शिमला: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ऐसी योजना को लेकर आई है. जिससे शहर की चकाचौंध से दूर पर्यटक प्रकृति की गोद में सुकून की सांस ले सकेंगे. देवभूमि में पहुंचने पर पर्यटक अब शहर में फैल रहे कंक्रीट के जाल से दूर हरे भरे घने जंगलों में पहाड़ों से फूटने वाले झरनों की खूबसूरती को नजदीक से निहार सकेंगे. इसके लिए प्रदेश सरकार इको-टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है. जिससे स्थानीय लोगों को भी घरद्वार पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य पर्यटकों को राज्य के नैसर्गिक सौन्दर्य और अनछुए पर्यटन गंतव्य का अनुभव प्रदान करना है औक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना है. इस पहल में स्थानीय समुदाय को भी शामिल किया जाएगा. जिससे आजीविका के अवसर सृजित होंगे और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और संवर्धन के बारे में जागरूकता बढ़ेगी."
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम, 2023 में हाल ही में किए गए संशोधनों को प्रभावी तरीके से लागू करने को मंजूरी दे दी है. जिससे प्रदेश में इको-टूरिज्म गतिविधियों को गति मिलेगी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में बनाई गई इको-टूरिज्म नीति को इन लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए संशोधित किया गया है. इससे बड़ी तादाद में पर्यटक भी हिमाचल की ओर आकर्षित होंगे.
स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
सीएम सुक्खू ने कहा कि यह संशोधित नीति समुदाय आधारित पारिस्थितिकी पर्यटन मॉडलों को प्रोत्साहित करती है. यह इको-टूरिज्म से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को प्रोत्साहन प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करती है. जो कि उनकी आर्थिकी को संबल प्रदान करने में भी महत्त्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निरंतर विकास के लिए सरकार इको-टूरिज्म गतिविधियों को एकीकृत कर रही है, ताकि पर्यटकों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करने पड़े. सरकार की ओर से पर्यटन क्षेत्र में शुरू की गई योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक नया तंत्र विकसित किया जा रहा है, जिससे इको-टूरिज्म प्रबंधन के लिए एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा. उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है.