देहरादून: उत्तराखंड में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को अब जनजाति के आश्रम पद्धति वाले विद्यालयों में दाखिला मिल पाएगा. पूर्व में लिए गए फैसले से सरकार ने रोलबैक किया है. ईटीवी भारत की खबर के 24 घंटे बाद ही मामले को लेकर नया आदेश जारी करते हुए शासन ने पूर्व से चल रही व्यवस्था को लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं.
आदेश की कॉपी (फोटो-समाज कल्याण सचिव ऑफिस) उत्तराखंड में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को लेकर ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. पिछले दिनों प्रदेश में जनजाति योजना के तहत चल रहे आश्रम पद्धति के विद्यालयों में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को दाखिला नहीं दिए जाने से जुड़ा एक आदेश समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी किया गया था. मामले को लेकर ईटीवी भारत ने खबर प्रसारित करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को इससे हो रहे नुकसान पर अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इतना ही नहीं ऐसे कई सवाल भी उठ रहे थे, जिनके चलते स्थानीय लोगों ने भी शासन के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया था. ईटीवी भारत में खबर प्रसारित होने के 24 घंटे में ही शासन को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा और अब इस मामले में निदेशालय जनजाति कल्याण द्वारा नया आदेश जारी कर दिया है.
दरअसल, साल 2016 में तत्कालीन समाज कल्याण सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने एक आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया था कि जनजाति कल्याण विभाग के राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में जनजाति के विद्यार्थी उपलब्ध नहीं होने की दशा में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा सकेगा. यह आदेश जारी होने के बाद तमाम जनजाति क्षेत्र में मौजूद इन विद्यालयों में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को भी निशुल्क शिक्षा का लाभ मिल पा रहा था. लेकिन एक ऑडिट में आई आपत्ति के बाद शासन ने इस पर रोलबैक करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश दे दिए थे.
ईटीवी भारत ने इस पर खबर प्रसारित की थी और खाली सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को भी लाभ दिए जाने से उन्हें फायदा होने की बात कही थी इतना ही नहीं यदि इन विद्यालयों में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जा सकता तो उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने को लेकर भी बात रखी गई थी. इस खबर के प्रसारित होने के बाद अब जनजाति कल्याण निदेशालय के स्तर पर एक आदेश जारी हुआ है इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि साल 2016 के निर्देशों के क्रम में एक बार फिर पूर्व वाली व्यवस्था को ही लागू किया जाए, ताकि खाली सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को मुफ्त शिक्षा का लाभ मिल पाए.
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