जमा हो जाएगा, जबकि आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि इस रेल परियोजना का डीपीआर जमा हो चुका है.
सर्वदलीय रेल संघर्ष समिति ने मांग को लेकर की थी पदयात्रा: बात अगर रेनुकूट रेल लाइन से सरगुजा को होने वाले फायदों की करें तो वर्तमान में संचालित और प्रस्तावित कोयला खदानें इसी रुट पर है. इस मार्ग का रेट ऑफ रिटर्न्स बरवाडीह की तुलना में अधिक है. इन्हीं कारणों से अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन के बजाय अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन को उपयोगी माना जा रहा है. लंबे समय से इसको पूरा करने की मांग की जा रही है. सर्वदलीय रेल संघर्ष समिति के बैनर तले पदयात्रा भी की गई थी. रेणुकूट से लेकर अंबिकापुर तक पदयात्रा कर उत्तर छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास के लिए रेल लाइन की स्वीकृति देने की मांग की गई थी.
अंबिकापुर को बेहतर रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए अंबिकापुर-रेणुकूट, अंबिकापुर-विंढमगंज, अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन प्रस्तावित है. तीनों प्रस्तावित रेल लाइन में से दो रेणुकूट और बरवाडीह का डीपीआर और फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है. बिढमगंज अंबिकापुर रेल लाइन का सर्वे पूर्ण कर पूर्व मध्य रेलवे को भेज दिया गया, जहां से जल्द ही दिल्ली रेलवे बोर्ड में जाने वाला है. तीनों में से एक रेल लाइन के चयन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बैठक जल्दी गति शक्ति भवन दिल्ली में जल्द होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. सरगुजा अंचल की जन भावना अंबिकापुर को रेणुकूट से रेल मार्ग के जरिये जोड़ने की है. उम्मीद है कि इस बार सफलता जरूर मिलेगी. -मुकेश तिवारी, सदस्य, रेल उपयोगकर्ता, परामर्शदात्री, समिति दपूमरे
कोल कंपनियों की खादानें इस लाइन में नहीं: अंबिकापुर-बरवाडीह डबल रेल लाइन के लिए 17400 करोड़ की लागत प्रस्तावित है. सिंगल लाइन के लिए प्रस्तावित लागत साढ़े आठ हजार करोड़ से अधिक है. वर्षों तक इस रेल लाइन की भी मांग की जाती रही है, लेकिन बदली परिस्थितियों में इस रेल लाइन के बजाय अंबिकापुर-रेणुकूट ज्यादा फायदेमंद रहा है. कोल इंडिया से पूर्व में इस रेल लाइन के लिए सहभागिता की उम्मीद पीपीपी माडल में थी, लेकिन कोल इंडिया ने यह कहते हुए इस रेल लाइन में निवेश से मना कर दिया कि कोल कंपनियों की खदानें इस लाइन में नहीं हैं. न ही भविष्य में किसी कोल परियोजना की संभावना है.
आर्थिक दृष्टि से होगा ज्यादा लाभदायक:अंबिकापुर-रेणुकूट प्रस्तावित रेल मार्ग के पास जगन्नाथपुर ओसीपी 3.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष की कोल खदान संचालित है. मदन नगर में 15 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन देने वाली माइंस चालू होने वाली है. इसके अतिरिक्त बरतीकलां वाड्रफनगर, भवानी प्रोजेक्ट कल्याणपुर, कोटेया, बगड़ा, जैसे कई कोल प्रोजेक्ट इस रेल मार्ग के नजदीक है. सरगुजा अंचल कोयला उत्पादन के लिए जाना जाता है. साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश का सिंगरौली क्षेत्र भी कोयला उत्पादक क्षेत्र है. आपस में जुड़ जाने पर यह कोयला परिवहन के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध कराएगा, जो आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक लाभदायक होगा.
यहां से कई ट्रेनें दिल्ली के लिए जाती है: रेनुकूट-अम्बिकापुर परियोजना के लिए अनुमानित लागत लगभग 8200 करोड़ प्रस्तावित है. यह प्रस्ताव डबल लाइन के लिए निर्धारित किया गया है. इस रेल लाइन से पूरे छतीसगढ़ के लोगों का बनारस, अयोध्या, प्रयागराज के अलावा लखनऊ, दिल्ली तक पहुंचना आसान होगा. रेणुकूट रेल लाइन से शिक्षा- स्वास्थ्य की सुविधा भी बेहतर ढंग से सुलभ हो सकेगी. देश की राजधानी दिल्ली से संपर्क होगा. कई ट्रेनें यहां से दिल्ली के लिए जाती है.