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ठंड और बारिश से परेशान 'सब्जियों का राजा', पुखराज से लेकर नीलकंठ तक कारगर है एरोपोनिक प्रणाली - POTATO FARMING IN HARYANA

अगर आप भी आलू की खेती कर रहे हो, बदलते मौसम में फसल नुकसान का आपको डर है तो ये खास टिप्स जरूर अपनाएं.

COLD EFFECT ON POTATO FARMING
आलू पर ठंड का इफेक्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 12, 2025, 11:47 AM IST

करनाल: ठंड के साथ ही बारिश का असर आम जनमानस के साथ ही किसानों के फसल पर भी पड़ रहा है. कुछ फसलों के लिए ये मौसम सही है तो कुछ फसलों के लिए बदलता मौसम काल समान है. बात अगर आलू की करें तो ठंड के मौसम में बारिश और ओला के साथ ही धुंध का असर इस पर पड़ता है.

हरियाणा का प्रमुख आलू उत्पादन केन्द्र: दरअसल हरियाणा में एक प्रमुख आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल जिले के शामगढ़ गांव में है. शामगढ़ स्थित पीटीसी टिशू कल्चर तकनीक, एरोपोनिक्स और एपिकल रूटेड कटिंग के जरिए बीज आलू के उत्पादन में भारत के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है. इस केंद्र में वायरस मुक्त गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन करने के लिए टिशू कल्चर आधारित बीज आलू उत्पादन का पालन किया जाता है.

आलू के खेती पर ठंड और बारिश का इफेक्ट (ETV Bharat)

प्रारंभिक पीढ़ी के मिनी कंद बीज का उत्पादन मिट्टी, मृदा रहित माध्यम और एरोपोनिक्स में कीट मुक्त नेट हाउस में किया जाता है. केंद्र और विभाग के अन्य सरकारी खेतों में मिनी कंद बीजों के गुणन के आधार पर 74 एकड़ क्षेत्र में आधार बीज (G1 और G2) और प्रमाणित बीज (G3 और G4) का उत्पादन किया जाता है.

आलू के खास किस्म: आलू की विभिन्न किस्मों के नामों में पुखराज, के लीमा, के मोहन और के नीलकंठ शामिल है. एरोपोनिक प्रणाली के माध्यम से मिनी कंदों के उत्पादन में वृद्धि के साथ, मिनी कंद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कीट-रोधी नेट हाउस के तहत अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होगी. किसानों को पीटीसी के मार्गदर्शन में अपने खेतों में मिनी कंद उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. वर्तमान में विभाग के पास 9 लाख मिनी कंद उत्पादन क्षमता है. अगले आठ वर्षों में इसे बढ़ाकर 1 करोड़ मिनी कंद या जी-0 बीज उत्पादन किए जाने का लक्ष्य है, जो 2030-31 तक 6.16 लाख मीट्रिक टन जी-4 बीज उत्पादन के लिए पर्याप्त होगा.

COLD EFFECT ON POTATO FARMING
आलू पर ठंड का इफेक्ट (ETV Bharat)

बदलते मौसम का आलू की खेती पर असर: कड़ाके की ठंड में कोहरा और पाला से आलू समेत अन्य सब्जियों की फसल प्रभावित हुई है. किसानों का कहना है कि धूप ना निकलने से फसल और प्रभावित हो सकती है. कोहरा छाने से सब्जी और आलू की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. सिर्फ गेहूं की फसल के लिए ही कोहरा फायदेमंद है. ऐसे में आलू के फसल बचाव के लिए करनाल शामगढ़ स्थित आलू प्रद्योगिकी केंद्र के उप निदेशक ने बागवानों को खास टिप्स दिए हैं, जिससे आलू की फसल में अच्छी रहेगी.

potato farm in Karnal
करनाल में आलू के खेत (ETV Bharat)

ऐसे करें आलू की खेती की रक्षा: आलू की फसल के बचाव के लिए करनाल शामगढ़ के आलू प्रद्योगिकी केंद्र के उप निदेशक जितेंद्र मोंगिया ने कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा, "किसानों को आजकल खेतों में अगर लेट ब्लाइट बीमारी का असर दिखाई दे रहा है, तो किसान भाई उस बीमारी का तुरंत ऊपचार करें. खेतों में फफूंदी नाशक दवाई का छिड़काव करें. किसान कोहरे से बचाव के लिए अपने खेतों में माइक्रो स्पीटलेर से लाइट इर्रिगेशन करें. इस समय के मौसम में बदलाव के कारण हमने अलग-अलग फील्ड में सर्वे भी करवाया है, जिसमें अभी कहीं पर भी लेट ब्लाइट झुलसा रोग नजर नहीं आया है. हरियाणा में इस प्रकार के रोग का असर अभी कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया है."

"हर साल की तरह इस साल भी बायर-सेलर की सालाना बैठक में आलू उत्पादकों ने भाग लिया है. अलग-अलग प्रदेशों से पहुंचे किसानों को एक छत के नीचे आलू की खेती से संबंधित सारी जानकारियों के साथ संसाधन उपलब्ध करवाए जाते है, तांकि हरियाणा के किसानों को किसी भी किस्म की समस्या बिक्री में ना आए. साथ ही आलू की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए अन्य किसी भी राज्य से ना पिछड़ें. आलू की किस्में मौसम के अनुसार फलती है. के उदय 7008 , के मोहन और के पुखराज की मार्केट में कीमत काफी अच्छी है." -जितेंद्र मोंगिया,उप निदेशक

किसानों को नसीहत: डॉ मोंगिया ने आलू उत्पादकों को खास नसीहत दिया है. उन्होंने कहा, "इस समय का मौसम लेट ब्लाइट बीमारी का हो सकता है. अपने खेत में बदल-बदल कर फफूंदी नाशक दवाई का इस्तेमाल करें. किसान इस समय अपने खेत में पानी बिल्कुल भी खड़ा ना होने दें. पानी खड़े होने से पौधों को नमी मिल जाती है, जिससे लेट ब्लाइट बीमारी आने का खतरा बढ़ जाता है."

POTATO FARMING IN HARYANA
आलू की खेती के टिप्स (ETV Bharat)

आलू से किसानों को हो रहा फायदा: आलू प्रद्योगिकी केंद्र शामगढ़ में पहुंचे किसान जगतार सिंह ने कहा, "केंद्र की ओर से आलू उत्पादकों की सालाना बैठक का आयोजन किया गया था, जिसके तहत हम यहां पर पहुंचे हैं. केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा आलू की बहुत ही ज्यादा किस्मों को तैयार किया गया है, जिससे किसानों को फायदा है. किसान चक्रव्यूह खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाएं. जैसे अलग-अलग सब्जियां, आलू, अजवाईन आदि को कम समय में लगाकर ज्यादा मुनाफा ले सकता है, क्योंकि गेहूं जैसी फसल में कम से कम 7 महीने बाद आप की जेब मे पैसा आएगा, जबकि दूसरी फसलों में जल्दी पैसा आने लग जाता है."

यानी कि अगर आप भी हरियाणा में हो और आलू की खेती से आप मुनाफा पाना चाहते हो. साथ ही बदलते मौसम में आलू की फसल को बचाने के सही टिप्स चाहिए तो शामगढ़ के आलू प्रद्योगिकी केंद्र की ओर से दिए गए टिप्स को आप अपना सकते हो.

ये भी पढ़ें:खेती के साथ लगाएं ये पेड़, चंद सालों में बना देगा करोड़पति, बीमारियों के इलाज में भी है संजीवनी बूटी

करनाल: ठंड के साथ ही बारिश का असर आम जनमानस के साथ ही किसानों के फसल पर भी पड़ रहा है. कुछ फसलों के लिए ये मौसम सही है तो कुछ फसलों के लिए बदलता मौसम काल समान है. बात अगर आलू की करें तो ठंड के मौसम में बारिश और ओला के साथ ही धुंध का असर इस पर पड़ता है.

हरियाणा का प्रमुख आलू उत्पादन केन्द्र: दरअसल हरियाणा में एक प्रमुख आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल जिले के शामगढ़ गांव में है. शामगढ़ स्थित पीटीसी टिशू कल्चर तकनीक, एरोपोनिक्स और एपिकल रूटेड कटिंग के जरिए बीज आलू के उत्पादन में भारत के सर्वश्रेष्ठ केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है. इस केंद्र में वायरस मुक्त गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन करने के लिए टिशू कल्चर आधारित बीज आलू उत्पादन का पालन किया जाता है.

आलू के खेती पर ठंड और बारिश का इफेक्ट (ETV Bharat)

प्रारंभिक पीढ़ी के मिनी कंद बीज का उत्पादन मिट्टी, मृदा रहित माध्यम और एरोपोनिक्स में कीट मुक्त नेट हाउस में किया जाता है. केंद्र और विभाग के अन्य सरकारी खेतों में मिनी कंद बीजों के गुणन के आधार पर 74 एकड़ क्षेत्र में आधार बीज (G1 और G2) और प्रमाणित बीज (G3 और G4) का उत्पादन किया जाता है.

आलू के खास किस्म: आलू की विभिन्न किस्मों के नामों में पुखराज, के लीमा, के मोहन और के नीलकंठ शामिल है. एरोपोनिक प्रणाली के माध्यम से मिनी कंदों के उत्पादन में वृद्धि के साथ, मिनी कंद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कीट-रोधी नेट हाउस के तहत अधिक क्षेत्र की आवश्यकता होगी. किसानों को पीटीसी के मार्गदर्शन में अपने खेतों में मिनी कंद उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. वर्तमान में विभाग के पास 9 लाख मिनी कंद उत्पादन क्षमता है. अगले आठ वर्षों में इसे बढ़ाकर 1 करोड़ मिनी कंद या जी-0 बीज उत्पादन किए जाने का लक्ष्य है, जो 2030-31 तक 6.16 लाख मीट्रिक टन जी-4 बीज उत्पादन के लिए पर्याप्त होगा.

COLD EFFECT ON POTATO FARMING
आलू पर ठंड का इफेक्ट (ETV Bharat)

बदलते मौसम का आलू की खेती पर असर: कड़ाके की ठंड में कोहरा और पाला से आलू समेत अन्य सब्जियों की फसल प्रभावित हुई है. किसानों का कहना है कि धूप ना निकलने से फसल और प्रभावित हो सकती है. कोहरा छाने से सब्जी और आलू की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. सिर्फ गेहूं की फसल के लिए ही कोहरा फायदेमंद है. ऐसे में आलू के फसल बचाव के लिए करनाल शामगढ़ स्थित आलू प्रद्योगिकी केंद्र के उप निदेशक ने बागवानों को खास टिप्स दिए हैं, जिससे आलू की फसल में अच्छी रहेगी.

potato farm in Karnal
करनाल में आलू के खेत (ETV Bharat)

ऐसे करें आलू की खेती की रक्षा: आलू की फसल के बचाव के लिए करनाल शामगढ़ के आलू प्रद्योगिकी केंद्र के उप निदेशक जितेंद्र मोंगिया ने कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा, "किसानों को आजकल खेतों में अगर लेट ब्लाइट बीमारी का असर दिखाई दे रहा है, तो किसान भाई उस बीमारी का तुरंत ऊपचार करें. खेतों में फफूंदी नाशक दवाई का छिड़काव करें. किसान कोहरे से बचाव के लिए अपने खेतों में माइक्रो स्पीटलेर से लाइट इर्रिगेशन करें. इस समय के मौसम में बदलाव के कारण हमने अलग-अलग फील्ड में सर्वे भी करवाया है, जिसमें अभी कहीं पर भी लेट ब्लाइट झुलसा रोग नजर नहीं आया है. हरियाणा में इस प्रकार के रोग का असर अभी कहीं पर भी दिखाई नहीं दिया है."

"हर साल की तरह इस साल भी बायर-सेलर की सालाना बैठक में आलू उत्पादकों ने भाग लिया है. अलग-अलग प्रदेशों से पहुंचे किसानों को एक छत के नीचे आलू की खेती से संबंधित सारी जानकारियों के साथ संसाधन उपलब्ध करवाए जाते है, तांकि हरियाणा के किसानों को किसी भी किस्म की समस्या बिक्री में ना आए. साथ ही आलू की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए अन्य किसी भी राज्य से ना पिछड़ें. आलू की किस्में मौसम के अनुसार फलती है. के उदय 7008 , के मोहन और के पुखराज की मार्केट में कीमत काफी अच्छी है." -जितेंद्र मोंगिया,उप निदेशक

किसानों को नसीहत: डॉ मोंगिया ने आलू उत्पादकों को खास नसीहत दिया है. उन्होंने कहा, "इस समय का मौसम लेट ब्लाइट बीमारी का हो सकता है. अपने खेत में बदल-बदल कर फफूंदी नाशक दवाई का इस्तेमाल करें. किसान इस समय अपने खेत में पानी बिल्कुल भी खड़ा ना होने दें. पानी खड़े होने से पौधों को नमी मिल जाती है, जिससे लेट ब्लाइट बीमारी आने का खतरा बढ़ जाता है."

POTATO FARMING IN HARYANA
आलू की खेती के टिप्स (ETV Bharat)

आलू से किसानों को हो रहा फायदा: आलू प्रद्योगिकी केंद्र शामगढ़ में पहुंचे किसान जगतार सिंह ने कहा, "केंद्र की ओर से आलू उत्पादकों की सालाना बैठक का आयोजन किया गया था, जिसके तहत हम यहां पर पहुंचे हैं. केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा आलू की बहुत ही ज्यादा किस्मों को तैयार किया गया है, जिससे किसानों को फायदा है. किसान चक्रव्यूह खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाएं. जैसे अलग-अलग सब्जियां, आलू, अजवाईन आदि को कम समय में लगाकर ज्यादा मुनाफा ले सकता है, क्योंकि गेहूं जैसी फसल में कम से कम 7 महीने बाद आप की जेब मे पैसा आएगा, जबकि दूसरी फसलों में जल्दी पैसा आने लग जाता है."

यानी कि अगर आप भी हरियाणा में हो और आलू की खेती से आप मुनाफा पाना चाहते हो. साथ ही बदलते मौसम में आलू की फसल को बचाने के सही टिप्स चाहिए तो शामगढ़ के आलू प्रद्योगिकी केंद्र की ओर से दिए गए टिप्स को आप अपना सकते हो.

ये भी पढ़ें:खेती के साथ लगाएं ये पेड़, चंद सालों में बना देगा करोड़पति, बीमारियों के इलाज में भी है संजीवनी बूटी

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