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फेमिनिज्म के लिए शराब और सिगरेट जरूरी नहीं, ऐसा क्यों बोलीं काजल हिंदुस्तानी - BHOPAL NARI SHAKTI PROGRAM

राजधानी भोपाल में महिला सशक्तिकरण को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां समाज सेविका काजल हिंदुस्तानी ने फेमिनिज्म की नई परिभाषा बताई.

BHOPAL NARI SHAKTI PROGRAM
फेमिनिज्म के लिए शराब और सिगरेट जरूरी नहीं (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 10, 2024, 4:32 PM IST

भोपाल: हमारे देश में हम आज समर्थ नारी और समर्थ भारत की बात कर रहे हैं, लेकिन यहां तो पहले से ही महिलाएं पुरुषों से आगे रही हैं. भगवान महादेव ने तो सबसे पावरफुल विभाग भी देवियों को दे रखे हैं. जहां फाइनेंस डिपार्टमेंट लक्ष्मी जी, एचआरडी सरस्वती जी और रक्षा विभाग दुर्गा माता के पास है, लेकिन आज की महिलाएं इस पर मंथन नहीं कर रही हैं. यह कहना है भारतीय विचार संस्थान न्यास के कार्यक्रम में शामिल होने आई समाज सेविका काजल हिंदुस्तानी का.

समाज सेविका काजल हिंदुस्तानी राजधानी के रविंद्र भवन सभागार में नारी शक्ति को संबोधित करने पहुंची थी. यहां उन्होंने कहा कि "आज फेमिनिस्ट बनने के लिए महिलाओं को शराब और सिगरेट पीने की जरुरत नहीं है. महिलाएं तो पहले से ही पुरुषों से आगे रहीं हैं, लेकिन आज समर्थ नारी समर्थ भारत जैसे कार्यक्रम की जरुरत इसलिए पड़ी, क्योंकि महिलाओं ने अपने वेदों को पढ़ना छोड़ दिया."

महिलाओं का दिमाग खराब कर रहा टीवी सीरियल

काजल ने कहा कि "जो महिलाएं 25 साल से कम उम्र की हैं, उनका दिमाग बॉलीवुड की फिल्में कर रही हैं. जो 25 से 35 आयु वर्ग की महिलाएं हैं, उनका दिमाग खराब करने में एकता कपूर के टीवी सीरियल का रोल है. वहीं जो महिलाएं जॉब करती हैं, उनका दिमाग इंस्टाग्राम के रील्स के कारण हो रहा है. बच्चे तो सोशल मीडिया के कारण ही बर्बाद हो रहे हैं, क्योंकि हम जो देखते हैं, वहीं हमारे आचरण में आता है. काजल ने कहा कि महापुरुषों ने इस देश की आजादी के लिए बलिदान दिया. इसको सुंदर बनाया, अब इसकी रक्षा करना मातृशक्ति का काम है. महिला चाहे तो समाज का उद्धार कर दे या चाहे तो उसका विनाश कर दे."

सेमिनार में काजल हिंदुस्तानी का बयान (ETV Bharat)

नारी समर्थ, जो चाहे कर सकती है

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश की सबसे उम्र दराज एवरेस्ट पर्वतारोही ज्योति रात्रे ने कहा कि "नारियां सशक्त हैं, वो जो चाहे कर सकती हैं. ऐसा नहीं है कि आज के समय में पुरुष महिलाओं को पीछे खींच रहे हैं. ये तो महिलाएं ही हैं, जो आगे बढ़ने से बहाने बनाती हैं." बीएचएमआरसी की डायरेक्टर डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि "एक मां अपने परिवार में परिवर्तन ला सकती है. आज देश में महिलाओं का जो स्थान है, वो और कहीं नहीं है.

आज विश्व की श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी 46 प्रतिशत है. कुछ स्थानों पर तो 70 प्रतिशत हो गई है. अफ्रीकी देशों में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं की 80 प्रतिशत भागीदारी है. वहीं भारत में महिलाएं 48 प्रतिशत और पुरुष 51.5 प्रतिशत है. यदि दोनों साथ न चले तो स्थिति बिगड़ सकती है. हमारे देश में श्रमशक्ति के मामले में महिलाओं की भागीदारी 23 और पुरुषों की भागीदारी 55 प्रतिशत है.

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