किसान भाईयों के लिए काम की खबर! धान की सीधी बिजाई पर हरियाणा सरकार दे रही सब्सिडी (Etv Bharat) करनाल: उत्तर भारत में धान की बिजाई शुरू हो चुकी है. धान की बिजाई पहले परंपरागत तरीके से की जाती थी, लेकिन अब कुछ किसान आधुनिक मशीनों के सहयोग से धान की बिजाई कर रहे हैं. इनमें से एक है डीएसआर मशीन. इस मशीन के तहत धान की सीधी बिजाई की जाती है. मशीन से धान की सीधी बिजाई को डीएसआर तकनीक कहा जाता है. जिसका मतलब होता है डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस.
धान की सीधी बिजाई पर सब्सिडी: डीएसआर डीएसआर में गेहूं की तरह मशीन के द्वारा सीधी बिजाई की जाती है. जिससे किसानों को समय के साथ-साथ पैसों की बचत होती है और इसमें पानी की भी किसानों को बचत होती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है. धान की सीधी बिजाई करने से विभाग किसान को चार हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देता है. इस विधि से किसान को करीब 10 से 12 हजार रुपये की बचत भी होती है. इस विधि से बिजाई करने से 30% पानी की बचत होती है. इससे पैदावार में भी इजाफा होता है.
क्या है डीएसआर तकनीक? धान की सीधी बिजाई करने वाली तकनीक को डीएसआर तकनीक कहा जाता है. इसका मतलब होता है डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस यानी धान की नर्सरी तैयार करने की बजाय धान के बीज की सीधी बिजाई की जाती है. ये एक ड्रिल मशीन होती है. जिसके अंदर बीज और खाद रखें जाते हैं. ट्रैक्टर की सहायता से इसको चलाया जाता है. इस तकनीक का सबसे अच्छा फायदा ये होता है कि इसमें धान की नर्सरी लगाने का समय किसान का बच जाता है.
25 मई से शुरू हुई धान की रोपाई: मशीन में बीज के साथ खाद भी डाला जाता है, जो बीज के साथ ही मिट्टी के अंदर दब जाता है. ये प्रोसेस पौधे की बढ़ोतरी के लिए अच्छा होता है. एक फायदा ये भी है कि इसमें बीज की बिजाई एक लाइन में होती है. इस तकनीक को मौजूदा समय में बहुत ही ज्यादा किसान अपना रहे हैं. अगर हरियाणा में किसान इस तकनीक से धान की बिजाई करना चाहते हैं, तो उसका समय 25 मई से शुरू हो चुका है.
25 मई से शुरू हुई धान की रोपाई (ETV Bharat) कितना दिया जा रहा अनुदान? कुरुक्षेत्र में सहायक कृषि अभियंता राजेश वर्मा ने बताया कि अगर कोई भी किसान भाई इस मशीन को खरीदना चाहता है, तो सरकार और कृषि विभाग के द्वारा इसके ऊपर प्रति मशीन 40000 रुपये का अनुदान दिया जाता है. वहीं विभाग के पास अपनी भी डीएसआर मशीन है. अगर कोई किसान भाई किराए पर लेना चाहता है, तो वो आवेदन करके अपनी बिजाई के लिए किराए पर मशीन को ले सकता है. जिसमें उसकी इस मशीन के लिए एक दिन के ₹500 किराया देना होगा. जिसमें वो पूरा दिन मशीन का प्रयोग कर सकता है.
समय और पैसों की बचत: अगर कोई किसान धान की सीधी बिजाई करना चाहता है, उसके लिए सरकार और कृषि विभाग 4000 पर प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि के रूप में अनुदान भी देता है. उसके साथ-साथ किसानों के समय की भी बचत होती है.इतना ही नहीं अगर कोई किसान भाई परंपरागत तरीके से धान की बिजाई ना करके सीधी बिजाई करता है, तो उसकी प्रति एकड़ करीब ₹10000 की अतिरिक्त बचत होती है. क्योंकि उसमें मजदूरी इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती. सभी काम मशीन और ट्रैक्टर के साथ किया जाता है. इसलिए किसान को इस विधि से धान की बिजाई करने में ज्यादा फायदा है.
धान की सीधी बिजाई (ETV Bharat) 30 से 32% पानी की होती है बचत: कृषि अधिकारी ने बताया कि किसान जितनी भी फसल लगते हैं. उन सभी में सबसे ज्यादा पानी की खपत धान की खेती में होती है, क्योंकि किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते आ रहे हैं. जिसमें ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर कोई किसान डीएसआर विधि से धान की बिजाई करता है. उसमें पानी की बचत भी 30 से 32% होती है.
कृषि अधिकारी ने बताया कि कुछ किसानों के मन में असमंजस रहता है कि डीएसआर विधि से धान की बिजाई करने से पैदावार कम होती है. लेकिन ऐसा सोचना गलत है. इस तकनीक से फसल पैदावार बिल्कुल परंपरागत तरीके जैसी होती है.
कैसे काम करती है मशीन? डीआरएस मशीन में लेवल सेट कर दिया जाता है. जिसमें लाइन से लाइन की दूरी 8 सेमी होती है, जबकि बीच से बीच की दूरी 2 सेंटीमीटर होती है. इसमें जब धान की फसल पकने के लिए तैयार हो जाती है. उस समय लाइन से लाइन में बिजाई होने के चलते इसमें हवा क्रॉस हो जाती है. जिसके चलते बीमारियां कम आती है और पैदावार भी अच्छी होती है. क्योंकि अगर किसी खेत के अंदर हवा नहीं जाएगी, तो वहां पर लाजमी तौर पर बीमारी आना निश्चित है. ऐसे में इसमें हवा क्रॉस होती रहती है और बीमारी आने का खतरा कम रहता है, जिसके चलते पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है.
1 एकड़ के लिए 8 से 10 किलोग्राम धान के बीज की आवश्यकता (Paddy Cultivation In Haryana) 1 एकड़ की बिजाई करने में कितना समय लगता है? 1 एकड़ के लिए 8 से 10 किलोग्राम धान के बीज की आवश्यकता होती है. उसके साथ 50 किलोग्राम डीएपी खाद 1 एकड़ के लिए डाला जाता है. डीएसआर मशीन में ही अलग से खांचे बने होते हैं. जिसमें बीज के लिए अलग और खाद के लिए अलग. इस विधि से बीज एक से डेढ़ सेंटीमीटर धरती के अंदर जाता है और उसके साथ ही खाद का दाना डाला जाता है. इस विधि में बीज के साथ खाद डालने से पौधे की ग्रोथ बहुत ही ज्यादा जल्दी होती है.
फसल अवशेष प्रबंधन भी काफी अच्छी तकनीक: कृषि अधिकारी ने बताया कि किसानों के सामने धान फसल अवशेष प्रबंधन के लिए काफी समस्या होती है लेकिन इस विधि से धान की बिजाई करने से किसानों की धान की फसल 10 से 15 दिन पहले ही काटने के लिए तैयार हो जाती है. जिसके चलते किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है. ऐसे में फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए भी ये विधि काफी अच्छी बताई गई है.
खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या करें? उन्होंने बताया कि इस विधि में किसी भी प्रकार की समस्या किसानों के सामने नहीं आती, लेकिन इसमें किसानों के सामने सिर्फ एक समस्या आती है, जो है खरपतवार की समस्या, लेकिन कुछ दवाइयों के साथ उस पर भी आसानी से काबू किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बिजाई के अगले दिन डेढ़ लीटर पैडी मैथलीन नामक दवाई 100 लीटर पानी के घोल में मिला कर खेत में छिड़काव करें. पहले छिड़काव के करीब 15 से 20 दिन बाद नॉमिनी गोल्ड नामक दवाई का स्प्रे करें इन दोनों प्रकार की दवाइयां का प्रयोग करने से किसी भी प्रकार की खरपतवार की समस्या किसानों को नहीं मिलेगी.
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