दंतेवाड़ा :नक्सल प्रभावित क्षेत्र की बेटी ने अपनी मेहनत के बूते आसमान में उड़ान भरी है. एक बार फिर बस्तर की बेटी ने ये बता दिया है कि मुश्किल परिस्थितियों से हारे बिना कैसे आगे बढ़ा जाता है. आज जिला प्रशासन और सरकार के सहयोग से अंदरूनी क्षेत्रों की बेटियां आत्मनिर्भर बन रही है और अपने सपने साकार कर रही हैं. इसी का जीता जागता उदाहरण है साक्षी सुराना. जो धुर नक्सल क्षेत्र से आती हैं और अब लोग उन्हें पायलट बिटिया के नाम से जानेंगे.
पायलट बनीं बिटिया :दंतेवाड़ा जिले में गीदम शहर की साक्षी सुराना ने ऊंची उड़ान भरी है. साक्षी ना सिर्फ पायलट बनीं बल्कि DGCA से लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया है. अब साक्षी फ्लाइट उड़ाने से सिर्फ एक कदम दूरी पर हैं. फिलहाल एयर इंडिया में साक्षी ने अप्लाई किया है, अगर सब कुछ ठीक रहा तो इसी साल से वह हवा से बातें करने लगेंगी.हैदराबाद से ट्रेनिंग पूरी करके जब साक्षी पायलट बनकर अपने घर पहुंची तो ईटीवी भारत से उन्होने फोन पर बात की.
दंतेवाड़ा में की शुरुआती पढ़ाई :साक्षी सुराना ने बताया कि उनकी शुरुआती पढ़ाई दंतेवाड़ा के एक स्कूल से हुई है. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर गई थी. वहां से फिर हैदराबाद में पायलट की पढ़ाई करने गई. पायलट की पढ़ाई और ट्रेनिंग करने में साक्षी को 3 साल का समय लगा. इस दौरान हवाई जहाज उड़ाना, हवाई जहाज से जुड़ी सारी तकनीकी जानकारी हासिल की.
पापा के सपने को किया पूरा : शुरुआत में मेरा पायलट बनने का कोई सपना नहीं था। लेकिन पापा ने सपना देखा था कि उनकी बेटी एक दिन प्लेन उड़ाएगी. बस मैं उन्हीं के सपने को साकार कर रही हूं. पहले बहुत रिसर्च की, जानकारों से पूछी फिर इस फिल्ड में उतरी.जब मैं इसकी पढ़ाई कर रही थी, ट्रेनिंग ले रही थी तो मन में सिर्फ एक ही ख्याल आता था कि ये सपना खुद के साथ-साथ पापा का भी है, जिसे साकार करना है.
मैंने अपने पिता के सपने को साकार किया है.जब वे पहली बार फ्लाइट में बैठे थे, तब से उन्होंने मुझे पायलट बनाने का ठान लिया था, जिस दिन पहली उड़ान भरूंगी वो पिता के नाम होगी .जब पढ़ाई पूरी हुई, DGCA का लाइसेंस मिला तो सबसे पहले लाइसेंस को अपने पापा के हाथ में रखी. वे बहुत खुश हुए.बस अब उन्हें भी इंतजार है कि जल्द ही मैं कोई एयरलाइंस जॉइन करूं और फ्लाइट उड़ाऊं. मैं बस इतना कहूंगी की बेटियां भी किसी से कम नहीं होती. यदि वे कुछ कर गुजरने की ठान ले तो कामयाबी जरूर हासिल करती हैं.-साक्षी सुराना, पायलट