बगहा : पिछड़े इलाकों में लघु उद्योग रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण चनपटिया का स्टार्ट अप जोन है. जिसको जिला प्रशासन ने कोरोना काल के बाद स्थापित किया था. यहां अलग अलग हुनर के लोग अपना व्यवसाय स्थापित कर अपना आर्थिकोपार्जन कर रहे हैं. हालांकि जिला के आदिवासी बहुल इलाकों में भी लघु उद्योग की तरफ लोगों का झुकाव तेजी से हुआ है.
मजदूर से मालिक बनने तक का सफर : बता दें कि बगहा शहर से सटे थरूहट की राजधानी हरनाटांड़ में दशकों पूर्व से हस्तकर्घा उद्योग संचालित होते आ रहे हैं. यहां दर्जनों लोगों को रोजगार मिला है. लेकिन हाल के दिनों में दर्जनों लोगों ने लघु उद्योग के जरिए अपने किस्मत को संवारा है. इस क्षेत्र में पेपर से प्लेट बनाने, जूता -चप्पल के निर्माण समेत हैंडलूम के कारोबार से कई लोग जुड़े हैं.
बगहा में हैंडलूम व्यवसाय ब्रज किशोर से बातचीत (ETV Bharat) लोन लेकर जमाया कारोबार :हरनाटांड़ के रहमत नगर में हैंडलूम के व्यवसाय से जुड़े ब्रजकिशोर प्रसाद बताते हैं कि लघु उद्योग उनके जीवन में मील का पत्थर साबित हो रहा है. तीन मशीनों से दस बाई दस के कमरे में शुरू किया व्यवसाय आज अपने रंग में है. वर्तमान समय में उनके पास दर्जनों मशीन हैं और कई लोग हैंडलूम से जुड़कर रोजगार पा रहे हैं.
''सभी को रोजगार तो मिला ही है मेरी भी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. मेरे हैंडलूम उद्योग में शर्ट, टी शर्ट, फ्रॉक, लोवर, ट्रैकशूट समेत हाफ पैंट का प्रोडक्शन होता है जो जिला के कई होलसेल कारोबारियों के यहां सप्लाई किया जाता है. प्रतिमाह 6 से 7 लाख का सप्लाई होता है जिसमें से 1 लाख से 2 लाख तक मेरे यहां काम करने वाले मजदूरों को दिया जाता है.''- ब्रजकिशोर प्रसाद, हैंडलूम संचालक
हैंडलुम कंपनी में मौजूद ब्रज किशोर (्) अपने इलाके में ही पैदा किया रोजगार :ब्रजकिशोर ने बताया कि हाईस्कूल की परीक्षा देकर वो दिल्ली चले गए. उम्र कम होने की वजह से उन्हें दिल्ली में नौकरी नहीं मिली. इस दौरान वो अपने चाचा के यहां सिलाई का काम देखने लगे. धीरे-धीरे कपड़े सिलने लगे. जब बालिग हुए तो कंपनी में काम मिल गया. एक दिन ख्याल आया कि क्यों न यही काम अपने इलाके में करूं.
हैंडलुम कंपनी में सिलाई करते महिला-पुरुष (ETV Bharat) मेहनत से चमकाई किस्मत: यही ख्वाहिश लिए मैं दिल्ली से वापस अपने घर हरनाटांड के रहमत नगर आया. वहां पर मैने लोन लेकर तीन मशीने खरीदी. लुधियाना से 80 हजार का कपड़े का लॉट लाया था. जिसे सिलने के लिए 10x10 के कमरे में दोनों भाई धीरे धीरे सिलने लगे. काम बढ़ा तो फिर मशीन के लिए लोन अप्लाई कर दिया. आज 12 मशीने चलतीं हैं.
''इन मशीनों को चलाने के लिए और मार्केटिंग के लिए 20 से 22 लोगों को रोजगार मिला हुआ है. अभी के समय में 6 से 7 लाख का कपड़ा प्रत्येक महीने होलसेल कारोबारियों को सप्लाई करता हूं. साथ ही अपने साथ जुड़े लोगों को 2 लाख रुपए सैलरी भी देते हैं.''- ब्रजकिशोर प्रसाद, हैंडलूम संचालक
बगहा के हैंडलूम संचालक ब्रज किशोर का सफर (ETV Bharat GFX) लाखों में टर्न ओवर : ब्रजकिशोर प्रसाद ने अपना कारोबार काफी बढ़ा लिया है. एक मजदूर से शुरू किया सफर अपनी मेहनत की बदौलत यूपी और नेपाल के तराई क्षेत्र तक फैला रखा है. साथ ही उनके संग जुड़कर काम करने वाले लोगों को भी रोजगार मिला हुआ है. सबसे खास बात ये है कि वो अपने घर पर रहकर ही रोजगार पैदा किए हैं. लाखों रुपए महीने का टर्न ओवर हैं.
खुशहाल हैं साथ में काम करने वाले : हैंडलूम उद्योग में काम करने वाली सीता देवी बताती हैं कि पहले वह जीविका दीदियों के साथ सिलाई का काम करती थीं उसके बाद अभी इस हैंडलूम कंपनी से जुड़ी हूं. महीने के 10 से 12 हजार तनख्वाह है, जिससे मैं घर के पास रहकर अपना खेती बारी करते हुए कमा ले रहीं हूं. इससे मेरे बच्चों की अच्छी परवरिश हो रही है, साथ ही परिवार का खर्च भी आसानी से पूरा हो रहा है.
कपड़े तैयार करती महिला (ETV Bharat) ''चनपटिया स्टार्ट अप जोन के बाद आदिवासी बहुल हरनाटांड़ के मिश्रौली में भी स्टार्ट अप जोन स्थापित करने की दिशा में पहल शुरू हुई है. इसके लिए जमीन चिह्नित कर लिया गया है. शीघ्र ही आगे का कार्य शुरू होगा ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके और लघु उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा सके.''- दिनेश कुमार राय, जिलाधिकारी
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